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16. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 में, उल्लिखित 'गणित की लम्बी आकृति, संकेत करती है, (1) चुनौतीपूर्ण समस्याओं को हल करना, (2) गणित के खेलों का सृजन, (3) हस्तसिद्ध अनुभव प्रदान करना, (4) एक संकल्पना पर दूसरी संकल्पना बनाना, [CTET Feb 2014], 17. राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, 2005 में, यह उल्लेख किया गया है कि गणित, शिक्षण महत्त्वाकांक्षी, सुसंगत और, महत्त्वपूर्ण होना चाहिए। यहाँ 'महत्त्वाकांक्षी', से तात्पर्य निम्नलिखित में से किसकी, उपलब्धि है?, (1) गणित के संकीर्ण उद्देश्यों (लक्ष्यों) की, (2) गणित को अन्य विषयों से जोड़ने की, (3) गणित के अनुप्रयोग की, (4) गणित के उच्च उद्देश्यों (लक्ष्यों) की, [CTET Feb 2014]
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गणित की पाठ्य-पुस्तक में विभिन्न प्रकरणों, 18., में खण्ड 'अभ्यास समय' को समावेशित, करने का उद्देश्य है, [CTET Feb 2015], (1) विद्यार्थियों को आनन्द व मस्ती प्रदान करना, (2) दैनिकं जीवनचर्या में बदलाव करना, (3) समय का बेहतर सदुपयोग सुनिश्चित करना, (4) विस्तृत अधिगम अवसर प्रदान करना, 19. 'वैदिक गणित', आजकल विशेष रूप से, प्राथमिक विद्यालय के बच्चों में बहुत, लोकप्रिय होता जा रहा है। इसका प्रयोग, निम्नलिखित में से किसके विकास/संव्द्धन में, होता है?, (1) विद्यार्थियों की गणित में परिकलन प्रक्रिया की, [CTET Feb 2015], समझ, (2) विद्यार्थियों के गणित में समस्या-समाधान कौशल, (3) विद्यार्थियों की गणित में एकाग्रता, (4) गणित में गणना के कौशल तथा गति