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झारखण्ड : आर्थिक सर्वेक्षण, , झारखंड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) स्थिर (201112) मूल्य पर वर्ष (2011-12) में रुपया 1,50,918 करोड़ था। यह, 2011-12 और 2014-15 के बीच 7.3 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर, (सीएजीआर) तथा वर्ष 2014-15 और 2018-19 के बीच 4.8 प्रतिशत, की दर से बढ़ी। वर्ष 2019-20 में 6.7% की वृद्धि के आलोक में, जीएसडीपी, के 2,40,036 करोड़ होने का अनुमान है।, , झारखंड के प्रति व्यक्ति आय (प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू, उत्पाद) वर्ष 2011-12 में 41,254 रुपए थी। प्रति व्यक्ति आय 201112 तथा 2014-15 के बीच प्रचलित मूल्य पर औसतन 11.6 प्रतिशत, तथा स्थिर मूल्य पर 5.7 प्रतिशत एवं 2014-15 और 2018-19 के, बीच प्रचलित मूल्य पर 5.9% तथा स्थिर मूल्य पर 3% की दर से बढ़ी, है। वर्ष 2019-20 स्थिर एवं प्रचलित मूल्य पर अनुमानत: यह क्रमश:, 57,863 रुपए तथा 79,73 रुपए रही हैं अर्थात् पिछले वर्ष की तुलना में, वर्ष 2019-20 में इसमें स्थिर मूल्य पर5.2% एव प्रचलित मूल्य पर, 9.2 प्रतिसत की वृद्धि दर्ज की गई।, , वर्ष 2020-21 और 2021-22 में झारखंड का जीएसडीपी:- देश के बाकी, हिस्सों की तरह कोविड-19 ने झारखंड की अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह, प्रभावित किया है। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य के जीएसडीपी,, स्थिर मूल्य1२७४। 5507) में 6.9% और प्रचलित मूल्य(14017र18|
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6500) में 3.2 प्रतिशत तक संकुचन की संभावना है। इस प्रकार वर्ष, 2020-21 में जीएसडीपी के स्थिर मूल्य पर 2,23,566 करोड़ एवं, प्रचलित मूल्य पर 2,44,805 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। अगले, वित्तीय वर्ष में स्थिति बेहतर होने का अनुमान है। वर्ष 2020-21 की, तुलना में वर्ष 2021-22 में राज्य के वास्तविक जीएसडीपी(२७०|, ७5807) मैं 9.5 प्रतिशत की वृद्धि और अनुमानित जीडीपी में 13.6, प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है। तथापि वर्ष 2019-20 और, 2021-22 के बीच वास्तविक(३७४)) एवं अनुमानित(४०॥॥॥8/), जीएसडीपी की वार्षिक वृद्धि दर क्रमशः मात्र 1 प्रतिशत और 4.9, प्रतिशत ही होगी।, , विकास दर में क्षेत्रीय(88०10०79।) विविधता:- राज्य की अर्थव्यवस्था के, तीन प्रमुख क्षेत्रों (प्राथमिक,द्वितीयक और तृतीयक) में, वर्ष 2019-20, में तृतीयक क्षेत्र([७&109५ 560०7) सबसे ट्रिव दर से बढ़ा है। वर्ष, 2019-20 में जहां प्राथमिक क्षेत्र में 2.2 प्रतिशत वृद्धि दर और, दवितीयक क्षेत्र में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया, है। वही तृतीयक क्षेत्र में 7.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि अनुमानित है।, तृतीयक क्षेत्र में होटल एवं जलपान गृह, संचार एवं प्रसारण सेवा, रियल, एस्टेट, आवास गूृहों का स्वामित्व तथा व्यवसाय वं अन्य सेवाओं जैसे, उपदक्षेत्रों में इस वर्ष 8% से अधिक वृद्धि हुई है।
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विकास दर में प्रक्षेत्रीय योगदान:: राज्य की विकास दर में तृतीयक, क्षेत्र का प्रमुख योगदान रहा है। इसने वर्ष 2019-20 में राज्य की, अर्थव्यवस्था के विकास में 62.5 प्रतिशत का योगदान किया है।, प्राथमिक और दवितीयक क्षेत्रों का योगदान क्रमशः 9 और 29 प्रतिशत, , रहा है।, , राज्य सकल घरेलू मूल्य वर्धन(95४/) में प्रक्षेत्रीय योगदान:- 201112 और 2019-20 के बीच राज्य के 55४ में तृतीयक क्षेत्र की, हिस्सेदारी बढ़ गई है, जबकि अन्य पफ्रक्षेत्रों में गिरावट आई है। वर्ष, 2011-12 में राज्य के 55४/ में कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन में, दवितीयक और तृतीयक क्षेत्रो का योगदान क्रमशः 16.1 प्रतिशत और, 33.8% और 38.5 प्रतिशत था। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 55५४# में, कृषि का हिस्सा 12.6 प्रतिशत, दवितीयक क्षेत्र का 32.8% और सेवाओ, अर्थात्त तृतीयक का 45.8% होने का अनुमान है।, , उद्योग, जो दवीतीयक प्रक्षेत्र तथा खनन और उत्खनन का एक संयोजन, है, का वर्ष 2011-12 में 45.4% प्रतिशत योगदान था, जो वर्ष 201920 में घटकर 41.7 प्रतिशत हो गया।, , कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन दवितीयक तथा खनन और उत्खनन, क्षेत्रों में अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि और सेवा क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक, वृद्धि के कारण प्रक्षेत्रीय योगदान परिवर्तन हुआ है।, , अर्थव्यवस्था की वृद्धि के साथ कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी में कमी एक, सार्वभौमिक घटना है। यह कृषि क्षेत्र की तकनीकी सीमाओं और आय में
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वृद्धि के साथ मांग की संरचना में परिवर्तन दोनों के कारण होता है।, झारखंड में, कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी में कमी केवल इसकी तकनीकी और, आर्थिक सीमाओं के कारण नहीं है अपितु यह हरास इस क्षेत्र में इष्टम, प्रदर्शन नहीं होने के कारण भी है। खेती के क्षेत्र के विस्तार, सिंचाई, क्षेत्रफल में वृद्धि एवं उन्नत और उपयुक्त प्रौद्योगिकी को अपनाए जाने, से इस प्रक्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार की पर्याप्त संभावनाएं हैं।, , झारखंड में महंगाई में महं $$ .फरवरी, 2015 में नई मौद्रिक नीति रूपरेखा को अपनाने के बाद भारत, और झारखंड में मुद्रास्फीति की दर कम हो गई है। वित्तीय वर्ष 201617, 2017-18 तथा 2018-19 में झारखंड और भारत में मुद्रास्फीति की, दर 6% से नीचे रही। महंगाई की दर, भारत और झारखंड, दोनों में, अक्टूबर 2019 से बढ़नी शुरू हुई तथा दिसंबर 2019 में इसने भारतीय, रिजर्व बैंक के 6% के ऊपरी निशान को पार कर लिया। तत्पश्चात यह, लगातार बढ़ती रही है। सितंबर 2020 में भारत एवं झारखंड में, मुद्रास्फीति की दर क्रमश 7.3% तथा 7.6,अक्टूबर 2020 क्रमशः 7.6, एव 8.1, नवंबर 2020 में क्रमशः6.9 एव 7.5 रही हैं।, , हाल के महीनों में अर्थव्यवस्था में मंदी कोविड-19 अर्थव्यवस्था के, लॉकडाउन और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण मुद्रास्फीति की दर, में वृद्धि हुई है। सबसे अधिक वृद्धि खादय मुद्रास्फीति में हुई है। दालो, सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन वस्तुओं, सब्जियों, खाद्य, तेलों, मसालों में कई, आपूर्ति झटकों के कारण खादय मुद्रस्फीति 2 अंकों में बढ़ गई है। बंपर
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रबी फसल, सर्दियों में होने वाली सब्जियों के उत्पादन और बाजार में, आपूर्ति में वृदधि की तथा आपूर्ति श्रृंखला(50001५/ ०धां)) में व्यवधानों, में कमी के फलस्वरुप आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति की दर कम हो, सकती है। आरबीआई द्वारा आयोजित मुद्रास्फीति - प्रत्याशा, सर्वेक्षण(7#3षॉण1 5296०10०1 5५५७५) ने भी घरेलू मुद्रास्फीति में, मॉडरेशन को इंगित किया है। आगे के 3 महीनों की, साथ ही अगले 1, वर्ष की घरेलू मुद्रास्फीति की संभावनाओं में सुधार दर्शाया गया है।, , झारखंड में गरीबी:- 3600 [0४01५ 1५ #प्राव्र 08४९0०0ए1गशा, वरावाए6.. (071])॥ 210. एव िवांणा5.. 06५60शञाशा, (#0धाध71॥6 (७४07) द्वारा जुलाई 2019 में जारी '51008।, ॥५॥017019018॥ ?0५४७४॥५ ॥106:८ - 2019 के अनुसार 2005-06 से, 2015-16 तक 10 वर्ष की अवधि में झारखंड के लगभग 72 लाख लोग, बहुआयामी गरीबी से बाहर आ गए है। राज्य में बहुआयामी गरीबों का, प्रतिशत 2005-06 में 74.7 से घटकर 2015-16 में 46.5 हो गया है।, , राजकोषीय प्रगति एवं राज्य वित्त:, , , किसी अर्थव्यवस्था के विकास को सुनिश्चित करने में बजट का, आकार एवं उसकी संरचना की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसे, ध्यान में रखते हुए झारखंड सरकार ने बजट के आकार को बढ़ाने एवं, इसके बड़े अंश को पूंजी निर्माण एवं विकास की योजनाओं के लिए, आवंटित करने का प्रयास किया है। वित्तीय वर्ष 2014-15 और 201920(7)के बीच बजट का आकार 12.1 प्रतिशत औसत वार्षिक दर से बढ़ा