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● दे श में अराजकता की समस्या बढ़ रही है ।, ii. अनुपयुक्त संज्ञा शब्द का प्रयोग, , जैसे–, , ● आपके प्रश्न का समाधान मिल गया। (उत्तर), ● हमारे प्रदे श के मनुष्य परिश्रमी हैं। (लोग), ● प्रेम करना तलवार की नोक पर चलना है। (धार पर), ● सफलता के मार्ग में संकट आते ही है। (बाधाएँ ), ● तुमने इस पुस्तक का कितना भाग पढ़ लिया? (अंश), , सर्वनाम सम्बन्धी अशुद्धियाँ, , संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं। वाक्य में उनका प्रयोग करते समय उचित, सावधानी रखनी चाहिए। हिन्दी में सर्वनाम सम्बन्धी अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ देखी जाती हैं। जैसे –, , ● उसने वहाँ जाना है। (उसे)
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● मैंने यह नहीं करना है (मुझे), ● कहिए, आपको मेरे से क्या काम है ? (मुझसे), ● मैं तेरे को बता दूंगा। (तुम्हें), ● कोई ने यह करने को बोला था। (किसी, कहा), , विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ, , विशेषणों का अनावश्यक, अनुपयुक्त अथवा अनियमित प्रयोग करने से वाक्य में अनेक अशुद्धियाँ आ, जाती हैं , जिनका निराकरण करना आवश्यक है। जैसे –, , ● आगामी दुर्घटना के बारे में मुझे कुछ भी पता न था।, ● आप लोग अपनी राय दें। (अपनी-अपनी), ● वहाँ दो दिवसीय गोष्ठी थी। (द्वि-दिवसीय), ● प्रत्येक बालक को चार-चार केले दे दें। (चार), ● आकाश में दीर्घकाय बादल दिखाई दिया। (विशालकाय), , क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियाँ, , (भावी)
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क्रिया पद का सही प्रयोग न होने से वाक्य का आशय अस्पष्ट हो जाता है। क्रिया पद के प्रयोग के समय, कर्ता पद से समन्वय न होने से वाक्य का स्वरूप ही अस्पष्ट हो जाता है। कहीं काल सम्बन्धी अशुद्धि और, कहीं वचन सम्बन्धी अशुद्धि वाक्य को पूर्णतया निरर्थक बना देती है। क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियों के कुछ, उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं। जैसे –, , अशुद्ध – क्या उस प्रश्न का हल करने आवश्यकता हैं ?, , शुद्ध – क्या उस प्रश्न के हल की आवश्यकता है ?, , अशुद्ध – वह आज दूध निकालकर गायों को चराने का काम करे गा।, , शुद्ध – वह आज दूध दुहकर गायें चराएगा।, , अशुद्ध – गाँव के प्रधानाध्यापक के पदोन्नति पर जाने पर गाँव वालों ने उन्हें अभिनन्दन-पत्र प्रदान किया।, , शुद्ध – गाँव के प्रधानाध्यापक की पदोन्नति होने पर गाँव वालों ने उन्हें अभिनन्दन-पत्र भेंट किया।, , अशुद्ध – जेम्स वाट ने भाप के इंजन की खोज की।
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शुद्ध – जेम्स वाट ने भाप के इंजन का आविष्कार किया।, , अशुद्ध – जगदीश चंद्र बसु ने टेलीफोन की उत्पत्ति की थी।, , शुद्ध – जगदीश चन्द्र बसु ने टेलीफोन का आविष्कार किया था।, , अन्विति (अन्वय) सम्बन्धी अशुद्धियाँ, , वाक्य में ‘अन्वय’ का होना परम आवश्यक है। अन्वय का तात्पर्य है कर्त्ता और क्रिया तथा कर्म और क्रिया, का पारस्परिक समन्वय। किन स्थितियों में कर्ता के अनुरूप क्रिया होगी और किन स्थितियों में क्रिया कर्म, के अनुरूप होगी, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। जैसे-, , ● पत्र मेज पर डाल दो। (रख दो), ● कुलपति ने उपाधियाँ वितरित की। (प्रदान), ● यह अपराधी दण्ड देने योग्य है। (पाने), ● वह कमीज डालकर सो गया। (पहनकर), ● जब से नौकरी पाई है , दिमाग सातवें आसमान पर है। (मिली)
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अव्यय संबंधी अशुद्धियाँ, , (केवल, मात्र, भर, ही), , इन अव्ययों के अर्थों में बहुत कुछ समानता है। अतः इनमें से किन्हीं दो शब्दों का प्रयोग नहीं करना, चाहिए, जैसे–, , ● एकमात्र दो उपाय हैं। (केवल), ● यह पत्र आपके अनुसार है। (अनुरूप), ● यह बात कदापि भी सत्य नहीं हो सकती। (कदापि), ● वह अत्यन्त ही सुन्दर है। (अत्यधिक), ● सारे दे शभर में अकाल है। (सारे दे श), , कारक संबंधी अशुद्धियाँ, , वाक्यों में कारक सम्बन्धी अशुद्धियाँ विविध प्रकार की होती हैं। अनुपयुक्त परसर्ग का प्रयोग करने से, वाक्य में शिथिलता आती है और अर्थ समझने में बाधा पड़ती है। परसर्गों के समुचित प्रयोग में पर्याप्त, सावधानी अपेक्षित है। जैसे–
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पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ, , ● तुम जाओगे क्या? (क्या तुम जाओगे?), ● छात्राओ ं ने मुख्य अतिथि को एक फूलों (फूलों की एक माला) की माला पहनाई।, ● भीड़ में पाँच दिल्ली के व्यक्ति भी थे। (दिल्ली के पाँच व्यक्ति), ● कई कम्पनी के कर्मचारियों ने प्रदर्शन (कंपनी के कई कर्मचारियों) किया।, , द्विरुक्ति/पुनरुक्ति संबंधी अशुद्धियाँ, , ● नौजवान युवकों को दहेज प्रथा का ” (नौजवानों/युवकों) विरोध करना चाहिए।, ● आपका भवदीय। (आपका/भवदीय), ● प्रातःकाल के समय टहलना (प्रातःकाल/प्रातः समय) चाहिए।, ● राजस्थान का अधिकांश भाग (अधिकांश/अधिक भाग) रेतीला है।, ● वे परस्पर एक-दूसरे से उलझ (परस्पर/एक-दूसरे से) पड़े।, , अनावश्यक शब्द प्रयोग सम्बन्धी अशुद्धियाँ