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060ज9ग040 ग्राठा'€ : #9:/0.0407_8005, , , , अध्याय ॥, , बाल विकास की अवधारणा एवं इसका अधिगम से सम्बन्ध, , , , प्रस्तुत अध्याय के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया, जा सकता है,, बाल विकास का स्वरूप एवं विशेषताएँ, 4. बाल विकास की प्रकिया प्राकृतिक, सरल एवं स्वाभाविक रूप में सम्पन्न, होती है,, , 2. बाल विकास को छात्रों के लिए, शिक्षक के लिए तथा अभिभावकों के, लिए उपयोगी माना जाता है,, , 3. विकास की प्रकिया में आवश्यक परिवर्तन देखा जाता है ये परिवर्तन, शारीरिक कार्य एवं व्यवहार आदि में देखा जाता है,, , 4. बाल विकास एक निश्चित प्रकिया के रूप में स्वीकार किया जाता है, क्योंकि उसमें मानकों का निर्धारण करके विकास स्तर ज्ञात किया, जाता है,, , 5. बाल विकास एक वर्गीकृत प्रकिया है क्योंकि इसमें विकास स्तरों का, वर्गीकरण करके उनके स्वरूप को निर्धारित किया जाता है,, , 6. बाल विकास की प्रकिया में विविध का मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों, नियमों, एवं अनुसंधानों के निष्कर्षों का समावेश होता है अतः यह मनोवैज्ञानिक, प्रकिया है,, , 7. बाल विकास में बालकों के विकास स्तर में पर्याप्त अन्तर पाया जाता, है, अतः यह व्यक्तिगत भिन्नता के आधार पर सम्पन्न होने वाली, प्रकिया है,, , पमऋ0- ४००८ 707 9709५90930 (ए॥6०८ पश'८- ५४एछ, 'रात-0एए799.007, (७ गौतम आई.ए.एस. एकेडमी 08॥: 0764-4034947, 9300030305 |/७९६ ७५ 6) ४७७४ 50790॥#9॥ ।409/79/|, ४४४9 7000, 4808|00॥
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060ज9ग040 ग्राठा'€ : #9:/0.0407_8005, 8. बाल विकास में प्रस्तुत नियम, सिद्धान्त एवं मानक पूर्णता वैधस एवं, , विश्वनीय होते हैं, अतः: यह एक वैज्ञानिक प्रकिया है,, 9. बाल विकास आधुनिक एवं सामाजिक प्रकिया है क्योंकि इसमें छात्रों के, सर्वांगीण विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्कोिण का प्रयोग किया जाता हैं, , बाल विकास एवं अधिगम का सम्बन्ध, 4. शारीरिक विकास के सर्वश्रेष्ठ होने पर अधिगम की प्रकिया तीव्र एवं, स्थायी रूप में होती है, इसके विपरीत स्थिति में मन्द होती है,, , 2. संज्ञानात्मक विकास की उचित स्थिति ही अधिगम को उच्च एवं स्थायी, बनाती है,, , 3. सामाजिक विकास की प्रभावशीलता ही प्रभावी अधिगम का मार्ग प्रशस्त, करती हैं,, , 4. संवेगात्मक स्थिरता के माध्यम से ही बालक सन्तुलित कार्य व्यवहार, सीखता है,, , 5. नैतिक विकास के आधार पर ही छात्र नैतिक कार्यों को एवं गतिविधियों, को सीखता है,, , 6. मानसिक विकास के आधार पर ही छात्रों के द्वारा तर्क, चिन्तन एवं, खोज सम्बन्धी गतिविधियाँ सीखी जाती हैं, , बाल विकास के उद्देश्य, आवश्यकता एवं महत्व, 4. बाल विकास के आधार पर ही शिक्षक द्वारा एवं विद्यालयी व्यवस्था, द्वारा छात्रों का उचित शारीरिक विकास किया जाता है,, , 2. बाल विकास के आधार पर ही छात्रों का मानसिक विकास उपलब्ध, कराने वाली गतिविधियों का आयोजन विद्यालय में शिक्षक द्वारा किया, जाता है,, , पमऋ0- ४००८ 707 9709५90930 (ए॥6०८ पश'८- ५४एछ, 'रात-0एए799.007, , (७ गौतम आई.ए.एस. एकेडमी 08॥: 0764-4034947, 9300030305 |/७९६ ७५ 6) ४७७४ 50790॥#9॥ ।409/79/|, ४४४9 7000, 4808|00॥
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060ज9ग040 ग्राठा'€ : #9:/0.0407_8005, 3. बाल विकास द्वारा छात्रों में शिक्षण के माध्यम से तथा विद्यालयी, , व्यवस्था के माध्यम से सृजनात्मक विकास किया जाता है,, , 4. बाल विकास द्वारा ही शिक्षक एवं विद्यालय द्वारा छात्रों की संवेगात्मक, स्थिरता उत्पन्न करने वाली गतिविधियाँ उपलब्ध करायी जाती हैं,, , 5. बाल विकास के आधार पर छात्रों का सामाजिक विकास प्रभावी रूप में, सम्पन्न होता है,, , 6. बाल विकास के आधार पर ही शिक्षक द्वारा प्रभावी शिक्षण अधिगम, प्रकिया का आयोजन किया जाता है,, , 7. बाल विकास के आधार पर ही छात्रों का भाषायी विकास सर्वोत्तम रूप, में सम्पन्न होता है,, , 8. बाल विकास के आधार पर ही छात्रों के लिए नैतिकता एवं मानवता का, विकास करने वाली गतिविधियाँ उपलब्ध करायी जाती हैं,, , पमऋ0- ४००८ 707 9709५90930 (ए॥6०८ पश'८- ५४एछ, 'रात-0एए799.007, , (७ गौतम आई.ए.एस. एकेडमी 08॥: 0764-4034947, 9300030305 |/७९६ ७५ 6) ४७७४ 50790॥#9॥ ।409/79/|, ४४४9 7000, 4808|00॥