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विषय-सूची, इकाई (Units), (CONTENTS), पृष्ठ संख्या (Page No.), 1. शैक्षिक अनुसंधान, 2. शैक्षिक अनुसंधान क्षेत्र, 1, 11, 3. शोध के तरीके, 46, 4. अनुसंधान समस्या और परिकल्पना, 102, 5. उपकरण और डेटा संग्रह की तकनीक, 145
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शैक्षिक अनुसंधान, अध्याय-1, शैक्षिक अनुसंधान, नोट, (Structure), 1.1, उद्देश्य, 1.2, प्रस्तावना, 1.3, शैक्षिक अनुसंधान का अर्थ एवं परिभाषा, 1.4, शिक्षा अनुसंधान की आवश्यकता, शैक्षिक अनुसंधान का क्षेत्र, अनुसंधान की विशिष्ट भावी आवश्यकताएँ, 1.5, 1.6, शिक्षा-अनुसंधान का वर्गीकरण, शिक्षा-अनुसंधान के कार्य, 1.7, 1.8, 1.9, सारांश, 1.10, अभ्यास-प्रश्न, 1.11, संदर्भ पुस्तकें, 1.1 उद्देश्य, इस इकाई के अध्ययन के पश्चात् विद्यार्थी योग्य होंगे-, शैक्षिक अनुसंधान को जानने में%;, शैक्षिक अनुसंधान की आवश्यकता को जानने में;, शैक्षिक अनुसंधान की प्राथमिकता को जानने में;, शिक्षा अनुसंधान के प्रकारों को जानने में।, 1.2 प्रस्तावना, शैक्षिक अनुसंधान से तात्पर्य उस अनुसंधान से होता है, जो शिक्षा के क्षेत्र में किया जाता है। उसका, उद्देश्य शिक्षा के विभिन्न पहलुओं, आयामों, प्रक्रियाओं आदि के विषय में नवीन ज्ञान का सृजन,, वर्तमान ज्ञान की सत्यता का परीक्षण, उसका विकास एवं भावी योजनाओं की दिशाओं का निर्धारण, करना होता है। ट्रैवर्स ने शिक्षा- अनुसंधान को एक ऐसी क्रिया माना है, जिसका उद्देश्य शिक्षा- संबंधी, विषयों पर खोज करके ज्ञान का विकास एवं संगठन करना होता है । विशेष रूप से छात्रों के उन, व्यवहारों के विषय में ज्ञान एकत्र करना, जिनका विकास किया जाना शिक्षा का धर्म समझा जाता, है, शिक्षा-अनुसंधान में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। ट्रैवर्स के अनुसार, शिक्षा के विभिन्न, पहलुओं के विषय में संगठित वैज्ञानिक ज्ञान-पुंज का विकास अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि उसी के, स्वयं सीखने की सामग्री, 1
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शिक्षा अनुसंधान की पद्धति आधार पर शिक्षक के लिए यह निर्धारित करना संभव होता है कि छात्रों में वांछनीय व्यवहारों के, विकास हेतु किस प्रकार की शिक्षण एवं अधिगम परिस्थितियों का निर्माण करना आवश्यक होगा।, शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक अनुसंधान का महत्त्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा की प्रमुख समस्या है कि, उसकी प्रक्रिया को सुदृढ़ प्रभावशाली एवं सशक्त कैसे बनाया जाए। इस समस्या के समाधान हेतु, नोट, अनुसंधान की आवश्यकता है। मौलिक अनुसंधानों से ज्ञानक्षेत्र में वृद्धि की जाती है। प्रयोगात्मक, शोधकार्यों से नवीन सिद्धांतों तथा नियमों का प्रतिपादन किया जाता है । क्रियात्मक अनुसंधान की, संकल्पना का जन्म स्टीफन एम. कोरे के विचारों में हुआ। विद्यालयों के समक्ष उस समय अनेक, समस्याएँ थीं जिनके समाधान उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे । उस समय स्टीफन एम. कोरे की पुस्तक, 'एक्शन रिसर्च टू इम्प्रूव स्कूल प्रैक्टिस' ने इन समस्याओं के समाधान की दिशाएँ सुझाई थीं यही, सुझाव क्रियात्मक अनुसंधान कहलाया क्रियात्मक अनुसंधान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी, क्षेत्र के कार्यकर्ता अपनी समस्याओं का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन करके, उसका मूल्यांकन करते हैं ।, 1.3 शैक्षिक अनुसंधान का अर्थ एवं परिभाषा, शिक्षा के अनेक संबंधित क्षेत्र एवं विषय हैं, जैसे- शिक्षा का इतिहास शिक्षा का समाजशास्त्र,, शिक्षा का मनोविज्ञान, शिक्षा-दर्शन, शिक्षण-विधियाँ, शिक्षा- तकनीकी, अध्यापक एवं छात्र , मूल्यांकन,, मार्गदर्शन, शिक्षा के आर्थिक आधार, शिक्षा-प्रबंधन, शिक्षा की मूलभूत समस्याएँ आदि। इन सभी, क्षेत्रों में बदलते हुए परिवेश एवं परिवर्तित परिस्थितियों के अनुकूल वर्तमान ज्ञान के सत्यापन एवं, वैधता-परीक्षण की निरंतर आवश्यकता बनी रहती है । यह कार्य शिक्षा - अनुसंधान के द्वारा ही सम्पन्न, होता है। इस प्रकार शिक्षा-अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान एवं पूर्वस्थित ज्ञान का परीक्षण एवं, सत्यापन तथा नये ज्ञान का विकास करने की एक विधा, एक प्रक्रिया है । शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में, अनेक प्रकार की समस्याएँ समय-समय पर सामने आती हैं । उनके समाधान खोजना भी आवश्यक, होता है। यह कार्य भी शिक्षा-अनुसंधान के द्वारा ही संभव होता है । इस दृष्टिकोण से शिक्षा-अनुसंधान, शिक्षा की समस्याओं के समाधान प्राप्त करने की एक विशिष्ट प्रक्रिया है। शिक्षा - संबंधी अनेक, अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने का माध्यम भी शिक्षा अनुसंधान है । कितने ही विशेषज्ञों ने, शिक्षा-अनुसंधान की परिभाषाएँ प्रस्तुत की हैं।, भिटनी (1954) के अनुसार, शिक्षा- अनुसंधान शिक्षा-क्षेत्र की समस्याओं के समाधान खोजने, का प्रयास करता है तथा इस कार्य की पूर्ति हेतु उसमें वैज्ञानिक, दार्शनिक एवं समालोचनात्मक, कल्पना-प्रधान चिंतन-विधियों का प्रयोग किया जाता है । इस प्रकार वैज्ञानिक अनुसंधान एवं पद्धतियों, को शिक्षा-क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए लागू करना शैक्षिक अनुसंधान कहलाता है।, कौरनेल का मानना है कि विद्यालय के बालकों, विद्यालयों, सामाजिक ढाँचे तथा सीखने, वालों के लक्षणों एवं इनके बीच होने वाली अन्तर्क्रिया के विषय में क्रमबद्ध रूप से सूचनाएँ एकत्र, करना शिक्षा-अनुसंधान है।, यूनेस्को के एक प्रकाशन के अनुसार, शिक्षा - अनुसंधान से तात्पर्य है उन सब प्रयासों से जो, राज्य अथवा व्यक्ति अथवा संस्थाओं द्वारा किए जाते हैं तथा जिनका उद्देश्य शैक्षिक विधियों एवं, शैक्षिक कार्यों में सुधार लाना होता है।, 1.4 शिक्षा अनुसंधान की आवश्यकता, शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है। उसका मूलभूत उद्देश्य व्यक्ति में ऐसे परिवर्तन लाना होता है, जो, सामाजिक विकास एवं व्यक्ति के जीवन को उन्नतशील बनाने के दृष्टिकोण से अनिवार्य होते हैं।, स्वयं सीखने की सामग्री
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शैक्षिक अनुसंधान, इस उद्देश्य की पूर्ति मुख्य रूप से शिक्षा की प्रक्रिया पर निर्भर करती है। यदि शिक्षा की प्रक्रिया, सशक्त एवं प्रभावशाली हो तो व्यक्ति में उसके द्वारा उपरोक्त वांछनीय परिवर्तन लाना सरल एवं, संभव होगा अन्यथा नहीं। अतः शिक्षा की प्रमुख समस्या है कि उसकी प्रक्रिया को सुदृढ़ प्रभावशाली, एवं सशक्त कैसे बनाया जाए। इस समस्या के समाधान हेतु अनुसंधान आवश्यक है।, नोट, शिक्षा की प्रक्रिया एक बहुतत्वीय प्रक्रिया है। उसके अनेक आधारभूत तत्व हैं। सामाजिक एवं, सांस्कृतिक परिस्थितियाँ, गृह-परिवेश, विद्यालय का वातावरण एवं उसकी अनेक विशेषताएँ, शिक्षण, विधियाँ, पाठ्य-सामग्री, शिक्षण की सहायक सामग्री, अध्यापक एवं उसकी अनेक विशेषताएँ, विद्यार्थी, एवं उसकी अनेक विशेषताएँ, अधिगम-प्रक्रिया आदि अनेक चर हैं, जो शिक्षा की प्रक्रिया को प्रभावित, करते हैं। इन सभी की अनेक विशेषताएँ ऐसी हो सकती हैं, जिनके विषय में अभी तक किसी को, कोई जानकारी नहीं है । उनकी खोज अनुसंधान के माध्यम से ही संभव है। साथ ही जिन चरों की, खोज की जा चुकी है, उनके विषय में यह जानना एवं निश्चित करना, आवश्यक है कि शिक्षा की प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने में प्रत्येक कितना महत्त्वपूर्ण है तथा उसका, प्रक्रिया में समावेश किस प्रकार किया जाना चाहिए, उसके प्रयोग को किस प्रकार अधिक प्रभावशाली, बनाया जा सकता है। इस दृष्टिकोण से शिक्षा-अनुसंधान का विशेष महत्त्व है, क्योंकि उसके द्वारा, ही उपरोक्त समस्याओं का समाधान संभव हो सकता है।, सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ शिक्षा के प्रसार, उसकी गुणवत्ता, उसके परिणामों एवं उसकी, प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। अतः इनके संदर्भ में शिक्षा की प्रक्रिया एवं उसकी व्यवस्था का, अध्ययन किया जाना भी अत्यन्त आवश्यक है। किस प्रकार की परिस्थितियाँ किस प्रकार शिक्षा को, प्रभावित करती हैं, यह अनुसंधान द्वारा ही निर्धारित किया जा सकता है । अतः इस दृष्टिकोण से, शिक्षा-अनुसंधान का अपना महत्त्व है।, विद्यार्थियों के व्यक्तित्व की विशेषताएँ भी शिक्षा की प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं । अनेक, ऐसी विशेषताओं के प्रभाव का अध्ययन किया गया है, परन्तु परिणाम असंदिग्ध एवं एक से प्राप्त, कुछ विशेषताओं का अध्ययन तो न के बराबर ही है । अतः इस क्षेत्र में भी अनुसंधान, की बहुत आवश्यकता है। इन अध्ययनों को अधिक सुसंगठित एवं वैध विधियों द्वारा सम्पन्न किए, नहीं, हुए, हैं।, जाने की आवश्यकता है।, पिछले कुछ वर्षों में बहुत-सी नई -नई शिक्षण-विधियों का निर्माण किया गया है । इनकी, उपयोगिता एवं प्रभाविकता का गहन स्तर पर अध्ययन करने की आवश्यकता है। साथ ही और भी, विशिष्ट विधियों की खोज की जानी चाहिए। इस क्षेत्र में अनुसंधान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता, है। गत वर्ष में बहुत से शिक्षण-प्रतिमानों (models to teaching) का निर्माण किया गया है परन्तु,, इनका पर्याप्त परीक्षण नहीं हो पाया है। शिक्षा - अनुसंधान द्वारा इनके परीक्षण की आवश्यकता है। इसी, प्रकार अभिक्रमित अधिगम (programmed learning), सूक्ष्म-शिक्षण (micro-teaching), सिमुलेटिक, शिक्षण की उपयोगिता का अध्ययन भी आवश्यक है।, शिक्षक व्यक्तित्व की विशेषताओं उसके ज्ञान, उसके व्यवहार का विद्यार्थियों के विकास पर, बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, परन्तु ये कौन-सी विशेषताएँ हैं, कैसे अपना प्रभाव डालती हैं, किस, प्रकार का प्रभाव डालती हैं आदि ऐसे प्रश्न हैं, जो अभी तक अनुत्तरित हैं। शिक्षा - अनुसंधान द्वारा, इनके निश्चित उत्तर प्राप्त करना आवश्यक है। इस दृष्टिकोण से शिक्षा में अनुसंधान की बहुत, आवश्यकता प्रतीत होती है।, स्वयं सीखने की सामग्री