Page 1 :
पदमश्री सम्मान से सम्मानित व्यक्तित्व, 28031] 51॥॥866 /0५/3108७6९ (>> 3॥931100193॥10, , जएल लकड़ा, जि शकीडा, , , , ये झारखंड निर्माण आंदोलन से संबंधित अग्रणी नेताओ में से एक थे।, ये उरांव समुदाय से धर्मातरित ईसाई थे। इसका जन्म रॉची जिला के, मुरगु गांव में हुआ था। ये क्रिश्चियन स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन के सदस्य, थे,जिसका नाम परिवर्तित कर इसने 1915 में एक नई संस्था, "छोटानागपुर उन्नति समाज" की स्थापना की जिसके ये प्रथम अध्यक्ष, बने। इसने "यंग छोटानागपुर टीम" के नाम से फुटबॉल और हॉकी टीम, का गठन किया।, , इसे 1963 ई में पदमश्री सम्मान से सम्मानित किया गया।॥6 [$ चना, २909 817157/ /७४४३1४७४ 01 ॥॥81/91710.पदम श्री सम्मान पाने वाले, ये प्रथम झारखंडी व्यक्ति थे, इसे यह पुरस्कार सामाजिक कार्य में, उत्कृष्ट योगदान देने के त्रिए किया गया। ये पदम सम्मान प्राप्त करने, वाले प्रथम झारखंडी व्यक्ति भी बने।, , बहादुर सिंह चौहान, , ये झारखण्ड क्षेत्र से भारत के प्रसिध्द शॉट पुट खिलाड़ी थे जो 18/60, , में कार्यरत थे । इसे अर्जुन पुरस्कार और 1983 में पद्मश्री सम्मान से, सम्मानित किया गया। ये ओलंपिक में खेल चुके है। भारतीय एथलेटिक्स
Page 2 :
टीम के कोच के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए द्रोणाचार्य अवार्ड भी, इन्हे मिला है। इन्होंने एशियन गेम में 3 गोल्ड, 2 सिल्वर और 3, ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है।, , भागवत मर्म, नौ ैौ आय शक, , इन्हे 1985 में समाज सेवा के क्षेत्र में पदमश्री सम्मान दिया गया।, संतात्र समुदाय से पहले व्यक्ति थे जिसे पदम श्री सम्मान मिल्रा। ये, पहले शुद्ध आदिवासी थे जिसे पदम श्री पुरस्कार मिला। ये 1957 से, 1962 तक झाझा (बिहार) विधान सभा क्षेत्र से विधायक रहे। 1989 से, 1991 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य नामांकित किए गए। इन्होने, गरीब और पिछड़ों के लिए उत्कृष्ट: कार्य किए जिसके लिए इन्हे पदम, श्री सम्मान दिया गया। ये संताली भाषा के प्रसिदृध लेखक भी थे इनके, द्वारा लिखे गए कई किताब विभिन्न -विश्वविद्यात्रयों में सिलेबस -का, हिस्सा है। भागवत मुर्मू का उपनाम "ठाकुर" है।, , चित्त टड़, , जज रऋुछबर, , इन्हे 1992 मे कल्ा के क्षेत्र में पदम श्री पुरस्कार मिला। इनका जन्म, बिहार के बौँसी में हुआ। लोक साहित्य और संस्कृति संताली लोकगीत, और कविताओं के रचना के साथ साथ अनेक साहित्यिक कृतियो की, रचना की। संताल्री लोक गीतों का संग्रह "जवाय धुति" इसकी महत्वपूर्ण
Page 3 :
रचना है। रास बिहारी ला,द के प्रसिद्ध नाटक "नए नए रास्ते" का, संताली में अनुवाद किया। संताल्ी विवाह ल्लोकगीत संग्रह "सोने की, सिकड़ी और रूपा की नथिया" की रचना से इन्होने संतात्र संस्कृति से, लोगो को अवगत कराया। संताली भाषा में जवाहरलाल नेहरू पर इन्होने, जीवनी लिखा जो काफी प्रसिद्ध हुई।, , ये एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी भी रहे। ये सफाहोड आंदोलन के प्रणेता, लाल हेंब्रम के साथ जुड़े और संतात्र समुदाय में राजनीतिक चेतना और, सांस्कृतिक सुधार का प्रचार किया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ये, संताल परगना जिला कांग्रेस कमेटी से जुड़े और इन्होने संताली भाषा, में स्थानीय संताल आदिवासियों और राष्ट्रवादी नेताओ के बीच जनसंपर्क, का काम किया, इन्होने इस क्षेत्र में संताली भाषा से संताल समुदाय में, राष्ट्रवाद का प्रसार किया। आजादी के बाद इन्हे सूचना और जनसंपर्क, विभाग का अधिकारी बनाया गया।, , सुधेंदु नारायण शाहदेव नारायण १३, , ये सरायकेला घराने के प्रसिद्ध नर्तक है। जिन्हे 1992 में कला के क्षेत्र, में पदम श्री पुरस्कार प्रदान किया गया। 1938 में इन्होंने यूरोप में छऊ, नृत्य का प्रदर्शन किया। छऊ नृत्य के क्षेत्र में पदम सम्मान प्राप्त करने, वाले ये प्रथम व्यक्ति है।
Page 5 :
केदारनाथ साहू, , यह झारखंड के प्रसिद्ध छऊ नर्तक और प्रशिक्षक थे। इन्हे छऊ नृत्य, के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2005 में पदम श्री सम्मान से, सम्मानित किया गया। इनके शिष्य दो गोपालत्र प्रसाद दुबे को 2012 में, और शशधर आचार्य को 2020 छऊ नृत्य कला के क्षेत्र में पदमश्री, सम्मान मित्र चुका है। ये राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र, सरायकेला के, निदेशक थे। 1981 में इन्हे संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान, किया गया।, , श्याम चरण पति, , इन्हें 2006 में छऊ नृत्यकला के क्षेत्र में पदम श्री सम्मान मिला।, इसकी बेटी सुष्मिता पति भी प्रसिद्ध छऊ नृत्यांगना है।, , मंगला प्रसाद मोहती, , इन्हे 2008 में छऊ नृत्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए कला क्षेत्र में, पदम श्री पुरस्कार प्रदान किया -गया। ये सरायकेला खरसावां के निवासी, , है।