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गोंडवाना क्रम की चट्टानों का निर्माण, , इस क्रम के चट्टान का निर्माण दामोदर घाटी में, कार्बोनिफेरस युग से लेकर जुरैसिक युग तक तलछटीकरण, के कारण हुआ है। इस क्रम के चट्टान पलामू के हुटार से, धनबाद के झरिया तक एक अनियमित पट्टी के रूप में पाया, जाता है। कार्बोनिफेरस युग मे हरसिनियन हलचल में दबे, पेड़-पौधे के जीवाश्मों से लंबे समय अंतराल के बाद, कोयला का निर्माण हुआ।, , इस पट्टी के अलावा गोंडवाना क्रम के चट्टानों का विस्तार, उत्तरी कोयल घाटी, अजय नदी घाटी, राजमहल की, पहाड़ियों, गिरीडीह में भी पाया जाता है। झारखंड में, कोयला गोंडवाना क्रम के चट्टानों में ही पाया जाता है। इस, क्रम के चट्टानों में कोयला के अलावा बलुआ पत्थर भी, पाया जाता है। इसी चट्टानों से फायर क्ले का भी उत्पादन, , होता है।, राजमहल ट्रैप तथा दक््कन लावा की चट्टानों का निर्माण, , जुरैसिक काल में लावा प्रवाह के कारण राजमहल ट्रैप का, निर्माण हुआ है। जबकि क्रिटेशियस काल से इयोसीन काल, तक रुक रुक कर दरारों में लावा के प्रवाह के कारण, दक््कन लावा का निर्माण हुआ है। इस तरह की चट्टानें, साहेबगंज के उत्तरी-पूर्वी भाग तथा पाकुड़ के पूर्वी भाग में, पाया जाता है। संताल परगना के इस क्षेत्र के अलावा इस, तरह की चट्टानें पाट-प्रदेश में पाई जाती है। पाट प्रदेश, (गढ़वा, पलामू, लातेहार, गुमला) में इन चट्टानों के अपक्षय