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॥#०7 & 3126/॥70/५911 0/.॥19//0/1914, , झारखंड के लौह-इस्पात उद्योग, , भारत में सबसे पहले लौह उद्योग खोलने का प्रयास झरिया, में 1779 में मोटले फरफुहार और जोसिया हीथ द्वारा किया, गया मगर यह पूरा नहीं हो पाया। 1874 में पश्चिम बंगाल के, कुल्टी (आसनसोल) में भारत का पहला लौह उद्योग, "बंगाल आयरन वर्क्स" नाम से खोला गया। इस कंपनी को, बाद में बंगाल सरकार ने अधिग्रहण कर लिया और इसका, नाम "बराकर आयरन वर्क्स" कर दिया।, , टाटा स्टील, 7४8 5/8४/, , झारखंड में साकची नामक स्थान पे जमशेदजी टाटा ने, 1907 में 11500 (1819 ॥0०1 & 9166| 00710979) के, नाम से की गई। जिसका नाम 2005 में बदल कर अब टाटा, स्टील हो गया है। यह झारखंड का पहला और सबसे बड़ा, लौह इस्पात उद्योग है। इस उद्योग ने 1911 में लोहे का, और 1914 में इस्पात का उत्पादन शुरू किया। इस उद्योग, के स्थापना में झारखंड के प्रसिद्ध भूगर्वशास्त्री पी एन बोस, का बहुत बड़ा योगदान था। उन्होंने ही इस क्षेत्र में, लोह-अयस्क के भंडार का पता लगाया था।, , पी एन बोस ने गुरुमहिसानी के पहाड़ में लौह अयस्क के, भंडार का पता लगाया था। इसके ही सलाह पर जमशेदजी, टाटा ने साकची में स्टील प्लांट लगाया था।
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बना। इसे तीसरी पंचवर्षीय योजना के तहत 1964 में, बनाया गया था। 1965 से सोवियत संघ इसमें सहयोग देने, के लिए तैयार हुआ। इस उद्योग का निर्माण कार्य 6 अप्रैल, 1968 से प्रारंभ हुआ। इस उद्योग ने उत्पादन पहला, उत्पादन 1972 में किया। पूर्ण रूप से उत्पादन 1978 में, चालू हो गया।, , यह देश की पहली स्वदेशी इस्पात कारखाना है। इसमें, अधिकतर उपकरण, साजो समान और तकनीक स्वदेशी, है। पहले यह 50॥ (5166। #५॥०1॥9 01 ॥0908, 1171160) की सहायक कंपनी थी बाद में इसका 1978 में, 50॥ में विलय हुआ। इस उद्योग में 5 वात्य भट्टी है जिसमे, 4.5 मेट्रिक टन (45लाख टन) द्रव इस्पात बनाने की क्षमता, है। इस उद्योग का आधुनिकीकरण दक्षिण कोरिया की, कंपनी 70560 (70116 ॥01 & 5186] 007102॥५), के मदद से किया जा रहा है।, , संसाधनों की आपूर्ति, , लौह-अयस्क - इस उद्योग को लौह अयस्क की प्राप्ति, किरीबुरु (पश्चिमसिंहभूम) की खान से लौटती हुई मालगाड़ी, से प्राप्त होती है। टाटा स्टील के लिए जो मालगाड़ी झरिया, और वेस्ट बोकारो से कोयला लेके जाती है वही लौटते, समय लौह अयस्क लेकर आती है। अतः हम कह सकते है, कि बोकारो स्टील प्लांट "न्यूनतम परिवहन सिद्धान्त" में, काम करती है। इसके आलवा क्योंझर की खान से भी, (उड़ीसा) लौह-अयस्क की प्राप्ति होती है।, , विद्युत -85। को विद्युत की प्राप्ति 0४० से होती है।, कोयला - कोयला की प्राप्ति झरिया और बोकारो की खान, से होती है।