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कक कककककछकककक, , पदपरिचय, , , , पद-परिचय को समझने से पहले शब्द और पद का भेद समझना आवश्यक है।, , शब्द- वर्णों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं।, शब्द भाषा की स्वतंत्र इकाई होते हैं जिनका अर्थ होता है।, , , , पद - जब कोई शब्द व्याकरण के नियमों के अनुसार प्रयुक्त हो जाता है तब उसे, पद कहते हैं।, , उदाहरण-राम, पत्र, पढ़ना - शब्द हैं।, , राम पत्र पढ़ता है।, , , , राम ने पत्र पढ़ा-इन दोनों वाक््यों में अलग-अलग ढंग से प्रयुक्त होकर राम, पत्र, और पढ़ता है पद बन गए हैं।, , परिचय: में पदों विस्तृत व्याकरणिक परिचय, पद-परिचय- वाक्य में प्रयुक्त पदों का विस्तृत व्याकरणिक परिचय देना ही पदपरिचय कहलाता है।, , , , व्याकरणिक परिचय क्या है?, , वाक्य में प्रयोग हुआ कोई पद व्याकरण की दृष्टि से विकारी है या अविकारी, यदि, , बिकारी है तो उसका भेद, उपभेद, लिंग, वचन पुरुष, कारक, काल अन्य शब्दों के, , , , साथ उसका संबंध और अविकारी है तो किस तरह का अव्यय है तथा उसका, अन्य शब्दों से क या संबंध है आदि बताना व्याकरणिक परिचय कहलाता है।, , , , पदों का परिचय देते समय निम्नलिखित बातें बताना आवश्यक होता है , संज्ञा-तीनों भेद, लिंग, वचन, कारक क्रिया के साथ संबंध।, , , , सर्वनाम-सर्वनाम के भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया से संबंध।, , विशेषण-विशेषण के भेद, लिंग, वचन और उसका विशेष्य।, , कक कककल्कत्क क कक के कक १ध्५७४, , “औ-+ जज ज। 73! “जैज 7ज/ 3! “जैज! "जज “जैज 73 “जज "जज, “औ-+-+ “जज जऔ। 73! “जैज 73! “3 “जैज "जज “जज 3४ “४ “जैज 7! "जे!