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(8528 (1855-10 प्रांगतां, कट्शारा' 500000रा$, एच्मांग]|ं शागवफाशः - 8, कांपराधुं, , 1. आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?, , उत्तर:- 'कन्यादान' कविता नारी जागृति से सम्बंधित है। इन पंक्तियों में लड़की की कोमलता तथा कमज़ोरी को स्पष्ट किया गया है।, माँ स्वयं नारी होने के कारण समाज द्वारा निर्धारित सीमाओं और कथित आदर्शो के बंधनों के दुख को झेल चुकी थी। उन्हीं अनुभवों, के आधार पर वह अपनी बेटी को अपनी कमज़ोरी को प्रकट करने से सावधान करती है क्योंकि कमज़ोर लड़कियों का समाज में, शोषण किया जाता है।, , 2.1 'आग रोटियाँ सेंकने के लिए है।, , जलने के लिए नहीं', , इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?, , उत्तर:- इन पंक्तियों में समाज द्वारा नारियों पर किए गए अत्याचारों की ओर संकेत किया गया है। वह ससुराल में घर-गृहस्थी का काम, संभालती है। सबके लिए रोटियाँ पकाती है फिर भी उसे अत्याचार सहना पड़ता है। उसे दहेज की अग्नि में जला दिया जाता है।, , 2.2 'आग रोटियाँ सेंकने के लिए है।, , जलने के लिए नहीं', , माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों ज़रूरी समझा?, , उत्तर:- बेटी अभी सयानी नहीं थी, उसकी उम्र भी कम थी और वह समाज में व्याप्त बुराईयों से अंजान थी। माँ यह नहीं चाहती थी, कि उसके साथ जो अन्याय हुए हैं, वे सब उसकी बेटी को भी सहने पड़े। घर-गृहस्थी के नाम पर बहुओं को वस्त्र और गहनों से, प्रलोभित किया जाता है और अपने भोलेपन के कारण वह उस से निकलने का प्रयत्न भी नहीं करती। इसलिए माँ ने बेटी को सचेत, करना ज़रुरी समझा।, , 3. 'पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की, , कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की', , इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है उसे शब्दबद्ध कीजिए।, , उत्तर:- कविता की इन पंक्तियों से लड़की की कुछ विशेषताओं पर प्रकाश पड़ता है। ये निम्नलिखित हैं , (1) वह अभी पढ़ने वाली छात्रा ही है, उसकी उम्र कम है।उसके जीवन में केवल सुख है दुख नहीं।, , (2) वह अपने भावी जीवन की कल्पनाओं में खोई हुई है। जीवन की सच्चाईयों से अंजान है कि घर-गृहस्थी के नाम पर बहूओं पर, बंधन डाले जाते है और उन पर कई अत्याचार किए जाते हैं।