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अध्याय- । 3 विध्युत धारा के चुम्बकीय, , प्रभाव, , 0 चुम्बक वह पदार्थ है जो लौह तथा लौह युक्त चीजों को अपनी तरफ आकर्षित करती है।, चुम्बक के गुण :, , (]) प्रत्येक चुम्बक के दो ध्रुव होते हैं-उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव।, , (2) समान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।, , (3) असमान ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।, , (4) स्वतंत्र रूप से लटकाई हुई चुम्बक लगभग उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकती है, उत्तरी ध्रुव उत्तर, दिशा की और संकेत करते हुए।, , , , , , | 5, , , , , , , , चुम्बकीय क्षेत्र : चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें चुम्बक के बल का संसूचन किया, जाता है।, , & मात्रक : टेसला (७७।४) है।, , चुम्बकीय क्षेत्र में परिमाण व राशि दोनों होते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र को दिकूसूचक की सहायता से, समझाया जा सकता है।, , दिक्सूचक की सूई स्वतंत्र लटकी हुई एक छड़ चुम्बक होती है।, , चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण : क्षेत्रीय रेखाएं उत्तरी ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिणी ध्रुव, पर विलीन हो जाती हैं।, , 0 क्षेत्र रेखाएं बंद वक्र होती हैं।, , 0 प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र में रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिक निकट होती हैं।, , 06 दो रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करतीं क्योंकि यदि वे प्रतिच्छेद करती हैं तो, , इसका अर्थ है कि एक बिंदु पर दो दिशाएँ जो संभव नहीं हैं।, 0 चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता को क्षेत्र रेखाओं की निकटता की कोटि द्वारा दर्शाया जाता है।, , विज्ञान, कक्षा - %