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ऊर्जा के, , , , 0 ऊर्जा के विभिन्न रूप हैं तथा ऊर्जा के एक रूप को दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा, , सकता है।, 0 ऊर्जा का स्रोत, एक लम्बी अवधि तक सुविधाजनक रूप से ऊर्जा की पर्याप्त मात्रा प्रदान, करता है।, 0 ऊर्जा की आवश्यकता :, 0 खाना बनाने के लिए, 0 प्रकाश उत्पन्न करने के लिए, 0 यातायात के लिए, ७6 मशीनों को चलाने के लिए, 0 उद्योगों एवं कृषि कार्य में।, , ऊर्जा के उत्तम ग्रोत के लक्षण :, () प्रति एंकाक द्रव्यमान, अधिक कार्य करे (उच्च कैलोरोफिक माप), (2) सस्ता एवं सरलता से सुलभ हो।, (3) भण्डारण तथा परिवहन में आसान हो।, (4) प्रयोग करने में आसान तथा सुरक्षित हो।, (5) पर्यावरण को प्रदूषित न करे।, ईंधन :, 6 वह पदार्थ जो जलने पर ऊष्मा तथा प्रकाश देता है, ईंधन कहलाता है।, अच्छे ईंधन के गुण :, (]) उच्च कैलोरोफिक माप, , (2) अधिक धुआँ या हानिकारक गैसें उत्पन्न न करे।, (3) मध्यम ज्वलन ताप होना चाहिए।, , हर विज्ञान, कक्षा - % तु
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(4) सस्ता व आसानी से उपलब्ध हो।, (5) आसानी से जले।, (6) भडारण व परिवहन में आसान हो।, , , , | औ ही ज, ऊर्जा के पाएंपरिक स्रोत, ऊर्जा के वे स्रोत जो जनसाधारण द्वारा वर्षों से प्रयोग किए जाते हैं, ऊर्जा पारंपरिक स्रोत कहलाते, हैं।, उदाहरण-जीवाश्म ईंधन बायो मास।, , . जीवाश्म् ईंधन :, 0 जीवाश्म से प्राप्त ईंधन, उदाहरण-कोयला, पैट्रोलियम, जीवाश्म ईंधन कहलाते हैं।, 0 लाखों वर्षो में उत्पादन, सीमित भण्डारण, अनवीकरणीय स्रोत।, 0 भारतवर्षमेंविश्वका 6% कोयला भण्डार है जो कि वर्तमान दर से खर्च करने पर अधिकतम 250, वर्षों तक बने रहेंगे।, , जीवाश्म ईंधव जलाने पर उत्पन प्रदूषण/हानियाँ, () जीवाश्म ईंधन के जलने से मुक्त कार्बन, नाइट्रोजन एवं सल््फर के ऑक्साइड वायुप्रदूषण, तथा अम्लवर्षा का कारण बनते हैं जोकि जल एवं मृदा के संसाधनों को प्रभावित करती है।, (2) उत्पन्न कार्बन डाइ-ऑक्साइड ग्रीन हाउस प्रभाव को उत्पन्न करती है जिससे कि धरती पर, अत्यधिक गर्मी हो जाती है।, , जीवाश्म् ईंधव से उत्पन प्रदूषण को कम् करने के उपाय :, ]. दहन प्रक्रम की दक्षता में वृद्धि कर।, 2. विविध तकनीकों का प्रयोग कर, दहन के फलस्वरूप उत्पन्न गैसों के वातावरण में पलायन को, , कम करना।, छ ऊर्जा के स्रोत छ ज
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तापीय विद्युत संयंत्र :, 0 जीवाश्म ईंधन को जलाकर तापीय ऊर्जा घरों में ताप विद्युत उत्पन्न की जाती है।, , 0 तापीय विद्युत संयत्र कोयले तथा तेल के क्षेत्रों के निकट स्थापित किए जाते हैं, जिससे, परिवहन पर होने वाले व्यय को कम कर सकें।, , 6 कोयले तथा पैट्रोलियम की अपेक्षा विद्युत संचरण अधिक दक्ष होता है।, जल विद्युत संयंत्र, 0 जल विद्युत संयंत्र, गिरते हुए जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करते हैं।, 0 जल विद्युत संयंत्र, बाँधों से संबद्ध है। क्योंकि जल प्रपातों की संख्या बहुत कम है।, 6 भारत में ऊर्जा की मांग का 25% की पूर्ति जल-विद्युत संयत्रों से की जाती है।, लाभ :, () पर्यावरण को कोई हानि नहीं।, (2) जल विद्युत ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत।, , , , (3) बाँधों के निर्माण से बाढ़ रोकना तथा सिंचाई करना सुलभ।, हानियाँ :, () बाँधों के निर्माण से कृषियोग्य भूमि तथा मानव आवास डूबने के कारण नष्ट हो, जाते हैं।, (2) पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाते हैं।, , (3) पेड़ पौधों, वनस्पति का जल में डूबने से अवायवीय परिस्थितियों में सड़ने से मीथेन, गैस का उत्पन्न होना जो कि ग्रीन हाउस गैस है।, , (4) विस्थापित लोगों के संतोषजनक पुनर्वास की समस्या।, , , , , , , , , , , , , , , , बांध, ...... जनित्र, भावर लाइन. न वे |, ह्, है 3, नदी को «« वी, , , , ही विज्ञान, कक्षा - % च््छु
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ऊर्जा के पाएंपरिक स्रोतों के उपयोग के लिए प्रौद्योगिकी में सुधार, [. जैव मात्रा (बायो मास), , कृषि व जन्तु अपशिष्ट जिन्हें ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है जैसे-लकड़ी, गोबर, सूखे तने,, पत्ते आदि।, , (0) लकड़ी : लकड़ी जैव मात्रा का एक रूप है जिसे लम्बे समय से ईंधन के रुप में प्रयोग किया, जाता है।, , हानियाँ :, 6 जलने पर बहुत अधिक धुआँ उत्पन्न करती है।, 0 अधिक ऊष्मा का न देना, , , , अत: उपकरणों की तकनीकी में सुधार करके परंपरागत ऊर्जा स्रोतों की दक्षता बढ़ाई जा सकती, है। जैसे-लकड़ी से चारकोल बनाना।, , चारकोल : लकड़ी को वायु की सीमित आपूर्ति में जलाने से उसमें उपसिथत जल तथा, वाष्पशील पदार्थ बाहर निकल जाते हैं और अवशेष के रुप में चारकोल प्राप्त होता है।, , 0, की सीमित, , लकड़ी चारकोल, , चारकोल, लकड़ी से बेहतर ईंधन है क्योंकि।, , 0 बिना ज्वाला के जलता है।, , 0 अपेक्षाकृत कम धुआँ निकलता है।, , 0 ऊष्मा उत्पन्न करने की क्षमता अधिक होती है।, , गोबर के उपले : जैव मात्रा का एक रूप परन्तु ईंधन के रूप में प्रयोग करने में कई हानियाँ,, जैसे, 06 बहुत अधिक धुआँ उत्पन्न करना, , 0 पूरी तरह दहन न होने के कारण राख का बनना, , 0 परन्तुतकनीकी सहायता से, गोबर का उपयोग गोबर गैस संयत्र में होने पर वह एक सस्ता व उत्तम, , ईंधन बन जाता है।, , बायो गैस : गोबर, फसलों के कटने के पश्चात बचे अवशिष्ट, सब्जियों के अपशिष्ट तथा, वाहित मल जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होते हैं तो बायो गैस का निर्माण होता है।, अपघटन के फलस्वरूप मेथैन, कार्बन डाई-आक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी, गैसें उत्पन्न होती हैं। जैव गैस को संपाचित्र के ऊपर बनी टंकी में संचित किया जाता है, जिसे पाइपों, , द्वारा उपयोग के लिए निकाला जाता है।, हु ऊर्जाकेश्ोत (।७) जज
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संपाचित्र (डाइजेस्टर), , बायो गैस के लाभ :, () जैव गैस एक उत्तम ईंधन है क्योंकि इसमें 75% तक मेथैन गैस होती है।, (2) धुआँ उत्पन्न किए बिना जलती है।, (3) जलने के पश्चात कोयला तथा लकड़ी की भांति राख जैसा अपशिष्ट शेष नहीं बचता।, (4) तापन क्षमता का उच्च होना।, (5) बायो गैस का प्रयोग प्रकाश के स्रोत के रूप में किया जाता है।, , (6) संयंत्र में शेष बची स्लरी में नाइट्रोजन तथा फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं जो कि उत्तम, खाद के रूप में काम आती है।, , (7) अपशिष्ट पदार्थों के निपटारे का सुरक्षित उपाय :, , प्व॒त॒ ऊर्जा ;, 0 सूर्य विकिरणों द्वारा भूखंडों तथा जलाशयों के असमान गर्म होने के कारण वायु में गति, उत्पन्न होती है तथा पवनों का प्रवाह होता है।, , 0 पवतनों की गतिज ऊर्जा का उपयोग पवन चक्सकियों द्वारा निम्न कार्यों में किया जाता है।, (७) जल को कुओं से खींचने में, (७) अनाज चक्कियों के चलाने में, (०) टरबाइन को घूमाने में जिससे जनित्र द्वारा वैद्युत उत्पनन की जा सके।, , , , , , 0 परंतु एकल पवन चक्की से बहुत कम उत्पादन होता है, इसीलिए बहुत सारी पवन चक्कियों, को एक साथ स्थापित किया जाता है और यह स्थान पवन ऊर्जा फार्म कहलाता है।, , हर विज्ञान, कक्षा - % च््छु