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+ एकल स्वामित्व (Sole Proprietorship), अर्थ -, एकल, स्वामित्व, अकेला, स्वामी, अर्थात् 'एकल स्वामित्व' का अभिप्राय व्यावसायिक संगठनों के उस प्रारूप से, है जिसका स्वामी एक अकेला व्यक्ति होता है। वह ही इसका प्रबंध करता है तथा, सम्पूर्ण लाभ-हानि प्राप्त करता है।, एकल स्वामित्व के लक्षण या विशेषताएँ, 1. एकाकी स्वामित्व - व्यवसाय की सारी सम्पत्ति व साधनों का अकेला, स्वामी होता है।, :-, 2. पृथक वैधानिक अस्तित्व नहीं, व्यवसायी में कोई अंतर नहीं माना जाता। अर्थात् जो भी सम्पत्ति व, दायित्व व्यवसाय के हैं, वे सभी व्यवसयायी के ही होते हैं।, इस प्रारुप में व्यवसाय तथा, -, 1
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3. निर्माण, औपचारिकताओं को पूरा करने की आवश्यकता नहीं होती।, इस प्रारूप के निर्माण के लिए किन्हीं वैधानिक, -, 4. प्रबन्ध व नियन्त्रण, व्यापारी द्वारा किया जाता है।, व्यवसाय का प्रबन्ध व संचालन केवल एक ही, असीमित दायित्व, एकल स्वामी का, असीमित होता है। यदि, 5. असीमित दायित्व, दायित्व, व्यावसायिक संपत्तियाँ ऋणों के भगतान के व्यवसाय कठिनाई में आ जाए।, लिए पर्याप्त नहीं हैं तो उसकी निजी, संपत्ति का प्रयोग भी देनदारों को भुगतान | का स्वामी व्यक्तिगत रूप से इन, करने के लिए किया जा सकता है।, 6. अविभाजित जोखिम - अर्थात् लाभ भी, उसका तथा जोखिम (हानि) भी उसका।, 7. व्यवसायों के लिए उपयुक्त, को निजी सेवाएँ प्रदान करने के लिए व छोटे पैमाने के व्यवसाय जैसे, कृषि, सिलाई का कार्य, बेकरी, ब्यूटी पार्लर आदि के लिए इस प्रकार का, प्रारूप अत्यधिक उपयुक्त है।, 8. गोपनीयता, होती है इसलिए कोई भी बाहरी पक्षकार इनसे अनुचित लाभ नहीं उठा, इसका अभिप्राय है कि यदि, |और वह अपनी देनदारियों का, भुगतान न कर सके तो व्यवसाय, देनदारियों के भुगतान के लिए, जिम्मेदार होता है।, ग्राहकों, -, सभी महत्वपूर्ण बातों की जानकारी केवल स्वामी को ही, सकता।, एकल व्यापार के गुण -, 1. स्थापना में सुगमता - इसकी स्थापना करना तथा बंद करना बहुत, आसान है क्योंकि इसके लिए किसी प्रकार की वैद्यानिक, औपचारिकताओं को पूरा नहीं करना पड़ता।, 2. शीघ्र-निर्णय - एकल व्यापारी निर्णय शीघ्रता से ले सकता है क्योंकि, उसे निर्णय लेने के लिए किसी से सलाह या अनुमति लेने की, आवश्यकता नहीं होती।, 3. गोपनीयता का लाभ, क्योंकि उनका ज्ञान केवल एक ही व्यक्ति स्वामी को होता है।, 4. प्रत्यक्ष प्रेरणा - परिश्रम व प्रतिफल में सीधा सम्बन्ध होने के कारण, स्वामी को कठिन परिश्रम करने की प्रेरणा मिलती है।, 5. व्यक्तिगत नियंत्रण - एकल व्यापारी अपने ग्राहकों व कर्मचारियों से, व्यक्तिगत संपर्क बनाए रखता है जिससे कम समय व लागत पर अधिक, व अचछा कार्य संभव होता है।, व्यवसाय के महत्वपूर्ण रहस्य सुरक्षित रहते हैं।, 2
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एकल व्यापार की सीमाएं-, 1. सीमीत वित्तीय साधन, की अपनी स्वयं की पूंजी तथा उसकी रुपया उधार लेने की क्षमता तक, सीमति होते हैं।, 2. सीमित प्रबंधकीय कुशलता - इसमें सभी कार्य एकाकी व्यापारी द्वारा, किए जाते हैं जो सभी क्षेत्रों में कुशल नहीं हो सकता । वह कुशल, कर्मचारी की नियुक्ति करने में भी सक्षम नहीं होता।, 3. असीमित दायित्त्व - एकाकी स्वामी निजी रूप से सभी ऋणों के लिए, उत्तरदायी होता है, इस कारण वह जोखिम लेने से कतराता है।, 4. अस्थायी अस्तित्व - व्यवसाय का जीवन, पूर्ण रूप में स्वामी से जुड़ा, हुआ होता है। स्वामी की मृत्यु, पागलपन, दिवालिया होने की दशा में, व्यवसाय बंद करना पड़ता है।, 5. विस्तार के लिए सीमित अवसर -, कुशलता के कारण व्यवसाय का विस्तार बहुत अधिक नहीं किया जा, एकाकी व्यापार में वित्तीय साधन व्यवसायी, -, सीमित पूंजी तथा प्रबन्धकीय, सकता।, एकल स्वामित्त्व की उपयुक्तता, संगठन का यह स्वरूप निम्नलिखित दशाओं में उपयुक्त हैं।, उन व्यवसायों में जहाँ कम पूंजी व सीमित प्रबन्धकीय योग्यता की, आवश्यकता पड़ती हो। जैसे फुटकर व्यापार ।, उन व्यवसायों में जहाँ ग्राहकों को व्यक्तिगत सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जैसे कपड़े सिलने में, बाल काटने में, दवा तथा कानून संबंधी सलाह देने, में।, अप्रमाणित वस्तुओं जैसे ऑर्डर पर जेवर बनाने के उत्पादन में ।, 3