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6६06127#१४ 87 5॥॥५#॥0 518 २1(॥ ८0७5555 8527809686/9289564254, ढाल वाले प्रदेश की प्रवणता 2 से 5 डिग्री 5 के बीच होती है।, , ढात्र वाले प्रदेश की गहराई 200 मीटर एवं 3,000 मीटर के बीच होती है।, ढाल्र का किनारा महादवीपों के समाप्ति को इंगित करता है।, इसी प्रदेश में कैनियन (गभीर खड्ड ) एवं खाइयाँ दिखाई देते हैं।, , ४ गंभीर सागरीय मैदान, , गभीर सागरीय मैदान महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं।, ये विश्व के सबसे चिकने तथा सबसे सपाट भाग हैं।, , इनकी गहराई 3,000 से 6,000 मीटर के बीच होती है।, , ये मैदान महीन कणों वाले अवसादों जैसे मृत्तिका एवं गाद से ढके होते हैं।, , , , ४ महासागरीय गर्त, , ये महासागरों के सबसे गहरे भाग होते हैं।, , ये गर्त अपेक्षाकृत खड़े किनारों वाले संकीर्ण बेसिन होते हैं।, , अपने चारों ओर की महासागरीय तली की अपेक्षा ये 3 से 5 किमी० तक गहरे होते हैं।, , ये महादवीपीय ढाल के आधार तथा दवीपीय चापों के पास स्थित होते हैं एवं सक्रिय ज्वालामुखी तथा प्रबल, भूकंप वाले क्षेत्रों से संबंधित होते हैं।, , ये प्लेटों के संचलन के अध्ययन के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण हैं।, , अभी तक लगभग 57 गर्तों को खोजा गया है, जिनमें से 32 प्रशांत महासागर में, 19 अटलांटिक महासागर में, एवं 6 हिंद महासागर में हैं।, , > महासागरीय उच्चावच की लघु आकृतियाँ, , ४ मध्य - महासागरीय कटक, एक मध्य-महासागरीय कटक पर्वतों की दो शृंखलाओं से बना होता है, जो एक विशाल अवनमन द्वारा अलग, किए गए होते हैं।, , इन पर्वत श्रृंखलाओं के शिखर की ऊँचाई 0 200, , 2,500 मीटर तक हो सकती है, इनमें से कुछ समुद्र की सतह तक भी पहुँच न, सकती हैं इसका उदाहरण आईसलैंड है जो बी कफ, मध्य अटलांटिक कटक का एक भाग है।