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6६061871#1४ 8४ 50180#॥0 5॥₹२ रि(५ (८1७५५६५ 8527809686/9289564254, , २1((४ (1/5५555, , 207 65061/587॥1१, €182शह? - 9, , > सूर्यातप, पृथ्वी के पृष्ठ पर प्राप्त होने वाली ऊर्जा का अधिकतम अंश ब्रघु तरंगदैर्घ्य के रूप में होता है। इस ऊर्जा को 'आगमी, सौर विकिरण' या छोटे रूप में 'सूर्यातप' कहते हैं।, वायुमंडल की ऊपरी सतह पर प्राप्त होने वाली सौर उर्जा में प्रतिवर्ष थोड़ा परिवर्तन होने का कारण पृथ्वी और सूर्य के, , बीच अंतर है।, परिभ्रमण के दौरान सूर्य और पृथ्वी के मध्य सबसे दूर होने की स्थिति (15 करोड़ 20 लाख किमी) को अपसौर और सबसे, निकट की दूरी (14 करोड़ 70 लाख किमी) को उपसौर कहा जाता है।, , , , , , पृथ्वी की सतह पर सूर्यातप में होने वाली विभिन्नता के कारक, 1) पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना, 2) सूर्य की किरणों का नति कोण, 3) दिन की अवधि, 4) वायुमंडल्र की पारदर्शिता, 5) स्थल्न विन््यास, 1) पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना- पृथ्वी का अक्ष सूर्य के चारों ओर परिक्रमण की समतल कक्षा से 66 1/2", का कोण बनाता है जो विभिन्न अक्षांशों पर प्राप्त होने वाले सूर्यातप की मात्रा को बहुत प्रभावित करता है।, 2) सूर्य की किरणों का नति कोण- सूर्यातप की मात्रा किरणों के नति कोण द्वारा प्रभावित होती है। यह किसी, स्थान के अक्षांश पर निर्भर करता है। अक्षांश जितना उच्च (अर्थात् धुवों की ओर) होगा किरणों का नति कोण उतना ही, , कम होंगा। अतएव सूर्य की किरणें तिरछी पड़ेगी। तिरछी किरणों की अपेक्षा सीधी किरणें कम स्थान पर पड़ती हैं।, 1
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6६061१871#1४7 87 5॥18#॥10 5॥₹२ २॥(॥ (01७5565 8527809686/9289564254, किरणों के अधिक क्षेत्र पर पड़ने के कारण ऊर्जा वितरण बड़े क्षेत्र पर पड़ता है तथा प्रति इकाई क्षेत्र को कम ऊर्जा मि्नती, , है। इसके अतिरिक्त तिरछी किरणों को वायुमंडल की अधिक गहराई से गुजरना पड़ता है। अतः अधिक अवशोषण,, प्रकीर्णन एवं विसरण के द्वारा ऊर्जा का अधिक हास होता है।, , 3) अक्षांश- कर्क रेखा के उत्तर में और मकर रेखा के दक्षिण में जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते जाते हैं वहाँ का तापमान, घटता जाता है। इसलिए 66 उत्तरी अक्षांश और 66" दक्षिणी अक्षांश के ऊपरी भाग में शीत कटिबंध पाया जाता है। जहाँ, पर वर्ष भर तापमान निम्न रहता है। इस क्षेत्र में वर्ष के अधिकांश महीनों में बर्फ रहती है। इसका मुख्य कारण यहाँ सूर्य, की तिरछी किरणों का पड़ना है। इस प्रकार अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली सौर, , , , , , है| 90" ॥ ०५९, , कि) ०-२ 0* |[## 006, 49" $ [01९, , हर, 90 $ 04९, , विकिरण की मात्रा को प्रभावित करता है।, , 4) वातावरण की पारदर्शिता - वायुमंडल त्रघु तरंग दैध्य सौर विकिरण के लिए काफी हद तक पारदर्शी, होती है। आने वाली सौर विकिरण पृथ्वी की सतह से टकराने से पहले वायुमंडल से गुजरती है।, क्षोभमंडल के भीतर जल वाष्प, ओजोन और अन्य गैसें निकट अवरक्त विकिरण का अधिकांश भाग, अवशोषित करती हैं |, , , , > सौर विकिरण का वायुमंडत्र से होकर गुज़रना, « लघु तरंगदैध्य वाले सौर-विकिरण केलिए वायुमंडल अधिकांशतः पारदर्शी होता है।, « पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से पहले सूर्य की किरणों वायुमंडल से होकर गुजरती हैं।
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6६061871४ 87 5॥&0॥॥0 5॥२ रि(५ (८1७५५६५ 8527809686/9289564254, , > तापमान के वितरण को नियंत्रित करने वाले कारक, () अक्षांश ([9/1५०९) : किसी भी स्थान का तापमान उस स्थान द्वारा प्राप्त सूर्यातप पर निर्भर करता है। सूर्यातप की, मात्रा में अक्षांश के अनुसार भिन्नता पाई जाती है। अत: तदनुसार तापमान में भी भिन्नता होती है।, , , , (1) उत्तुंगता (8॥४४५०९) : वायुमंडल पार्थिव विकिरण द्वारा नीचे की परतों में पहले गर्म होता है। यही कारण है कि समुद्र, तल के पास के स्थानों पर तापमान अधिक तथा ऊँचे स्थानों पर तापमान कम होता है।, , (॥) समुद्र से दूरी : (क) स्थल की अपेक्षा समुद्र धीरे-धीरे गर्म और धीरे-धीरे ठंडा होता है। (ख) इसके विपरीत स्थल, जल्दी गर्म और ठंडा होता है। इसीलिए समुद्र के ऊपर स्थत्र की अपेक्षा तापमान में भिन्नता कम होती है।, (ग) समुद्र के निकट स्थित क्षेत्रों पर समुद्र एवं स्थली समीर का सामान्य प्रभाव पड़ता है और तापमान सम रहता है।, , , , (५) वायु संहति और महासागरीय धाराएँ : (क) कोष्ण वायु संहतियों (४४३४8 ४॥113556%) से प्रभावित होने वाले स्थानों, का तापमान अधिक और शीत वायुसंहतियों ((०॥७ ॥11३5५९७) से प्रभावित स्थानों का तापमान कम होता है।, , (ख) इसी प्रकार ठंडी महासागरीय धारा के प्रभाव के अंतर्गत आने वाले समुद्र तटों की अपेक्षा गर्म महासागरीय धारा के, प्रभाव में आने वाले तटों का तापमान अधिक होता है।, , > जनवरी में पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्दूध के बीच तापमान का विश्व्यापी वितरण, () मानचित्र पर तापमान वितरण सामान्यतः समताप रेखाओं से दर्शाया जाता है।, यह वह रेखा है जो समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ती है, (0) सामान्यतः तापमान पर अक्षांश का प्रभाव होता है क्योंकि समताप रेखाएँ प्रायः अक्षांश के समानांतर होती हैं। इस, , , , , , सामान्य प्रवृत्ति में विचलन जनवरी में अधिक स्पष्ट होता है।, , (॥) दक्षिण गोलार्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्ध में स्थलीय भाग अधिक है इसलिए भूसंहति और समुद्री धारा का प्रभाव वहाँ, स्पष्ट होता है। जनवरी में समताप रेखाएँ महासागर के उत्तर और महादवीपों पर दक्षिण की ओर विचलित हो जाती हैं।, (५) कोष्ण महासागरीय धाराएँ गल्फ स्ट्रीम तथा उत्तरी अटल्लांटिक महासागरीय ड्रिफ्ट की उपस्थिति से उत्तरी, अटलांटिक महासागर अधिक गर्म होता है और समताप रेखाएँ उत्तर की तरफ मुड़ जाती हैं।, , (५) सतह के ऊपर तापमान तेजी से कम हो जाता है और समताप रेखाएँ यूरोप में दक्षिण की ओर मुड जाती हैं। साइबेरिया, में 60" पूर्वी देशांतर के साथ-साथ 80' उत्तरी एवं 50" उत्तरी दोनों ही अक्षांशों पर जुलाई का माध्य तापमान 20" सेल्सियस, , , , , , 5