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0 1 शडयो की यही विशेषताएं उसे अन्य संचार, 290 फल काश खज . !, , फ़िल्मी गाने नहीं सुनने हैं ? ;, साधनों से अलग करती हैं। संस्कृति पर किस प्रकार हे सका वर्ष पुरानी परंपरा का हिस्सा होना।, >चैशन 10. रेडियो भारतीय संस्केति बड़ा कारण है भारत. (रंपरा और संस्कृति का एक हिस्सा है। भारतीय, , हा की लोकप्रियता का सबसे बड़ हमारी पर : श्रति-आवृत्ति-स्मृति' ये, ५ --रेडियो की ल संचार साधन हैं। है। भारत ' श्रुति- स्मृति” का देश रहा, , भारत का सबसे पुराना और उपयुक्त सः बलि शब्दों पर आधारित जनों उतारते हैं। रेडियो ठीक प्रकार से मं, संस्कृति और उसकी सामाजिक 53 याद॑ रखते हैं और उसे रेडियो एके तरंह से गाँव की अलाव-संस्कृति का, अर्थात् यहां लोग पहले सुनते हैं दोहराना और याद रखना। रेडियो ए * कार के गीत सुनना-सुनाना, कहानियां सुन, 1३७४७ ले 0» ० बैठकर बातें किया |. ३०3४ के साथ-साथ गाना गुनगुना, कर मनोरंजन, है। पहले लोग अलाव ग साझा करना आदिं। रा ३०४३ से इसी संस्कृति को, , गँ और साझ कल शेक्नोलॉजी के माध्यम से इसी संस्कृति को दूर-दूर, गज मल मत का दूसरा रूप है। आज रेडियो, , फैला रहा है। हैं? वर्णन करें। जो, , अंडा 11. रेडियो व्याकरण से आप क्या शक “लक उसी तरह जनसंचार के माध्यमों का भी अपना एक, “४ अत्तर--प्रत्येक भाषा का एक निश्चित व्याकरण का व्याकरण लिखित होता है जबकि रेडियो व्याकरण लिखित रूप, , व्याकरण होता है। अंतर केवल इतना है कि 3 $ अपने पूर्ववर्ती लोगों को देखकर या सुनकर प्राण, में रेडियो, प्रसारक व्याकरण स समाचारों का व्याकरण भाषा के व्याकरण, रस शरपत में भी लिखित भाषा का व्याकरण 330० ०७» ले वि करिता में “छः: ककार' का होना, ये न कर “, किन मे सशक्त कहाँ, कौन। इन ककारों में एक ककार और जोड़ना चाहिए, 00, , निश्चित होता है।,ये छ: ककार हैं-- क्या, कैसे, कब, में किस प्रकार होता है, एक उदाहरण देखिए-., , ककारों वाक्य, जैसे 'कौन' अथवा 'किसने '। इन सभी ककारों का एक समाचार कमी के, ड्राइवर की लापरवाही के कारण कल शाम हुई रेल दुर्घटना बाद ग्र ने कल दिल्ली न् कहा कि सरकार भविष्य, , में ऐसी दुर्घटनाएं रोकने के उपाय करेगी। े है, इस वाक्य में सभी पांच ककारों के साथ 'किसने' अथवा 'कौन' का भी सफल प्रयोग हुआ है। ।, रेडियो व्याकरण में अद्र्धविराम, पूर्ण विराम, प्रश्वाचक और विस्मयादिबोधक चिहन, तथा उद्रण चिहन भी होते हैं।, , रेडियो व्याकरण में इन चिहनों कां प्रयोग लिखकर नहीं बोलकर प्रयोग किया जाता है। इन चिहनों के सही प्रयोग से ही एक, अच्छा प्रसारक अपनी बात को श्रोता तक ठीक ढंग से पहुंचा सकता है। वह वाचिक व्याकरण चिहनों के सहारे अपनी बात, को स्पष्ट ढंग से कह सकता है। शुद्ध उच्चारण के साथ-साथ शब्दों के अंतर तथा आवाज़ के उतार-चढ़ाव से वह महत्त्वपूर्ण, बातों पर ज़ोर देता है तथा श्रोता के समक्ष उन्हें रेखांकित कर देता है। वैसे तो रेडियो व्याकरण में विशेषता प्राप्त करना कठिन, कार्य है परंतु नियमित अभ्यास और मेहनत से इसे प्राप्त किया जा सकता है।, प्रश्न 12. रेडियो और रेडियो पत्रकारिता का भविष्य किस प्रकार उज्ज्वल है ? स्पष्ट करें।, £ उत्तर--सूचना और प्रौद्योगिकी के आधुनिक युग में रेडियो और रेडियो पत्रकारिता का भविष्य एकदम सुरक्षित एवं, उज्ज्वल है। आज प्रसारण की नीति के फलस्वरूप निजी क्षेत्र में रेडियो पत्रकारिता की भागीदारी बढ़ी है। निजी क्षेत्र, की भागीदारी के कारण रेडियो और रेडियो और रेडियो पत्रकारिता अधिक सुरक्षित एवं व्यापक हो गई है। भविष्य में, रेडियो केवल निम्न एवं मध्यम वर्ग अथवा दूर-दराज़ तक ही सीमित नहीं रहेगा। बल्कि महानगरीय जीवन में भी रेडियो, और रेडियो पत्रकारिता की उपस्थिति निरंतर रहेगी। गत पांच वर्षों में रेडियो क्षेत्र में हलचल मच गई है। प्रतिदिन नयेनये रेडियो चैनल शुरू हो रहे हैं। सरकार भी इन नये चैनलों को प्रतिहित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।, गृहिणियां अब रेडियो से लगातार जुड़ रही हैं। रसोई में काम करते-करते रेडियो में, है। आधुनिक युग में सुनना उनकी दिनचर्या में सम्मिलित ., चुनिक युग में सामुदायिक रेडियो कौ परिकल्पना की जा रही है। यह परिकल्पना होगी तो शै्, संस्थानों के अपने अलग-रेडियो केंद्र होंगे। इसकी भी कल्पना की जा सकती हा मे ब, स्टेशन हो। कती है। प्रत्येक मोहल्ले में अपना रेडियो, जब इतने सारे रेडियो केंद्र होंगे तो जाहिर ख्या में ", भी होगी। समाचारों का प्रसारण निजी क्षेत्र गा, संख्या में प्रशिक्षित रेडियो कर्मियों की आवश्यकता, क्रांति से कम नहीं। इन प्रसारण केंद्रों के लिए पत्रकारों,