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अध्याय-11, विपणन प्रबन्ध, बाज़ारः-, बाजार एक ऐसा स्थान है जहाँ क्रेता एवं विक्रेता मिलते हैं तथा क्रय एवं विक्रय करने के कार्य, करते हैं। परम्परागत रूप से बाजार एक ऐसा स्थान माना जाता था जहाँ क्रेता एवं विक्रेता किसी, उत्पाद या किसी सेवा के आदान-प्रदान में लगे हुए हो । परन्तु अब व्यवसाय टेलिफोन, मेल,, इन्टरनेट आदि के माध्यम से संचालित किया जाता है । आधुनिक विपणन अर्थ में विपणन शब्द, का व्यापक आशय है। यह किसी वस्तु या सेवा के वास्तविक एवं सम्मिलित क्रेताओं के समूह, को संदर्भित करता है।, विपणनकर्ता या विक्रेताः-, यदि ग्राहक संतुष्टि का तलाशकर्ता है तो विपणनकर्ता सुतुष्टि का प्रदाता होता है । विपणनकर्ता, वह व्यक्ति व संगठन हो सकता है तो वस्तु या सेवाएँ उपलब्ध कराता है तथा ग्राहकों की, आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए इन्हें ग्राहकों को प्रस्तावि करता है ।, विपणनः-, यह एक सामाजिक प्रक्रिया है जहाँ लोग मुद्रा अथवा कोई वस्तु जो उसके लिए महत्वपूर्ण हो,, के बदले वस्तुओं एवं सेवाओं का आदान प्रदान करते हैं।, कोई भी वस्तु जो किसी दूसरे के लिए कीमती है, उसका विपणन किया जा सकता है ।, 1., भौतिक उत्पाद, टी.वी. सेल फोन आदि।, 2., सेवाएँ - विभिन्न पदों के लिए उम्मीदवारों का चुनाव, 3., व्यक्ति- विभिन्न पदों के लिए उम्मीदवारों का चुनाव, 4., स्थान- आगरा, ताजमहल आदि।, व्यवसायिक अध्ययन, XII
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ग्राहक हेतु बेहतर मूल्यः- उत्पाद को प्रतियोगियों से बेहतर बनाना। इस प्रकार विपणन, प्रबन्ध उत्पाद एवं सेवाओं में बेहतर मूल्य प्रदान करता है।, 3., विपणन एवं विक्रयः- एक तुलना, विपणन एवं विक्रयण का आशय एवं अवधारणाः-, विपणन एक व्यापक शब्द है। यह विभिन्न गतिविधियों के समूह को संदर्भित करता है, जिसमें, विक्रय भी एक भाग होता है । विपणनकर्ता बिक्री करने से पूर्व विभिन्न कार्य जैसे उत्पादन के, प्रकार एवं डिजाइनिंग का नियोजन करना, कीमत का निर्धारण, वितरण माध्यम का चयन आदि, कार्य करता है।, विक्रयण प्रचार, संवर्द्धन एवं विक्रय कला के माध्यम से माल एवं बिक्री को संदर्भित करता है।, विक्रयण का मुख्य उद्देश्य ग्राहक को उत्पाद बेचना होता है । विक्रयण से उत्पाद को रोकड में, बदला जा सकता है।, विक्रयण तथा विपणन में अंतरः-, क्र.सं. आधार, विक्रयण, विपणन, विक्रयण विपणन प्रक्रिया का, केवल एक भाग है।, क्षेत्र, विपणन एक व्यापक शब्द है, जिसमें गतिविधियों जैसे-, ग्राहकों की आवययकताओं, कीमत, 1, की पहचान करना,, तय करना इत्यादि।, माल के आधिपत्य व स्वामित्व | ग्राहकों की आवश्यकता, को विक्रेता से ग्राहक को, हस्तान्तरित करना।, 2, ध्यान देना, संतुष्टि को अधिकतम करने, पर जोर देता है।, ग्राहकों को राजा माना जाता, है। ग्राहक संतुष्टि के माध्यम, उत्पाद को वरीयता दी जाती, है। अधिकतम विक्रय करना, होता है।, 3, माध्यम, (उद्देश्य), से लाभ कमाना होता है, वास्तविक उत्पादन प्रारम्भ, गतिविधियों, यह उत्पाद से शुरू होतो है, तथा बिक्री पर समाप्त होता, 4, होने से शुरू हो जाता है तथा, विक्रय होने के बाद भी जारी, है।, रहता है।, समन्वित पिणन प्रयास, रणनीतियाँ, विक्रय संवर्द्धन तकनीकें, व्यवसायिक अध्ययन, XII