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अध्याय- 4, , नियोजन, , , , त् अन्तर (6870) ि, नियोजन ही इस अन्तर (500), को पूरा करता है, (वर्तमान स्थिति) (भावी स्थिति), न हैं हम कहाँ जाना, हुस कही है? चाहते हैं।, , , , अर्थ, , नियोजन पूर्व में ही यह निश्चित कर लेना है कि क्या करना है कब करना है तथा किसे करना, है। नियोजन हमेशा कहाँ से कहाँ तक जाना है के बीच के रिक्त स्थान को भरता है। यह प्रबन्ध, के आधारभूत कार्यों में से एक है। इसके अन्तर्गत उद्देश्यों एवं लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता, है तथा उन्हें प्राप्त करने के लिए एक कार्य-विधि का निर्माण किया जाता है।, , नियोजन का महत्त्वः, 1. नियोजन, निर्देशन की व्यवस्था हैः- किया जाना है इसका पहले से ही मार्गदर्शन करा, कर नियोजन निर्देशन की व्यवस्था करता है। यह पूर्व निर्धारित क्रियाविधि से संबंधित, होता है।, , 2. नियोजन अनिश्चितत के जोखिम को कम करता हैः- नियोजन एक ऐसी क्रिया है जो, प्रबन्धनो को भविष्य में झांकने का अवसर प्रदान करती है। ताकि गैर-आशान्वित, घटनाओं के प्रभाव को घटाया जा सकें।, , 3. नियोजन अपव्ययी क्रियाओं को कम करता हैः- नियोजन विभिन्न विभागों एवं, व्यक्तियों के प्रयासों में तालमेल स्थापित करता है जिससे अनुपयोग गतिविधियाँ कम, होती हैं।, , , , व्यवसायिक अध्ययन - जया
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नियोजन नव प्रवर्तन विचारों को प्रोत्साहित करता हैः- नियोजन विभिन्न विभागों, एंव व्यक्तियों के प्रयासों में तालमेल स्थापित करता है जिससे अनुपयोगी गतिविधियाँ कम, होती है।, , नियोजन निर्णय लेने को सरल बनाता हैः- नियोजन प्रबन्धकों का प्राथमिक कार्य है, इसके द्वारा नये विचार योजना का रूप लेते है। इस प्रकार नियोजन प्रबन्धकों को, नवीकीकरण तथा सृजनशील बनाता है।, , नियोजन निर्णय लेने को सरल बनाता हैः- प्रबन्धक विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकन, करके उनमें से सर्वोत्तम का चुनाव करता है। इसलिए निर्णयों को शीघ्र लिया जा सकता, है।, , नियोजन नियन्त्रण के मानकों का निर्धरण करता हैः- नियोजन वे मानक उपलब्ध, कराता है जिसके वास्तविक निष्पादन मापे जाते हैं तथा मूल्यांकन किए जाते हैं नियोजन, के अभाव में नियन्त्रण अन्धा है। अतः नियोजन नियन्त्रण का आधार प्रस्तुत करता है।, , , , , , प्र०1 प्रबन्ध का कौन सा कार्य है जो इस अन्तराल को भरता है “कि हम कहाँ, , प्र०2 प्रबन्ध के उस कार्य को पहचानिए जो एक प्रबन्धक को इस योग्य बनाता, , हैं तथा कहाँ पहुंचना चाहते हैं।”, , है जिसे वह आगामी बदलाव की व्यवस्था कर सके। इस कार्य को महत्व का, वर्णन भी कीजिए।, , , , , , नियोजन की विशेषताएं (177९॥एा९७), , 1., , नियोजन का ध्यान उद्देश्य प्राप्ति पर केंद्रित होता हैः- प्रबन्ध का शुभारंभ नियोजन, से होता है और नियोजन का शुभारंभ उद्देश्य निर्माण से। उद्देश्य के अभाव में किसी, संगठन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।, , नियोजन प्रबन्ध का सर्वोपरि कार्य हैः- नियोजन प्रबन्ध का प्रथम कार्य है। अन्य सभी, कार्य जैसे संगठन नियुक्तिकरण, निर्देशन व नियंत्रण इसके बाद ही किए जाते हैं।, नियोजन के अभाव में प्रबन्ध का कोई भी कार्य पूरा नहीं किया जा सकता।, , नियोजन सर्वव्यापक हैंः- क्योंकि नियोजन कार्य पर उपक्रम के सभी स्तरों के प्रबन्धकों, द्वारा किया जाता है। इसलिए इसे सर्वव्यापक कहना उचित होगा। योजना बनाना प्रत्येक, , , , व्यवसायिक अध्ययन - >या
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प्रबन्धक का जकरी का है चाहे वह प्रबन्धक संस्था का प्रबन्ध संचालक हो या कारखाने, में कार्य करने वाला कोई फोरमेन।, , नियोजन सतत हैः- नियोजन एक सततृ् प्रक्रिया है क्योंकि योजनाएं एक विशेष समय, के लिए बनाई जाती हैं। अतः प्रत्येक समयावजि के बाद एक नई योजना की आवश्यकता, होती है।, , नियोजन भविष्य वादी हैः- नियोजन के अन्तर्गत यह निश्चित किया जाता है कि क्या, क्या जाना है? कैसे किया जाना है? कब किया जाना है? सिके द्वारा किया जाना है?, ये सभी भविष्य से संबंधित है।, , नियोजन में निणर्यन सम्मितित हैः- नियोजन की आवश्यकता उस समय पड़ती है जब, किसी क्रिया को करने के लिए अनेक विकल्प उपलब्ध हों। नियोजनकर्ता विभिन्न विकल्पों, में से सर्वधिक उपयुक्त विकल्प का चयन करता है। इसीलिए कहा जाता है कि नियोजन, में निर्ण्यन सम्मिलित है।, , नियोजन एक मानसिक अभ्यास हैः- नियोजन का संबंध कुछ करने से पहले सोचने, के साथ है इसीलिए इसे मानसिक अभ्यास कहा जाता है।, , नियोजन की सीमाएऐं, (क) आंतरिक सीमाएँ, , 1., , नियोजन दृढ़ता करता हैः- नियोजन व्यक्तियों की पहलशीलता एवं सृजनशीलता को, हतोत्साहित कर सकता है। एक बार योजना बन जाने के बाद प्रबन्धक वातावरण में हुए, परिवर्तनों को ध्यान में रखे बिना कठोरतापूर्वक इसका पालन करते है। अतः वे नए, विचार एवं सुझाव लेना और देना बंद कर देते है। इसलिए विस्तृत नियोजन संगठन में, कठोर रूपरेखा का सृजन कर सकता है।, , नियोजन परिवर्तनशील वातावरण में प्रभावी नहीं रहताः- नियोजन भविष्य के बारे, में किए गए पूर्वानुमानों पर आधारित होता है, क्योंकि भविष्य अनिश्चत एवं परिवर्तनशील, होता है, इसलिए पूर्वानुमान प्रायः पूर्ण रूप से सही नहीं हो पाते।, , नियोजन रचनात्मकता को कम करता हैः- नियोजन उच्च प्रबन्ध द्वारा किया जाता है,, जो अन्य स्तरों की रचनात्मकता को कम करता है।, , , , व्यवसायिक अध्ययन - जया
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नियोजन में भारी लागत आती हैः- धन एवं समय के रूप में नियोजन में ज्यादा लागत, आती है।, , नियोजन समय नष्ट करने वाली प्रक्रिया हैः- कभी-कभी योजनाएँ तैयार करने में, इतना समय लगता है कि उन्हें लागू करने के लिए समय नहीं बचता है।, , नियोजन सफलता का आश्वासन नहीं हैः- उपक्रम की सफलता उचित योजना के, उचित क्रियान्वयन पर निर्भर करती है। प्रबन्धकों की पूर्व में आजमायी गयी योजना पर, विश्वास करने की प्रवृत्ति होती है, परन्तु यह सदैव आवश्यक नहीं है कि पहली योजना, दोबारा भी सफल सिद्ध हो।, , (ख) बाहरी सीमाएँ:- नियोजन से सम्बन्धित वे सीमाएँ जिन पर संगठन का कोई नियन्त्रण, नहीं होता बाहरी सीमाएँ कहलाती है। इनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं :, हि, , ० अ, , सरकारी नीति में परिवर्तन होने के कारण नियोजन असफल हो सकता है।, , प्राकृतिक कारणों जैसे बाढ़, भूकंप, आदि के कारण भी नियोजन की सफलता प्रभावित, हो सकती है।, , प्रतियोगियों द्वारा अपनाएं जाने वाली व्यूह रचना में बदलाव के कारण भी एक संगठन, का नियोजन प्रभावित हो सकता है।, , तकनीक में होने वाले निरंतर बदलाव के कारण भी नियोजन प्रभावहीन हो सकता है।, , आर्थिक तथा सामाजिक पर्यावरण के परितर्वन से भी नियोजन असफल हो सकता है।, , , , , , प्र०.। 5४ लिमिटेड एक कम्नी अपने कर्मचारियों के विचारों एवं सुझावों को ध्यान, , प्र०22. राहुल अलफा लिमिटेड में एक प्रबन्धक के पद पर कार्य कर रहा है। उसके, , में नहीं रखती एवं पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार कार्य करती है।, नियोजन की ऊपर वर्णित सीमा को पहचानिए तथा अन्य सीमाओं का वर्णन, कीजिए।, , सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद भी संगठन की योजना अपना लक्ष्य प्राप्त करने, में असफल रही। उन कमियों को पहचानिए तथा वर्णन कीजिए जिनके, कारण संगठन की योजना असफल रही।, , , , , , , , व्यवसायिक अध्ययन - >या
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नियोजन प्रक्रिया, , 1., , उद्देश्यों का नि्धारिणः- नियोजन प्रक्रिया में पहला कदम उद्देश्यों का निर्धारण करना है।, उद्देश्य पूरे संगठन या विभाग के हो सकते है।, , परिकल्पनाओं का विकास करनाः- नियोजन भविष्य से सम्बन्धित होता है तथा भविष्य, अनश्चित होता है। इसलिए प्रबन्धकों को कुछ पूर्व कल्पनाएं करनी होती हैं यह, परिकल्पनाएं कहलाती है। नियोजन में पूर्व कल्पनाओं में बाधाओं, समस्याओं आदि पर, ध्यान दिया जाता है।, , कार्यवाही की वैकल्पिक विधियों की पहचानः- उद्देश्य निर्धारण होने के बाद उन्हें प्राप्त, करने के लिए विभिन््त विकल्पों की पहचान की जाती है।, , विकल्पों का मूल्यांकनः- प्रत्येक विकल्प के गुण व दोष की जानकारी प्राप्त करना।, विकल्पों का मूल्यांकन, उनके परिणामों को ध्यान में रखकर किया जाता है।, , विकल्पों का चुनावः- तुलना व मूल्यांकन के बाद संगठन के उद्देश्यों तक पहुँचने के लिए, बेहतरीन विकल्प चुना जाता है। (गुणों, अवगुणों, संसाधनों व परिणामों के आधार पर), विकल्प सर्वाधिक लाभकारी तथा कम से कम ऋणात्मक परिणाम देने वाला होना चाहिए।, , योजना को लागू करनाः- एक बार योजनाएं विकसित कर ली जाए तो उन्हें क्रिया में, लाया जाता है। योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सभी सदस्यों का पूर्ण सहयोग, आवश्यक होता है।, , अनुवर्तनः- यह देखना की योजनाएं लागू की गई या नहीं। योजनाओं के अनुसार कार्य, चल रहा है या नहीं। इनके ठीक न होने पर योजना में तुरन्त परिवर्तन किए जाते हैं।, , (>] का निर्धारण, , , , , , , 'परिकल्पताओं का, विकास करना, , 'बकातिपक कार्यवाहियों, की पहचान करना, , चुनाव विकल्पों का, मूल्यांकन, , , , व्यवसायिक अध्ययन - जया