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अध्याय-8, नियंत्रण, नियंत्रण से तात्पर्य, नियोजन के अनुसार क्रियाओं के निष्पादन से है । नियन्त्रण इस बात, का आश्वासन है कि संगठन के पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी, संसाधनों का उपयोग प्रभावी एवं दक्षतापूर्ण ढंग से हो रहा है ।, नियंत्रण कार्य को वास्तविक निष्पादन की पूर्व निर्धारित कार्य से तुलना के रूप में, पारिभाषित किया जा सकता है।, नियन्त्रण से निष्पादन एवं मानकों के विचलन का ज्ञान होता है , यह विचलनों का, विश्लेषण करता है तथा उन्हीं के आधार पर उसके सुधार के लिए कार्य करता है ।, नियंत्रण की प्रकृति:-, नियंत्रण एक उद्देश्यपूर्ण कार्य है:- नियंत्रण, एक प्रबंधन कार्य के रूप में, यह, सुनिश्चित करता है कि व्यक्तियों और समूहों के द्वारा किए जाने वाले सभी कार्य संगठन, के अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन योजनाओं के अनुरूप हों। इस प्रकार नियंत्रण एक, उद्देश्यपूर्ण क्रिया है।, 1., नियंत्रण एक सर्वव्यापक क्रिया है: - नियंत्रण एक ऐसा कार्य है जो सभी प्रकार के, संगठनों एवं सभी स्तरों पर लागू होता है । उदाहरण के लिए उच्च प्रबंधकों का संबंध, प्रशासनिक नियंत्रण से होता है, जो व्यापक नीतियां, योजनाओ एवं अन्य निर्देशों के द्वारा, कार्यान्वित होता है। मध्यम स्तरीय प्रबंधक का सम्बन्ध योजनाओं, नीतियों एवं कार्यक्रमों, 2., को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से कार्यकारी नियंत्रण से होता है ।, नियंत्रण सतत् कार्य है:- नियंत्रण एक बार किया जाने वाला कार्य नहीं है, अपितु यह, एक गतिशील प्रक्रिया है जिसमें वास्तविक एंव नियोजित निष्पादन का निरंतर विश्लेषण, 3., निहित है। इस प्रक्रिया द्वारा परिणामी विचलन, यदि कोई हो, को परिस्थितियों के अनुसार, दूर किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक फर्म 'X Ltd.' जो कि रेडीमेड कपड़े बनाने, के व्यवसाय में संलग्न है, प्रति माह 10,000 प्रीमियम शर्ट तैयार करने का लक्ष्य, व्यवसायिक अध्ययन, XII
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नियन्त्रण की प्रकृति / नियन्त्रण की विशेषताएं, नियन्त्रण का महत्वः-, 1., नियन्त्रण संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है:- नियन्त्रण,, संगठन के लक्ष्यों की ओर प्रगति का मापन करके विचलनों का पता लगाता है । यदि कोई, विचलन प्रकाश में आता है तो उसका सुधार करता है।, मानकों की यथार्थता को आँकनाः- एक अच्छी नियन्त्रण प्रणाली द्वारा निर्धारित मानकों, 2., की यथार्थता तथा उद्देश्य को सत्यापित कर सकता है । नियंत्रण संगठन में होने वाले, परिवर्तनों को सावधानीपूर्वक जांच करता है।, 3., संसाधन का कुशलतम प्रयोग करने में सहायताः- नियन्त्रण प्रक्रिया द्वारा एक, प्रबन्धक संसाधनों का व्यर्थ जाना कम कर सकता है।, कर्मचारियों की अभिप्रेरणा में सुधारः- एक अच्छी नियन्त्रण प्रणाली में कर्मचारियों को, 4., पहले से यह ज्ञात होता है कि उन्हें क्या करना है। जिनके आधार पर उनका निष्पादन, मूल्यांकन होगा। इससे कर्मचारी अभिप्रेरित होते हैं।, प्र०1, नियंत्रण किस प्रकार बेहतर समन्वय स्थापित करने में तथा बेहतर नियोजन, में सहायक होता है ? समझाइये।, यदि नियोजन सावधानीपूर्वक किया जाए और डी के अनुसार प्रबन्ध के, अन्य कार्य उचित दिशा में चलते रहें तो प्रबन्ध में नियंत्रण कार्य की कोई, प्र०2, आवश्यकता नहीं है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? उत्तर के समर्थन, में कारण दीजिए।, क्या नियंत्रण प्रबन्ध कार्य चक्र का अतिम बिंदु है ? अपने उत्तर के पक्ष में, कारण दीजिए।, प्र०3, नियंत्रण प्रक्रियाः-, निष्पादन मानकों का निर्धारणः- मानक एक मापदंड है । जिसके तहत वास्तविक, 1., निष्पादन की माप की जाती है। नियंत्रण प्रक्रिया में सर्वप्रथम मानक निधिरित होते हैं ।, व्यवसायिक अध्ययन, XII
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मानकों को परिमाणात्मक तथा गुणात्मक दोनों रूपों में निर्धारित किया जा सकता है । यह, महत्वपूर्ण है कि मानक इते लचीले हों कि आवश्यकतानुसार सुधारे जा सकें प्रमाप प्राप्त, करने योग्य तथा समयबद्ध भी होने चाहिए।, 2., वास्तविक निष्पादन की मापः- निष्पादन की माप उन बातों को ध्यान में रखकर करनी, चाहिए, जिन्हें प्रमाप करते समय रखा गया था । इस चरण में वास्तविक कार्य को मापा, जाता है।, वास्तविक निष्पादन की मानकों से तुलनाः- इस कार्यवाही में वास्तविक निष्पादनक, की तुलना निर्धारित मानकों से की जाती है । ऐसी तुलना में अन्तर हो सकता है । यदि, 3., ये दोनों समान हो तो ये माना जायेगा कि नियंत्रण का स्तर ठीक है ।, 4., विचलन विश्लेषणः- मानकों द्वारा विचलनों का पता लगाया जाता है तथा विश्लेषण, किया जाता है ताकि विचलनों के कारणों को पहचाना जा सके।, विचलनों को पूर्व-निर्धरित विचलन सहल सीमा एवं मुख्य परिणाम श्रेत्रों के संदर्भ में देखा, जाता है।, (क) महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नियंत्रणः- सभी क्रियाओं पर नियंत्रण रखना न तो, वयतपूर्ण है और न ही सरल । अतः प्रबन्धकों को उन क्रियाओं पर अधिक ध्यान, देना चाहिए जिनकी संगठन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है । इन्हें, मुख्य परिणाम क्षेत्र कहते हैं ।, (ख) अपवाद द्वारा प्रबंधः- एक प्रबंधक को महत्वपूर्ण विचलन आने पर ही सुधारात्मक, कार्यवाही करनी चाहिए। जब वह विचलन स्वीकार्य स्तर से बाहर हो जाए। जो, विचलन स्वीकार्य स्तर के अंदर हो उन्हें अनदेखा किया जा सकता है ।, सुधारात्मक कार्यवाही करनाः- यह नियंत्रण प्रक्रिया का अंमिम चरण है। यदि विचलन, अपनी निर्धारित सीमा के अन्दर है तो किसी सुधारात्मक कार्यवाही आवश्यकता नहीं, 5., पड़ती, परन्तु यदि अंतर अधिक हो तो योजनाओं से सुधार किए जाने चाहिए।, "वास्तविक प्रगति की मानक से तुलना करना, विचलन ज्ञात करना और, सुधारात्मक कार्यवाही करना, प्रबन्ध के एक कार्य की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है ।", उस प्रक्रिया (कार्य) का नाम बताइए।, प्र०, व्यवसायिक अध्ययन, XII
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नियन्त्रण की सीमाऐं । दोषः-, बाह्य घटकों पर अल्प नियन्त्रणः- सामान्य तौर पर एक संगठन बाहरी घटकों जैसी, सरकारी नीतियाँ, तकनीकी नियंत्रण प्रतियोगिता आदि पर नियन्त्रण नहीं रख पाता।, 1., कर्मचारियों से प्रतिरोधः- अधिकतर कर्मचारी नियन्त्रण का विरोध करते हैं उनके, अनुसार नियन्त्रण उनकी स्वतंत्रता पर प्रतिबध है। उदाहरण के लिए यदि कर्मचारियों की, 2., गतिविधियों पर नियंत्रण करने के लिए CCTV Carema लगा दिए जाए तो वे निश्चित, रूप से इसका विरोध करेंगे।, 3., महंगा सौदाः- नियन्त्रण में खर्चा, समय तथा प्रयास की मात्रा अधिक होने के कारण यह, एक महंगा सौदा है।, 4., परिमाणात्मक मानकों को निर्धारण में कठिनाई:- जब मानकों को परिणात्मक शब्दों, में व्यक्त नहीं किया जा सकता तो नियन्त्रण प्रणाली का प्रभाव कम हो जाता है।, नियोजन एवं नियंत्रण में संबंध:-, नियोजन और नियंत्रण दोनों ही परस्पर संबंधित है तथा दोनों ही एक-दूसरे को बल प्रदान करते, हैं। जैसे:-, योजनाएँ नियंत्रण हेतु प्रमाप उपलब्ध कराती है । अतएवं नियोजन के बिना नियंत्रण अन्धा, है। यदि पूर्व निर्धारित लक्ष्य तय नहीं किए जाते है तो प्रबन्धक के पास नियन्त्रण के लिए, कुछ नहीं होगा। इसलिए नियोजन को नियंत्रण की प्रथम आवश्यकता माना जाता है ।, 1., नियोजन प्रमापों को निर्धारित करता है तथा नियंत्रण इन प्रमापों से विचलनों का, अवलोकन करके सुधारात्मक कदम उठाता है।, 2., 3., नियोजन की प्रभावशीलता को नियंत्रण की सहायता से मापा जा सकता है। इस प्रकार, नियोजन एवं नियंत्रण अपृथक्करणी है । वे एक दूसरे को लागू करते हैं ।, 4., नियोजन निर्धारित किए जाने वाली गतिविधि है तथा नियंत्रण मूल्यांकनकारी।, (क) नियोजन एवं नियंत्रण आगे देखना है:-, नियोजन भविष्य अधिमुखी कार्य है, क्योंकि इसमें अग्रिम रूप से नीतियां बनाई, 5., व्यवसायिक अध्ययन, XII