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इकाई-3, संपूर्ण आर्थिक क्रियाएँ चाहे वो प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक, एवं चतुर्थक हों सभी का कार्य क्षेत्र संसाधनों की प्राप्ति एवं, उनके उपयोग का अध्ययन करना है। ये संसाधन मनुष्य के, जीवित रहने के लिए आवश्यक हैं।, द्वितीयक गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़़, जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर, यह उसे मूल्यवान बना देती है। कपास का सीमित उपयोग है परंतु, तंतु में परिवर्तित होने के बाद यह और अधिक मूल्यवान हो, जाता है और इसका उपयोग वस्त्र बनाने में किया जा सकता है।, खदानों से प्राप्त लौह-अयस्क का हम प्रत्यक्ष उपयोग नहीं कर, सकते, परंतु अयस्क से इस्पात बनाने के बाद यह मूल्यवान हो, जाता है, और इसका उपयोग कई प्रकार की मशीनें एवं औजार, बनाने में होता है। खेतों, वनों, खदानों एवं समुद्रों से प्राप्त पदार्थों, के विषय में भी यही बात सत्य है। इस प्रकार द्वितीयक क्रियाएँ, विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण (अवसंरचना) उद्योग से, संबंधित हैं।, अध्याय-6, 12098CH06, द्वितीयक क्रियाएँ, विनिर्माण, विनिर्माण से आशय किसी भी वस्तु का उत्पादन है। हस्तशिल्प, कार्य से लेकर लोहे व इस्पात को गढ़ना, प्लास्टिक के खिलौने, बनाना, कंप्यूटर के अति सूक्ष्म घटकों को जोड़ना एवं अंतरिक्ष, यान निर्माण इत्यादि सभी प्रकार के उत्पादन को निर्माण के, अंतर्गत ही माना जाता है। विनिर्माण की सभी प्रक्रियाओं में कुछ, सामान्य विशेषताएँ होती हैं, जैसे शक्ति का उपयोग, एक ही, प्रकार की वस्तुओं का विशाल उत्पादन एवं कारखानों में विशिष्ट, श्रमिक जो मानक वस्तुओं का उत्पादन करते हैं । विनिर्माण, आधुनिक शक्ति के साधन एवं मशीनरी के द्वारा या पुराने साधनों, द्वारा किया जाता है। तृतीय विश्व के अधिकांश देशों में विनिर्माण, को अब भी शाब्दिक अर्थों में प्रयोग किया जाता है। इन देशों में, सभी विनिर्माताओं का संपूर्ण रूप से चित्रण करना कठिन है ।, इनमें औद्योगिक क्रियाओं के उन प्रकारों पर अधिक बल दिया, जाता है जिसमें उत्पादन के कम जटिल तंत्र को लिया जाता है।, आधुनिक बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की विशेषताएँ, वर्तमान समय में बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की, निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:, कौशल का विशिष्टीकरण/उत्पादन की विधियाँ, शिल्प तरीके से कारखाने में थोड़ा ही सामान उत्पादित किया, जाता है। जो कि आदेशानुसार बनाया जाता है, अतः इसकी, लागत अधिक आती है। जबकि अधिक उत्पादन का संबंध बड़े, 2021-22
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पैमाने पर बनाए जाने वाले सामान से है जिसमें प्रत्येक कारीगर संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण, निरंतर एक ही प्रकार का कार्य करता है।, आधुनिक निर्माण की विशेषताएँ हैं :, (i) एक जटिल प्रोद्यौगिकी यंत्र, (ii) अत्यधिक विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के द्वारा, 'उद्योगों का निर्माण' एवं, 'विनिर्माण उद्योग, कम प्रयास एवं अल्प लागत से अधिक माल का, उत्पादन करना, विनिर्माण का शाब्दिक अर्थ है 'हाथ से बनाना' फिर, (iii) अधिक पूँजी, (iv) बड़े संगठन एवं, (v) प्रशासकीय अधिकारी-वर्ग, भी इसमें यंत्रों द्वारा बनाया गया सामान भी सम्मिलित, किया जाता है। यह एक परमावश्यक प्रक्रिया है।, जिसमें कच्चे माल को स्थानीय या दूरस्थ बाज़ार में, बेचने के लिए ऊँचे मूल्य के तैयार माल में परिवर्तित, कर दिया जाता है। वैचारिक दृष्टिकोण से उद्योग एक, निर्माण इकाई होती है जिसकी भौगोलिक स्थिति, अलग होती है एवं प्रबंध तंत्र के अंतर्गत लेखा-बही, एवं रिकार्ड का रखरखाव रखा जाता है। उद्योग एक, व्यापक नाम है और इसे विनिर्माण के पर्यायवाची के, रूप में भी देखा जाता है। जब कोई इस्पात उद्योग, और रसायन उद्योग शब्दावली का प्रयोग करता है तब, अनियमित भौगोलिक वितरण, आधुनिक निर्माण के मुख्य संकेंद्रण कुछ ही स्थानों में, सीमित हैं। विश्व के कुल स्थलीय भाग के 10 प्रतिशत से, कम भू-भाग पर इनका विस्तार है। यह देश आर्थिक एवं, राजनीतिक शक्ति के केंद्र बन गए हैं। कुल क्षेत्र को, आच्छादित करने की दृष्टि से विनिर्माण स्थल, प्रक्रियाओं की, अत्यधिक गहनता के कारण बहुत कम स्पष्ट हैं तथा कृषि, उसके मस्तिष्क में कारखाने एवं कारखानों में होने, वाली विभिन्न प्रक्रियाओं का विचार उत्पन्न होता है।, लेकिन कई गौण क्रियाएँ हैं जो कारखानों में संपन्न, नहीं होती जैसे कि पर्यटन उद्योग या मनोरंजन उद्योग, इत्यादि। अत: स्पष्टता के लिए 'विनिर्माण उद्योग', शब्दावली का प्रयोग किया जाता है।, पर अमेरिका के मक्का की पेटी के 2.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र, साधारणतया चार बड़े फार्म होते हैं जिनमें, 10-20 श्रमिक, है। परंतु इतने ही क्षेत्र में अनेकों वृहद् समाकलित कारखानों, को समाविष्ट किया जा सकता है और हज़ारों श्रमिकों को, रोज़गार दिया जा सकता है।, यंत्रीकरण, ots, बड़े पैमाने पर लगाए जाने वाले उद्योग विभिन्न, स्थितियों का चुनाव क्यों करते हैं?, यंत्रीकरण से तात्पर्य है किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए, मशीनों का प्रयोग करना। स्वचालित (निर्माण प्रक्रिया के दौरान, मानव की सोच को सम्मिलित किए बिना कार्य) यत्राकरण का उद्योगों की स्थापना उस स्थान पर की जानी चाहिए जहा पर, विकसित अवस्था है। पुनर्निवेशन एवं संवृत्त -पाश कंप्यूटर, नियंत्रण प्रणाली से युक्त स्वचालित कारखाने जिनमें, मशीनों उत्पादन लागत कम आए। उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने, को 'सोचने' के लिए विकसित किया गया है, परे विश्व में वाले कुछ कारक निम्न हैं।, नज़र आने लगी है।, उद्योग अपनी लागत घटाकर लाभ को बढ़ाते हैं इसलिए, बाज़ार तक अभिगम्यता, प्रौद्योगिकीय नवाचार, उद्योगों की स्थापना में सबसे प्रमुख कारक उसके द्वारा उत्पादित, प्रौद्योगिक नवाचार, शोध एवं विकासमान युक्तियों के द्वारा माल के लिए उपलब्ध बाज़ार का होना है। बाज़ार से तात्पर्य, विनिर्माण की गुणवत्ता को नियंत्रित करने, अपशिष्टों के उस क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की माँग एवं वहाँ के निवासियों में, खरीदने की क्षमता (क्रय शक्ति) है । दूरस्थ क्षेत्र जहाँ कम, छोटे बाज़ारों से युक्त होते हैं। यूरोप,, निस्तारण एवं अदक्षता को समाप्त करने तथा प्रदूषण के विरुद्ध, संघर्ष करने का महत्त्वपूर्ण पहलू है।, जनसंख्या निवास करती, मानव भूगोल के मूल सिद्धांत, 44, 2021-22
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उत्तरी अमेरिका, जापान एवं आस्ट्रेलिया के क्षेत्र वृहद् वैश्विक और विनिर्माण की प्रादेशिक विशिष्टता को बढ़ाता है। उद्योगों, बाज़ार हैं, क्योंकि इन प्रदेशों के लोगों की क्रय क्षमता अधिक हेतु सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं प्रबंधन के लिए संचार की, है। दक्षिणी एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया के घने बसे प्रदेश भी भी महत्त्वपूर्ण आवश्यकता होती है।, वृहद् बाज़ार उपलब्ध कराते हैं। कुछ उद्योगों का व्यापक बाज़ार, होता है, जैसे: वायुयान निर्माण एवं शस्त्र निर्माण उद्योग ।, सरकारी नीति, संतुलित आर्थिक विकास हेतु सरकार प्रादेशिक नीति अपनाती, है जिसके अंतर्गत विशिष्ट क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना की, जाती है।, कच्चे माल की प्राप्ति तक अभिगम्यता, उद्योग के लिए कच्चा माल अपेक्षाकृत सस्ता एवं सरलता से, परिवहन योग्य होना चाहिए। भारी वजन, सस्ते मूल्य एवं, वजन घटने वाले पदार्थों (अयस्क) पर आधारित उद्योग समूहन अर्थव्यवस्था तक अभिगम्यता /उद्योगों के मध्य संबंध, कच्चे माल के स्रोत स्थल के समीप ही स्थित हैं, जैसे, इस्पात, चीनी एवं सीमेंट उद्योग। करच्चे माल के स्वोतों के प्रधान उद्योग की समीपता से अन्य अनेक उद्योग लाभान्वित, समीप स्थापित उद्योगों के लिए पदार्थ की शीघ्र नष्टशीलता होते हैं। ये लाभ समूहन अर्थव्यवस्था के रूप में परिणत हो, एक अनिवार्य कारक है। कृषि प्रसंस्करण एवं डेरी उत्पाद, क्रमश: कृषि उत्पादन क्षेत्रों अथवा दुग्ध आपर्ति स्रोतों के बचत की प्राप्ति होती है।, समीप ही संसाधित किए जाते हैं।, जाते हैं। विभिन्न उद्योगों के मध्य पाई जाने वाली श्रृंखला से, उपरोक्त सभी कारण सम्मिलित रूप से किसी उद्योग की, अवस्थिति का निर्धारण करते हैं ।, श्रम आपूर्ति तक अभिगम्यता, उद्योगों की अवस्थिति में श्रम एक प्रमुख कारक है। बढ़़ते हुए, यंत्रीकरण, स्वचलन एवं औद्योगिक प्रक्रिया के लचीलेपन ने, उद्योगों में श्रमिकों पर निभर्रता को कम किया है , फिर भी कुछ, प्रकार के उद्योगों में अब भी कुशल श्रमिकों की आवश्यकता, होती है।, स्वच्छंद उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों में, स्थित होते हैं। यह किसी विशिष्ट कच्चे माल, भार में कमी हो रही है अथवा नहीं, पर, निर्भर नहीं रहते हैं । यह उद्योग संघटक पुरजों पर, निर्भर रहते हैं जो कहीं से भी प्राप्त किए जा, सकते हैं। इसमें उत्पादन कम मात्रा में होता है,, एवं श्रमिकों की भी कम आवश्यकता होती है।, सामान्यत: ये उद्योग प्रदूषण नहीं फैलाते। इनकी, स्थापना में महत्त्वपूर्ण कारक सड़कों के जाल द्वारा, अभिगम्यता होती है।, O NCE, शक्ति के साधनों तक अभिगम्यता, वे उद्योग जिनमें अधिक शक्ति की आवश्कता होती है वे ऊर्जा, के स्रोतों के समीप लगाए जाते हैं, जैसे एल्यूमिनियम उद्योग ।, प्राचीन समय में कोयला प्रमुख शक्ति का साधन था पर, आजकल जल विद्युत एवं खनिज तेल भी कई उद्योगों के लिए, शक्ति का महत्त्वपूर्ण साधन है।, ber, परिवहन एवं संचार की सुविधाओं तक अभिगम्यता, कच्चे माल को कारखाने तक लाने के लिए और परिष्कृत विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण उनके आकार कच्चा माल,, सामग्री को बाज़ार तक पहुँचने के लिए तीव्र और सक्षम, परिवहन सुविधाएँ औद्योगिक विकास के लिए अत्यावश्यक हैं।, परिवहन लागत किसी औद्योगिक इकाई की अवस्थिति को, निश्चित करने में महत्त्वपूर्ण कारक हैं । पश्चमी यूरोप एवं, उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भागों में अत्यधिक परिवहन तंत्र किसी उद्योग का आकार उसमें निवेशित पूँजी, कार्यरत श्रमिकों, विकसित होने के कारण सदैव इन क्षेत्रों में उद्योगों का संकेंद्रण की संख्या एवं उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है । इसके, हुआ है। आधुनिक उद्योग अपृथक्करणीय ढंग से परिवहन तंत्र अनुसार उद्योगों को घरेलू अथवा कुटीर, छोटे व बड़े पैमाने के, से जुड़े हैं। परिवहनीयता में सुधार समाकलित आर्थिक विकास उद्योगों में वर्गीकृत किया जा सकता है।, विनिर्माण उद्योगों का वर्गीकरण, उत्पाद एवं स्वामित्व के आधार पर किया जाता है (चित्र 6. 1 ) ।, आकार पर आधारित उद्योग, द्वितीयक क्रियाएँ, 45, 2021-22
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कुटीर उद्योग, यह निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। इसमें शिल्पकार स्थानीय, कच्चे माल का उपयोग करते हैं एवं साधारण औज़ारों द्वारा, परिवार के सभी सदस्य मिलकर अपने दैनिक जीवन के, उपभोग की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं । तैयार माल का या, तो वे स्वयं उपभोग करते है या इसे स्थानीय गाँव के बाज़ार में, विक्रय कर देते हैं। कभी ये अपने उत्पादों की अदला- बदली, भी करते हैं। पूँजी एवं परिवहन इन उद्योगों को अधिक, प्रभावित नहीं करते हैं क्योंकि इनके द्वारा निर्मित वस्तुओं का, व्यापारिक महत्त्व कम होता है एवं अधिकतर उपकरण स्थानीय, लोगों द्वारा निर्मित होते हैं।, चत्र 6,3 : असम में कुटीर उद्योग के उत्पादों की बिक्री, इस उद्योग में दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं, जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयाँ, बर्तन, औजार, फर्नीचर, जूते एवं, लघु मूर्तियाँ उत्पादित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त पत्थर एवं मिट्टी, के बर्तन एवं ईंट, चमड़े से कई प्रकार का सामान बनाया जाता है।, सुनार सोना, चाँदी एवं ताँबे से आभूषण बनाता है। कुछ शिल्प की, वस्तुएँ बाँस एवं स्थानीय वन से प्राप्त लकड़ी से बनाई जाती है।, छोटे पैमाने के उद्योग, यह कुटीर उद्योग से भिन्न है। इसके उत्पादन की तकनीक एवं, निर्माण स्थल (घर से बाहर कारखाना) दोनों कुटीर उद्योग से, भिन्न होते हैं। इसमें स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है, एवं अर्द्धकुशल श्रमिक व शक्ति के साधनों से चलने वाले यंत्रों, का प्रयोग किया जाता है। रोज़गार के अवसर इस उद्योग में, अधिक होते हैं जिससे स्थानीय निवासियों की क्रय शक्ति बढ़ती, है। भारत, चीन, इंडोनेशिया एवं ब्राजील जैसे देशों ने अपनी, जनसंख्या को रोज़गार उपलब्ध करवाने के लिए इस प्रकार के, श्रम-सघन छोटे पैमाने के उद्योग प्रारंभ किए हैं।, चित्र 6.2 (क) : एक व्यक्ति द्वारा अपने आँगन में बर्तनों का बनाना-, नागालैंड में घरेलू उद्योग का एक उदाहरण, बड़े पैमाने के उद्योग, बडे पैमाने के उद्योग के लिए विशाल बाजार, विभिन्न प्रकार, का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक , विकसित, प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अधिक पूँजी की आवश्यकता, होती है। पिछले 200 वर्षों में इसका विकास हुआ है। पहले यह, उद्योग ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी भाग एवं यूरोप, में लगाए गए थे परंतु वर्तमान में इसका विस्तार विश्व के सभी, भागों में हो गया है।, चित्र 6.2 (ख) : अरुणाचल प्रदेश में सड़क किनारे बाँस की टोकरी, बनाता हुआ एक व्यक्ति, द्वितीयक क्रियाएँ, 47, 2021-22