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स्मरणीय किन्दु, 1. स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का प्रसिद्ध भाषण (सन् 1947 के 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि) 'भाग्यवधू, से चिर-प्रतीक्षित भेंट' या टट्रिस्ट विद् डेस्टिनी' के नाम से जाना गया।, , 2. यह भाषण उन्होंने संविधान सभा के विशेष सत्र को संबोधित करते समय दिया था।, , 3. स्वाधीनता के तुरंत पश्चात्, भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पडा, जैसे-देश को एक रखने की चुनौती, लोकतंत्र को, कायम करना तथा विकास एवं कल्याण सुनिश्चित करने तथा आर्थिक विकास एवं गरीबी व बेरोजगारी उन्मूलन के लिए प्रभावी, कदम उठाना।, , 4. भारत के विभाजन के समय, मुहम्मद अली जिन्ना ने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसमें मुस्लिमों के लिए अलग राष्ट्र, के निर्माण की माँग की गई। इसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ तथा इससे अनेक समस््याएँ उत्पन्न, हुई, जैसे-पश्चिम व पूर्व पाकिस्तान, पश्चिमोत्तर सीमा-प्रांत का विलय, नैर-मुस्लिम आबादी वाले पंजाब व बंगाल प्रांत,, अल्पसंख्यकों की समस्याएँ आदि।, , 5. सन् 1947 का यह विभाजन आकस्मिक, अनियोजित और तासदी से भरा हुआ था। इसने धर्म के नाम पर समुदाय बॉट दिए,, औरतों को अगवा कर लिया गया या पार दिया गया, शरणार्थियों का शरणार्थी शिविर में जीवन काटना, वित्तीय संपदा का भी, विभाजन हुआ तथा हिन्दू-पुस्लिम प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई।, , 6. ब्रिटिश इंडिया दो हिस्सों में था। एक हिस्से में ब्रिटिश प्रभुत्व वाले भारतीय प्रांत थे, तो दूसरे हिस्से में देसी रजवाड़े। ब्रिटिश, प्रभुत्व वाले भारतीय प्रांतों पर अंग्रेजी सरकार का सीधा नियत्रण था व देसी रजवाड़े ब्रिटिश राज की सर्वोच्च सत्ता को, स्वीकारते थे व इसके अतर्गत वे अपने राज्य के घरेलू मामलों का शासन चलाते थे।, , 7. स्वतंत्रता के तुरंत पश्चात्, रजवाड़ों का विलय करना एक गभीर समस्या के रूप में उभरकर आया। कारण-अंग्रेजी शासन ने, घोषणा की कि भारत पर ब्रिटिश प्रभुत्व के साथ ही रजवाड़े भी ब्रिटिश अधीनता से आज़ाद हो जाएँगे और यहाँ के राजाओं को, अधिकार होगा कि वे अपनी मर्जी से भारत वा पाकिस्तान में शामिल हो सकते हैं या अपनी स्वाधीनता भी कायम रख सकते हैं।, , 8. देसी रजवाड़ों की इस चर्चा से तीन बातें सामने आई। पहली अधिकतर रजवाड़ों के लोग भारतीय संघ में शामिल होना चाहते, थे, दूसरी भारत सरकार का रुख लचीला था, जो कुछ इलाकों को स्वायत्तता देने के लिए भी तैयार था, तीसरा विभाजन की, वजह से देश की क्षेत्रीय अखड़ता व एकता का सवाल।, , 9. सरदार बाब्भभाई पटेल ने रजवाड़ों को भारतीय संघ में मिलाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परन्तु जूनागढ़,, हैदराबाद, कश्मीर व मणिपुर की रियासतों का विलय बाकियों की तुलना में थोड़ा कठिन साबित हुआ।, , 10. हैदराबाद की रियासत बहुत बड़ी थी व वहाँ का शासक “निज़ाम' कहा जाता था। वहाँ के लोग निज़ाम के शासन से दुखी थे,, अत: उन्होंने उसके खिलाफ आन्दोलन छेड़ दिया व जवाब में निजाम ने भी एक अ्ध॑सैनिक बल 'रज़ाकार' रवाना किया।, , 11. रज़ाकारों के सांप्रदायिक व अत्याचारी खेमे को देखते हुए भारतीय सेना ने सितंबर, 1948 में लम्बे संघर्ष के बाद रज़ाकारों को, काबू में किया व निज़ाम के आत्मसमर्पण के साथ ही हैदराबाद का भारत में दिलय हो गया।, , 12. मणिपुर के महाराजा बोधचंद्र सिह ने भारत सरकार के साथ भारतीय संघ में अपनी रियासत के विलय के समझौते पर हस्ताक्षर, किए थे, जिसमें मणिपुर की स्वायत्तता बरकरार रखने का आश्वासन दिया गया था।, , 13. जनमत के दबाव में महाराजा ने 1948 के जून में चुनाव करवाया, जिसने मणिपुर में संवैधानिक राजतंत्र कायम किया। इसके, साथ ही मणिपुर भारत का पहला भाग बन गया, जहाँ सार्वभौम ववस्क मताधिकार के सिद्धांत को अपनाकर चुनाव हुए।, , 14. मणिपुर की निर्वाचित विधानसभा से परामर्श किए बगैर भारत सरकार ने महाराजा पर मणिपुर को भारत संघ में विलय वाले, समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाला व इसमें भारत सरकार को सफलता भी मिली।, , 15. आजादी और बंटवारे के बाद हमारे नेताओं को चिंता हुई कि अगर भाषा के आधार पर प्रांत बनाए गए, तो देश की अखंडता व, एकता को खतरा पैदा हो सकता है।, , 16. इसीलिए लोकतंत्र की भावना को कायम करते हुए भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ, जिसने कुछ सीमा तक राज्यों, की क्षेत्रीय व भाषाई स्वायत्तता को बरकरार भी रखा।, , 17. इस तरह के संघर्षों से बाध्य होकर केंद्र सरकार ने 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया, जिसका काम राज्यों के सीमांकन, के मामले पर गौर करना था तथा इस आयोग ने भाषा के आधार पर राज्यों की सीमाओं के निर्धारण का समर्थन किया।, , 18. इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ व इसके आधार पर 14 राज्य और 6 केंद्र, शासित प्रदेश बनाए गए।
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14-15 अगस्त को मध्यरात्रि हिन्दुस्तान आजाद हुआ तथा भारत व पाकिस्तान के रूप में दो राष्ट्र आसितत्व में आये, विभाजन से देश की एकता खण्डित हो गई।, 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू का भाषण ट्रिस्ट विद डेस्टिनी के नाम से जाना जाता है।, द्वि राष्ट्र के सिद्धांत पर धार्मिक बहुसंख्या को विभाजन का आधार बनाया गया जिसमे मुख्य रूप से पंजाब व बंगाल, प्रभावित हुए इसीलिये पाकिस्तान पश्चिमी व पूर्वी पाकिस्तान के रूप में आसितत्व में आया।, स्वतंत्रता के पश्चात दो बातों पर आम सहमति थी। देश का शासन लोकतांत्रिक तरीके से चलाया जायेगा। सरकार सबके, भले के लिए कार्य करेगी।, आजादी के बाद देश के समक्ष मुख्य तीन चुनौतियां थी1. देश को एकता के सूत्र में कांथना, एकता एवं अखंडता की चुनौती- भारत अपने आकार ओअर विविधता में किसी महादेश के बराबर था। यहाँ विभिन्न, भाषा, संस्कृति और धर्मों के अनुयायी रहते थे, इन सभी को एकजुट करने की चुनौती थी।, 2. लोकतंत्र की स्थापना, भारत ने संसदीय शासन पर आधारित प्रतिनिधित्वमूलक लोकतंत्र को अपनाया है। और भारतीय संविधान में प्रत्येक, नागरिक को मौलिक अधिकार तथा मतदान का अधिकार दिया गया है।, ३. सबका विकास, समानता पर आधारित विकास- ऐसा विकास जिससे सम्पूर्ण समाज का कल्याण हो, न कि किसी एक वर्ग का अर्थात्, सभी के दात समानता का व्यवहार किया जाए और सामाजिक रूप से वंचित वर्गों तथा धार्मिक सांस्कृतिक, , अल्पसंख्यक समुदायों को विशेष सुरक्षा दी जाए।, विभाजन की रूप रेखा स्पष्ट न होने के कारण 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि तक भी लोगों को यह पता नहीं था कि वह, भारत में हैं या पाकिस्तान में।, विभाजन की सबसे कठिन व भयानक समस्या अल्पसंख्यकों की थी। पाकिस्तान में हिंदू व सिखों की बड़ी तादाद थी, जबकि भारत में मुसलमान अल्प्संख्यको की संख्या कुल आबादी का 12 प्रतिशत थी। शरणार्थियों का पुनर्वास भी, सरकार के लिए एक समस्या थी।, , एक दूसरी विकट समस्या हिंसा व मारकाट की थी जो दोनों तरफ काबू से बाहर हो गई थी।, , लाखों शरणार्थियों के लिए देश की आजादी का मतलब था बेघर और बेठिकाना होकर महीनों और कभी कभी सालों तक, किसी शरणार्थी शिविर में जिदगी गुजरना था।, , विभाजन के दौरान लगभग 80 लाख लोगों को सीमा पार जाना पड़ा। 5 से 10 लाख लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा।, बच्चे मां-बाप से बिछुड़ गये हजारों महिलाओं को अगवा किया गया कुछ परिवारों ने कुल की मर्यादा के नाम पर खुद ही बहू, बेटियों को मार डाला।, , 30 जनवरी 1948 को गांधीजी की एक हिंदू अतिवादी नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या के बाद विभाजन से जुड़े क्रोध व हिसा, जादुई तौर पर मंद पड़ गयी।, , आजादी के बाद भारत में रह गये एक अल्पसंख्यक मुस्लिम परिवार के समक्ष आई समस्याओं पर आधारित फिल्म 'र्म, हवा' सन् 1973 में बनी थी।, , स्वतंत्रता के समय भारत में देशी रियासतों की संख्या 565 थी जिन्हें ब्रिटिश सरकार उनकी स्वेच्छा पर छोड़ गई थी इन, रियासतों का भारत में विलय एक महत्वपूर्ण कार्य था। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने श्री वी.पी. मेनन के साथ इस समस्या, को बड़े ही सुनियोजित ढंग से सुलझाया।, , रजवाड़ों का भारतीय संघ ने विलय सहमति पत्र 'इंस्टरूमेंट ऑफ एक्सेशन' पर हस्ताक्षर द्वारा होता था।, , हैदराबाद, काश्मीर, जूनागढ़ व मणिपुर का विलय अन्य रियासतों की तुलना में थोड़ा कठिन साबित हुआ।, , केन्द्रीय सरकार ने 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कह्य कि राज्यों का, निर्माण वहां बोली जाने वाली भाषाओं के आधार पर किया जाये।, , तेलुगु भाषी राज्य आंध्र प्रदेश के निर्माण के लिये पोष्टी श्री रामुलु ने आमरण अनशन किया जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।, 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ जिसके आधार पर 14 राज्य व 6 केन्द्र शासित प्रदेश बनाये गये।, क्षेत्रीय संस्कृति व क्षेत्रीय असंतुलन के आधार पर तीन राज्य झारखण्ड, छत्तीसगढ़ व उत्तरांचल (अब उत्तराखण्ड) सन्, 2000 में बनाये गये है।
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० आंच प्रदेश में तेलंगाना, महाराष्ट्र में किदर्भ व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हरित प्रदेश राज्य बनान के लिये आंदोलन अब भी, चल रहे है।, ० भाषा की समस्या को हल करने के लिये त्रिभाबायी फार्यूले को अपनाया गया था।, , भारत के विभाजन का आधार धार्मिक बहुसंख्या को बनाया गया।, जिसके कारण कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हुई जिनका विवरण निम्नलिखित है, 1. मुसलमानों की जनसंख्या के आधार पर पाकिस्तान में दो इलाके शामिल होगे पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान और, इनके मध्य में भारतीय भू-भाग का बड् विस्तार रहेगा।, , 2. मुस्लिम-बहुल प्रत्येक इलाका पाकिस्तान में जाने को राजी नहीं था। पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत के नेता खान-अब्दुल गफ्फार खाँ, जिन्हें 'सीमांत गांधी' के नाम से जाना जाता है, वह 'द्वि-राष्ट्र सिद्धांत' के एकदम खिलाफ थे।, , 3. "ब्रिटिश इंडिया' के मुस्लिम-बहुल प्रान्त पंजाब और बंगाल में अनेक हिस्से बहुसंख्यक गैर-मुस्लिम आबादी वाले थे। ऐसे में इन, प्रान्तों का बैंटवारा धार्मिक बहुसंख्या के आधार पर जिले या उससे निचले स्तर के प्रशासनिक हलके को आधार बनाकर किया, गया।, , 4. भारत विभाजन केवल धर्म के आधार पर हुआ था। इसलिए दोनों ओर के अल्फ्संख्यक वर्ग बड़े असमंजस में थे, कि उनका, क्या होगा। वह कल से पाकिस्तान के नागरिक होगों या भारत के।, , 5. विभाजन की समस्या :- भारत-विभाजन की योजना में यह नहीं कहा गया कि दोनों भागों से अल्पसंख्यकों का विस्थापन भी, होगा। विभाजन से पहले ही दोनों देशों के बैंटने वाले इलाकों में हिन्दु-मुस्लिम दंगे भड़क उठे। पश्चिमी पंजाब में रहने वाले, अल्पसंख्यक गैर मुस्लिम लोगों को अपना घर-बार, जमीन-जायदाद छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए वहाँ से पूर्वी पंजाब या, भारत आना पड़ा। और इसी प्रकार मुसलमानों को पाकिस्तान जाना पड़ा।, , 6. विभाजन की प्रक्रिया में भारत की भूमि का ही बैंटवारा नहीं हुआ बल्कि भारत की सम्पदा का भी बैंटवारा हुआ।, , 7. आजादी एवं विभाजन के कारण भारत को विरासत के रूप में शरणार्थियों के पुर्नवास की समस्या मिली। लोगों के पुनर्वास को, बड़े ही संयम ढंग से व्यावहारिक रूप प्रदान किया। शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए सर्वप्रथम एक पुनर्वास मंत्रालय बनाया गया।, , राज्यों का पुनर्गठन :, ० औपनिवेशिक शासन के समय प्रातो का गठन प्रशासनिक सुविधा के अनुसार किया गया था, लेकिन स्वतंत्र भारत में, भाषाई और सांस्कृतिक बहुलता के आधार पर राज्यों के गठन की माँग हुई।, , ० भाषा के आधार पर प्रांतो के गठन का राजनीतिक मुद्दा कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन (1920) में पहली बार शामिल किया, गया था।, , ० तेलगुभाषी, लोगों ने माँग की कि मद्रास प्रांत के तेलुगुभाषी इलाकों को अलग करके एक नया राज्य आंध्र प्रदेश बनाया, जाए।, , ० आंदोलन के दौरान काँग्रेस के एक वरिष्ठ नेता पोष्टी श्री रामुलू की लगभग 56 दिनों की भूख-हड़ताल के बाद मृत्यु हो गई।, , ० इसके कारण सरकार को दिसम्बर 1952 में आध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाने की घोषण करनी पड़ी। इस प्रकार, आंध्रप्रदेश भाषा के आधार पर गठित पहला राज्य बना।
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राज्य पुनर्गठन आयोग (590) :, ० 1953 में केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश फजल अली की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय राज्य, पुनर्गठन आयोग का गठन किया। आयोग की प्रमुख सिफारिशे :1. त्रिस्तरीय (भाग #/8/() राज्य प्रणाली को समाप्त किया जाए।, 2. केवल 3 केन्द्रशासित क्षेत्रों (अंडमान और निकोबार, दिल्ली, मणिपुर) को छोड़कर बाकी के केन्द्रशासित क्षेत्रों को, , उनके नजदीकी राज्यों में मिला दिया जाए।, 3. राज्यों की सीमा का निर्धारण वहाँ पर बोली जाने वाली भाषा होनी चाहिए।, ० इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1955 में प्रस्तुत की तथा इसके आधार पर संसद में राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 पारित, किया गया और देश को 14 राज्यों एवं 6 संघ शासित क्षेत्रों में बॉटा गया।, , , , , , , , , , , , , , , , , , | क्र. | सं. | जूलरज्य | |. ढ"नरराज्यले... | | कग्े॑.|, [3.._ | [बस्बई | महाराष्ट्र, मुजरात [1960 |, [2 | असम नागालैंड [1963 |, |3. | वृहत्तर पंजाब हरियाणा, हिभाचल प्रदेश, पंजाब [1966 |, 4... | [असम | मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा [192 |, 5. | [असम | मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश 1987, री प्रदेश उत्तराखण्ड |, बिहार झारखंड, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, कर आंध्र प्रदेश ओ 2014, गोवा 1987, सिक्किम 1975, , , , , , , , , , , , ० संघ शासित क्षेत्र जो बाद में राज्य बनेमिजोरम, मणिपुर, त्रिपुत और गोवा आदि।