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अनुक्रम, 1.1 उद्देश्य, 1.2 प्रस्तावना, , 1.3 विषय विवरण, , त 11.3.1 कीर्ति चौधरी का परिचय, , 11.3... 'एकलव्य' कविता का परिचय, 11.3.3 'एकलव्य' कविता का आशय, , | 11.4 स्ववंअध्ययन के लिए प्रश्न, पारिभाषिक शब्द, शब्दार्थ, , स्ववंअध्ययन के प्रश्नों के उत्तर
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है, , 111. उद्देश्य : ु का, ॥) कीर्ति चौधरी जी का जीवन परिचय एवं कृतित्व से परिचित होंगे।, , 2) नई कविता की कवयित्री कीर्ति चौधरी की कविताओं से परिचित हो सकेंगे।, 3) अपने प्रिय शिष्य को सर्वश्रेष्ठ सिदूध करने के लिए योग्य, प्रतिभासंपन्न छात्रों पर होनेवाले अ५,, परिचित होंगे।, 4) प्रस्तुत कविता से गुरू के प्रति शिष्य में होनेवाली निष्ठा, भक्ति और समर्पण से परिचित होंगे।, , 11.2 प्रस्तावना ;, , नई कविता की शुरुआत आमतौर पर दूसरा सप्तक' से होती है और “तीसरा सप्तक' के प्रकाशन के प्रा, अपने उत्कर्ष को पहुँच कर समाप्त हो जाती है। नई कविता के इसी उत्कर्षकाल की साक्षी और सास्थी थीर्कीः, चौधरी और उनकी कविताएँ। कीर्ति चौधरी की कविता में प्रगीतात्मकता है। उन्होंने अपने कविता में मनुष #, उसके समग्र अनुभवों को पकड़ने का प्रयास किया है। वास्तव में कीर्ति चौधरी की कविता नई कविता के #ऋ, रचनाकार की तरह ही संपूर्ण जीवन की कविता है। उनकी कविता में प्रतीकों और निंबों का काफी प्रयोग मिलता, कीर्ति चौधरी नई कविता की कवयित्री थी / जिन्होंने महादेवी वर्मा के जाने के बाद आई रिक््तता को अपनी ओर, , पाटने का कार्य किया हैं उनकी रचनाओं में ताजगी और एक खास तरह की स्त्री सुलभ संवेदना हैं जो उनके सम्ः, किसी और के पास नहीं थी।, , 11.3 विषय-विवरण ;, 11.3.1 कीर्ति चौधरी का परिचय ;, , तत्त्व' जैसे विषय पर उन्होंने शोधकार्य किया है। कीर्ति जी को बा के +ु $ करने केला अपत्यास नह, साथी के साथ भी साहित्य संप्रेषण से जुड़ी रही। कीर्ति चौधते के पिता सस्कार विरासत में मिले और के, एक बडी कवयित्री, लेखिका तथा जानी मानी गीतकार थी। कीति जी थे पर उनकी मा सुमित्राकुमारी ५, और अपनी मौलिकता लिए था। उनकी रचनाधर्मिता के पीछे का लेखन उनकी माँ के प्रभाव से मुक्त 7, का विवाह हिंदी के सर्वश्रेष् रेडियो प्रसारकों में से एक ओकार » बाबा की विविधता दिखाई देती हैं। कीर्ति पु, ओऑकारनाथ श्रीवास्तव का योगदान केवल रेडियों के लिए नहीं था हे हुआ। बीबीसी हिंदी सेवा के साथ, भी जाने जाते हैं। जाने माने साहित्यकार अजितकुमार कीर्ति जी के भाई है अपनी कविता और कहानियों के तिं* ।, लेखिका है। अतिमा के दो उपन्यास है। “टांसमिशन' और “लुकिंग फॉर की बेटी अतिमा श्रीवास्तव अंग्रेजी मै, , थे प्रकाशित हुए हैं, कीर्ति जी की कविता नई कविता के अन्य रचनाकाएं की तरह ही संपूर्ण जीवन की हक कविता |, 7). कविता है। उनकी कर्वि्ती ', , न, जे, 5-7 दम
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प्रमानवीयता, असभ्यता का व्यवहार एवं बरसों, छात्र की प्रतिभा को अनदेखा करने का तथा गुरू की अमानवीयता, असभ्य हार एवं बरसों से जह जा, मनोरूण्णता का पर्दाफाश किया दिखाई देता है।, , प्रस्तुत कविता में गुरूभक्ति, गुरू निष्ठा एवं गुरू के प्रति संपूर्ण समर्पण से पीड़ित एकलव्य अपनी वेदना ष, द्रोण के प्रति व्यक्त करते हुए कहता है कि, मैंने अपने जीवन में गुरू के रूप में केवल तुम्हें ही चाहा था। एक, कहता है कि मेरा दाहिना अँगूठा पहले से ही आपको समर्पित था। इतना ही नहीं मेरा हर लक्ष्य, उपलक्ष्य, उपकाण, साध्य, बाण, प्रत्यंचा, मेरे हाथों की चंचलगति ये सब आपकी देन मानकर आपको समर्पित किये थे। इन्हें तो मे पृ, की सामग्री समझकर गुरू चरणों में निर्माल्य-सा चढाया था। मेरे बेंधे हुए लक्ष्य और सिद्ध किए हुए बाणों को क, बार माथे से लगाया था, इनके सामने अपना सिर नवाया और गुरू चरणों पर इन्हें समर्पित किया था। हे गुरूवर्य द्रोश, मेरा जो कुछ भी था उसे मैंने तुम्हारी ही देन समझी थी। लेकिन विडंबना यह है कि जिस गुरू को मैं संसार का सर्वे!, गुरू समझकर जिसके प्रति मैंने अपना पूरा व्यक्तित्त्व समर्पित किया था, वह गुरू ही उससे अनभिन्ञ है। अंगूठा कया, देने के बाद मैं अपने जीवन में गुरू के प्रति किए संपूर्ण समर्पण का सिंहावलोकन करने लगता हूँ तब मुझे ऐसा महस्त, होता है कि मेरा अपना अपने गुरू के प्रति किया संपूर्ण समर्पण, निष्ठा और मेरे प्राणों की आकुल प्रतिष्ठा सब कुछ, झूठी साबित ठहरती है। मैंने जिस गुरू के प्रति समर्पण, निष्ठा और प्राणों की आकुल प्रतिष्ठा अर्पित की थी वह गृह, तुम थे ही नहीं। आप केवल माटी की मूरत थे क्या? जिसमें संवेदना नहीं रहती। हे गुरुवर्य, मैंने जो समर्पण, निष्ठा औ, भक्ति जिस गुरू के प्रति समर्पित की थी वे गुरू केवल माटी की मूरत नहीं थे। आपने जानबूझकर, सोच-समझक पे, प्रति यह अन्याय किया है। यदि आप में वह पूर्वग्रह दूषित भावना न होती तो आप गुरूदक्षिणा में मेरा सबकुछ छीन लेने, , की बात न सोचते। यहाँ हम देखते हैं कि गुरू द्रोण में पूर्वग्रह दूषित भावना होने के कारण राजकुमारों को सर्वश्रेष्ठ, साबित करने के लिए निम्न जाति के छात्रों की प्रतिभा को छीन लेना, उन्हें विद्या से दूर रखना, जीवन की प्रधान धागा, से किनारे कर देनी की बरसों पुरानी मानसिकता को कवयित्री उजागर करती है।, , 11.4 स्वयंअध्ययन के लिए प्रश्न :, , 1) 'एकलव्य' कविता की ................. कवयित्री है।, , 1) अनामिका 2) कीर्ति चौधरी 3) महादेवी वर्मा 4) सुमित्राकुमारी, 2) कीर्ति चौधरी ................. की प्रमुख कवयित्री है।, , 1) तार सप्तक 2) दूसरा सप्तक 3) तीसरा सप्तक 4) सप्तक, , 3) कीर्ति चौधरी का सही नाम है ................. ।, , 1) कीर्ति बाला सिन्हा 2) अनामिका 3) सुमित्राकुमारी सिन्हा 4) अदा, ला, 4) 'एकलव्य' कविता ................. संदर्भो को प्रस्तुत करती है।, , 1) आधुनिक 2) पौराणिक 3) वर्तमान, , जखील्न बट, जन