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हैं। उन्हें इनके काव्य में सामाजिक, , चिंतनशील कवि रहे हैं। उन्हें जन-जीवन के सजग कवि माना जाता है। इन गा, , हृढियों के प्रति विद्रोह की भावना दिखाई देती है। सामाजिक विषमता, शोषण आदि के प्रति उन, , अपने काव्य द्वारा व्यंग्य कसा है। निराला ने हिंदी कविता को नई दिशा, नई गति और गरिमा प्रदान, की है। कविता को मुक्त छंद प्रदान करने में इनका बहुत योगदान रहा है।, , महाकवि निराला के भीतर मानवता के समस्त गुण विद्यमान थे। काव्य में आम जनता के, प्रति अपार सहानुभूति पाई जाती है। “भिक्षुक' कविता महाप्राण निराला द्वारा लिखी गई है। प्रस्तुत, कविता में कवि एक भिखारी और उसके दो बच्चों की दयनीय अवस्था का वर्णन किया है। भिखारी, की पीठ और पेट भुखमरी के कारण एक हो गए हैं। बे अपनी भूख मिटाने के लिए भीख माँगते हैं,, कूडे पर फेंके हुए झूठी पशलों को चाट रहे हैं, जिसके लिए उन्हें कुत्तों से भी छिना-झपटी करनी पड, रही है। भिक्षुक की यह दयनीय अवस्था को देखकर कवि उनके प्रति अपने हृदय की सहानुभूति का, अमृत देकर उन्हें अभिमन्यु-सा बलवान बनाना चाहते हैं। जैसे वीर अभिमन्यु शत्रुओं के साथ, अकेला लडा वैसे ये भिक्षुक के बच्चे समाज के शोषकों के साथ लड़ने की शक्ति प्राप्त कर सके। इस, तरह प्रस्तुत कविता में निराला जी की प्रगतिवादी दृष्टि अभिव्यक्त हुई है।, , भिक्षुक, वह आता दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता |, पेट पीठ दोनों मिलकर है एक,, चल रहा लकुटिया टेक,, मुट्ठी भर दाने को, भूख मिटाने को,, मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता,, साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,, बाँये से वे मलते हुए पेट चलते हैं,, और दहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढाए।, भूख से सूख ओंठ जाते,, दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?, घूँट आँसूओं के पीकर रह जाते ।, चाट रहे जूठी पत्तल वे कभी सडक पर खडे हुए,, और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी अडे हुए।, ठहरो! अहो मेरे हृदय में है अमृत, में सींच दूँगा