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11. एकलव्य, , कवयित्री परिचय , - कीर्ति चौधरी, , कीर्ति चौधरी का जन्म | जनवरी, 1934 को उत्तरप्रदेश के उन्नाव नईमपुर ग्राम के ७, कायस्थे परिवार में हुआ। उन्नाव में जन्म के कुछ बरस बाद उन्हें पढाई के लिए कानपुर आना पढ़, सन 1954 में एम. ए. करने के बाद “उपन्यास के कथानक तत्व' जैसे विषय पर उन्होंने शोध £, किया। कीर्ति चौधरी की कविता नई कविता के अन्य रचनाकारों की तरह ही संपूर्ण जीवन #, कविता है। उनकी कविता में प्रतीकों और बिंबों का काफी प्रयोग मिलता है। उनकी कविता में छ, मोहक प्रगीतात्मकता देखने को मिलती है। उनकी कविता में मनुष्य और उसके समग्र अनुभवों, पकडने का प्रयास दिखाई देता है। पिछले ढाई दशकों में आकाशवाणी द्वारा सैकड़ों रचनाओं, , प्रसारण किया साथ ही कई प्रत्रिकाओं का संपादन एवं रचनाएँ प्रकाशित की है। इनका निधन 13 दर, 2008 को हुआ।, , 1, , साहित्य परिचय , तीसरा सप्तक में शामिल रचनाएँ, कविताएँ, खुले हुए आसमान के नीचे, कीर्ति चौधरी ई, कविताएँ, कीर्ति चौधरी की कहानियाँ आदि।, , हिंदी नई कविता की जानी-पहचानी मुखर कवयित्री कीर्ति चौधरी की 'एकलव्य' कवित, पौराणिक संदर्भो में प्रस्तुत है। यह कविता “तीसरा सप्तक' में संकलित है। यह कविता प्रतीकार्थी है, यह बात सर्वविदित है कि गुरू द्रोणाचार्य ने अपने शिष्य अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर सिद्ध के रूप ?ं, कढवा लिया था। यही वजह है कि साहसी धनुर्धर एकलव्य को उसकी गुरूनिष्ठा एवं गुरू भक्ति दें, लिए आज भी याद किया जाता है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से कीर्ति चौधरी ने गुरू दी, अमानवीयता, असभ्यता का व्यवहार एवं जातिवादी मानसिकता का पर्दाफाश किया है।