Page 1 :
इकाई 2 (घ), 8. घर की याद, , - राजेश जोशी, , , , , , , , , , अनुक्रम, 8.1... उद्देश्य, 8.2. प्रस्तावना, 8.3 विषय विवरण, 8.3... राजेश जोशी का परिचय, 8.3... 'घर की याद' कविता का परिचय, 8.3.3. 'घर की याद' कविता का आशय, 8.4. स्वयंअध्ययन के लिए प्रश्न, 8.5. पारिभाषिक शब्द, शब्दार्थ, 8.6. स्वयंअध्ययन के प्रश्नों के उत्तर, 8.7. सारांश, 8.8. स्वाध्याय, 8.9 क्षेत्रीय कार्य, , 8.10 अतिरिक्त अध्ययन के लिए
Page 2 :
8.1. उद्देश्य :, , इस इकाई के बाद आप |) कवि राजेश जोशी के व्यक्तित्व और साहित्यिक योगदान से परिचित होंगे।, 2) समकालीन हिंदी कविता में राजेश जोशी के योगदान को समझ पाएँगे।, , 3) समकालीन परिवेश में भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था को समझ सकेंगे।, , 8.2. प्रस्तावना :, राजेश जोशी समकालीन साहित्य के चर्चित साहित्यकार हैं। साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत राजेश जेः, , साहित्य सृजन के साथ साथ पत्रकारिता और अध्यापन क्षेत्र में भी कार्यरत रहे। राजेश जोशी ने कविताओं के 7५, साथ कहानी, नाटक, लेख-टिप्पणियाँ आदि का लेखन भी किया हैं उन्होंने नाट्यरूपांतर एवं कुछ लघु फिल्में;, लिए पटकथा लेखन भी किया है। कई भारतीय भाषाओं के साथ साथ अंग्रेजी, रूसी और जर्मनी भाषाओं में उस, कविताएं अनुवादित हुई हैं। उनकी कविताएं आम आदमी के जीवन को रेखांकित करती हैं। कवि आजाद भार के, उस व्यवस्था से बेहद नाराज है जिसने आम आदमी को सुख का झूठा भरोसा दिलाया था। गहरे सामाजिक अभि:, से युक्त अपनी कविताओं में उन्होंने एक ओर देश के आम आदमी के जीवन की प्रतिकूलता पर चिता व्यक्त की, वहीं दूसरी ओर विषम युगीन परिस्थितियों में भी संभावनाओं पर विश्वास जताया है। उनकी कविताओं द्वाए उ्े, , चिंतन की स्तरीयता और व्यापकता उजागर होती है।, , 8.3 विषय-विवरण :, 8.3.1 राजेश जोशी का जीवन परिचय :, , राजेश जोशी का जन्म 8 जुलाई, 1946 ई. में मध्यप्रदेश के नरसिंहगढ जिले में हुआ। राजेश जोशी मूतः, विज्ञान शाखा के छात्र रहे। उच्च शिक्षा हासिल करने के उपरांत लंबे समय तक वे पत्रकारिता, अध्यापन तथा के, सेवा में कार्यरत रहे। साहित्य सृजन के साथ साथ राजेश जोशी ने ट्रेड युनियन में तथा भोपाल गैसकांड में आम जन, का सेवक बनकर काम किया हैं। कवि की पत्नी बैंक में सेवारत है तथा पुत्री आई. आई. टी. मुंबई में लेक्व, अपनी बाल्यावस्था से ही उन्हें लेखन के प्रति लगाव रहा। अशोक अत्रे और बेणूगोपाल जी के संपर्क से उनकी लेक, रूचि वृद्धिंगत हुई।, साहित्यिक योगदान :, , कविता संग्रह. - एक दिन बोलेंगे पेड, मिट्टी का चेहरा, नेपथ्य में हँसी,, छ् दो पंक्तियों के बीच, चाँद की वर्तनी, , बाल कर्विती संग्रह - गेंद निराली मीदू की, , लंबी कविता. - समरगाथा
Page 3 :
उपन्यास -.. किस्सा कोत्याह, , कहानी संग्रह -.. सोमवार और अन्य कहानियाँ, कपिल का पेड़, नाटक - जादू जंगल, अच्छे आदमी, तुम सआदत हसन मंटो हो,, पाँसे, सपना मेरा यही सखी, हमें जबाब चाहिए।, बाल नाटक - ब्रहाराक्षस का नाई, अनुवाद - पतलून पहना बादल (मायकोवस्की की कविताओं का अनुवाद), , भूमि का कल्पतरू यह (भर्तृहरि की कविताओं का अनुवाद), , इसके साथ राजेश जोशी ने आलोचना के क्षेत्र में भी लेखन किया है। साथ में 'इसलिए' और “नया पथ' तथा, वर्तमान साहित्य के कविता विशेषांक का संपादन किया है। कुछ लघु फिल्मों का पटकथा लेखन भी किया है।, , पुरस्कार :, , अपने साहित्यिक योगदान के लिए राजेश जोशी को श्रीकांत वर्मा स्मृति सम्मान, पहल सम्मान, शमशेर, सम्मान, मुक्तिबोध सम्मान, माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, शिखर सम्मान तथा 'दो पंक्तियों के बीच' कविता संग्रह, के लिए सन् 2002 का साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।, , 8.3... घर की याद' कविता का परिचय :, , प्रस्तत कविता राजेश जोशी कृत साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त कृति 'दो पंक्तियों के बीच' में संकलित है।, यह कवि का चौथा काव्य संकलन है। इसका प्रथम संस्करण सन् 2000 में हुआ। इस संकलन में समाविष्ट कविताओं, का रचना काल सन् 1989 से 1999 तक का है। अपवादात्मक तौर पर इसमें सन् 1974 और 1985 की दो कविताओं, का भी समावेश है। प्रस्तुत कविताओं के केंद्र में आजाद भारत के आम आदमी का जीवन है। राजेश जोशी विषम, , युगीन परिस्थितियों में भी संभावनाओं पर विश्वास रखते हैं जिससे उनकी कविताओं के पात्र प्रतिकूलता में भी सुखद, भविष्य का सपना देखते हैं। यहाँ पर कवि के चिंतन की स्तरीयता और व्यापकता अजागर होती है।, , प्रस्तुत कविता वर्तमान शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भप्रश्नचार और उससे प्रभावित शिक्षक की व्यथा को मार्मिकता, से रेखांकित करती है। भ्रष्टाचार का शिकार बना प्रस्तुत कविता का शिक्षक कवि के साथ साथ पाठकों की मृतप्राय, बनी संवेदनाओं को जागृत करता हैं। आज मनचाही जगह पर उसी शिक्षक का तबादला हो पाता है जो संबंधित, सरकारी अधिकारी को मुँह मांगी घूंस दे पाता है। अन्यथा एक गहरी निराशा उसके जीवन में व्याप्त हो जाती है।, व्यवस्था के इस घिनौने स्वरूप के प्रति असंतोष प्रस्तुत कविता का कथ्य है।, , 83.3 “घर की याद” कविता का आशय :, राजेश जोशी की अधिकांश कविताओं के केंद्र में आजाद भारत के आम आदमी का जीवन है। कवि ने अपनी
Page 4 :
कविताओं के जरिए आजाद भारत की व्यवस्था के खिलाफ अपना तीव्र असंतोष प्रकट किया है। क्योंकि देश, विषम, भ्रष्ट शासन प्रणाली में आम आदमी का कोई अस्तित्त नहीं है। व्यवस्था से तंग आ चुका यह आदी 3., भी झूठे भरोसे की डोर पर चलकर अपना जीवन बरबाद कर रहा है। कवि उस व्यवस्था से बेहद नाराज है जिसे झा, आदमी को सुख का झूठा भरोसा दिलाया था। अंतरबाहा घटनाओं से जुझता टकराता कवि आम आदमी को मद, देखना चाहता है। हु, , समकालीन परिवेश की भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था कवि के लिए चिंतनीय बात है। सबसे आदर्श और पतित् पर, जानेवाली शिक्षा व्यवस्था भी अब देश की भ्रष्ट राजनीति की चपेट में आ गई है जिससे शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार ह, बडी मात्रा में अपनी जडे जमा ली है। शिक्षा विभाग से संबंधित सरकारी अधिकारियों ने मनमाने तरिके से प्रशक, को अपना लिया है। जिससे शिक्षक वर्ग को बडी यातनाएँ भुगतनी पड रही हैं समाज का परिवर्तन करने की क्षमता, रखनेवाला यह वर्ग भ्रष्टाचार का शिकार बन रहा है यह देश की सबसे बडी विडंबना है, , प्रस्तुत कविता वर्तमान शिक्षा प्रणाली में व्याप्त भ्रष्नाचार और उससे प्रभावित शिक्षक की व्यथा को मार्मिकता, से रेखांकित करती है। भ्रष्टचार का शिकार बना यह शिक्षक कवि के साथ साथ पाठकों की मृतप्राय बनी संवेदनाओं, को जागृत करता है। तबादले की समस्या आज के अनेक से शिक्षकों की मुख्य समस्या बनी हुई है। आज मनचाहे, जगह पर उसी शिक्षक का तबादला हो पाता हे जो संबंधित सरकारी अधिकारी को मूँहमांगी घूस दे पाता हैं। जिसकी, पैसे देने की क्षमता नहीं है उसका सालों तबादले की अर्जियाँ देने के बावजूद मनचाही जगह पर काम नहीं हो पाता।, गहरी निराशा उसके जीवन में व्याप्त हो जाती हैं व्यवस्था के इस घिनौने स्वरूप के प्रति कवि का असंतोष प्रस्तुत, कविता का कथ्य है।, , लंबे अरसे से अपने घर से कोसों मील नौकरी कर रहा यह शिक्षक अब जीवन में व्याप्त अकेलेपन से तंग आ, चुका हैं, अपने जीवन की उम्मीदों पर उसे पानी फिरता दिखाई दे रहा हैं, मानसिक तौर पर वह पूरी तरह टूट चुका है, अपने परिवारजनों के साथ रहने की उसकी चाहत उसे अपना तबादला करा लेने के लिए उसका रही है। जिससे उसने, तबादले की अर्जियां लेकर शिक्षा विभाग के पचासों चक्कर लगाए हैं। अपनी पगार में से अधिकांश पैसा वह संबंधित, कार्यालय में आने जाने पर खर्च कर चुका है। लगभग दस वर्षों से वह इस काम में जुटा हुआ है, कितनी कितनी बाए, अधिकारियों की मिन्नत करता रहा हैं इन यात्राओं के दरम्यान कितनी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक यातनाएँ उसे, भुगतनी पडी है पर उसके हाथ कुछ नहीं लगा है। किसी अधिकारी ने उसकी कोई बात नहीं सुनी है। अधिकार वे, केवल पैसों की भाषा जानते हैं। इस शिक्षक के पास संबंधित अधिकारियों को देने के लिए पैसों का अभाव है। अतः, अपनों से कोसों मील दूर वह लडखडाता हुआ अपने जीवन की उम्मीदों पर पानी फिरते हुए देखकर शराब वी, , आगोश में अपने आप को सुपूर्द कर उदासीन एवं प्रताडित जीवन को भूगत रहा है। यह घटना देश की भ्रष्ट शि, व्यवस्था को उजागर करती है।, , सार्वजनिक जगह पर भ्रष्ट व्यवस्था से संबंधित लोगों के विरोध में गुस्सा निकालता हुआ, गालियाँ देता हुआ, रोता चिह्लाता शिक्षक देख लोग समझ नहीं पाते कि यह किस बात का दुखडा है। कुछ समय के लिए शिक्षक वी
Page 5 :
कि 1, , डा लोगों का मन बहलानेवाला तमाशा बन जाती है। अपनी मनोवस्था से भ्रमित बना शिक्षक खुद भी समझ नहीं, पता कि कैसे वह शिक्षक से बहुरूपिया बन गया। अपने मन की व्यथा को दबाकर दर्शकों का मन बहलानेवाला, हरा कैसे बहुस्पिे के व्यक्तिगत दुःख से दर्शकों को कभी कोई लेना देना नहीं होता। वे तो बहुरुपिये में अपने, हनन का आनंद खोजते हैं। अतः अपने घर से सालों दूर अपनों से बेखबर यह शिक्षक अपने घर से ही नहीं अपने, जीवन से भी टूटते हुए. संपूर्ण मानव जाति के सामने अपने अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित करता है। यह कविता, डौकन के पुनर्वास की कविता है। अत: कविता के क्षेत्र में नए तेवर के साथ जीवन की वास्तविकता को, ह्रद्वत्मक रूप में प्रस्तुत करनेवाला कवि अपने परिवेश संबंधी कटिबद्धता का प्रमाण देकर अपने साहित्यिक, , बोगदान को सिद्ध करता है। प्रस्तुत कविता के जरिए समकालीन कवियों के लिए अभिव्यक्ति के अलग अलग मुद्दों, क्यो खोलकर रख देता है।, 84 स्वयंअध्ययन के लिए प्रश्न :, , 1) राजेश जोशी बहुचर्चित .............---- कवि है।, 1) समकालीन 2) छायावादी 3) प्रगतिवादी 4) हालावादी, , 2) «ून्ून्ूसलसाससन>»न काव्यसंग्रह के लिए राजेश जोशी को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया, गया।, , 1) मिट्टी का चेहरा 2) दो पंक्तियों के बीच 3) नेपथ्य में हँसी 4) एक दिन बोलेंगे पेड, , 3) घर की याद कविता ...............- द्वारा लिखित है।, , 1) सुमन 2) हरिवंशराय बच्चन 3) धूमिल 4) राजेश जोशी, 4) 'घरकी याद' कविता ..............-- काव्यसंग्रह में संकलित है। े, , 1) दो पंक्तियों के बीच 2) कबाडी का तराजू 3) यह हरा गलीचा 4) यह तुम भी जानो, 95 घरकी बाद कविता में ...............-- की व्यथा वर्णित है।, , 1) डॉक्टर 2) वकील 3) शिक्षक 4) क्लर्क, , $5 पारिभाषिक शब्द-शब्दार्थ :, 1) झोंक - झुकाव, प्रचंड गति, वेग।, 2 अर्जियां - आवेदन।, 3)निर्वासन - देश निकाला, गांव, शहर या देश आदि से दंडस्वरूप निकाल देना।, # स्वांग - नक्कल, लोकनाट्य का अत्यंत लोकप्रिय रूप।, $) टिट्हती - पानी की तलाश में रहनेवाली सफेद चिडियाँ।