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2. गृह-प्रवेश, , , , , , , , , , , , अनुक्रम, 2.1. उद्देश्य, 2.2. प्रस्तावना, 2.3 विषय विवेचन, 2.3.1. . मिथिलेश्वर का परिचय, 2.3.2 'गृह-प्रवेश” कहानी का परिचय, 2.3.3 'गृह-प्रवेश! कहानी का कथानक, 2.4 स्वयं-अध्ययन के लिए प्रश्न, 2.5 पारिभाषिक शब्द, शब्दार्थ, 2.6 स्वयं-अध्यंयन प्रश्नों के उत्तर, 2.7 सारांश, 2.8 स्वाध्याय, 2.9 क्षेत्रीय कार्य, , 2.10 अतिरिक्त अध्ययन के लिए।, , , , [8 )
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2.1 उद्देश्य, प्रस्तुत इकाई के अध्ययन के बाद आप+* मिथिलेश्वर के साहित्यिक कृतियों से परिचित होंगे।, * प्राम जीवन से परिचित हो जायेंगे।, * गाँवों में प्रचलित रूढियाँ एवं अंधविश्वास को समझेंगे।, * ग्राम जीवन के आर्थिक अभाव को समझेंगे।, , 2.2 प्रस्तावना, मिथिलेश्वर द्वार लिखित “गृह-प्रवेश' कहानी गाँव के संस्कारगत जीवन, पिछडापन,, * सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक विसंगतियाँ, अज्ञानता से उत्पन्न अनेक प्रश्नों को रेखांकित, करती है। ग्रामीण जीवन मे आज भी अनेक रूढ़ियाँ एवं अंधविश्वास का प्रचलन है। इसके शिकार, सिर्फ अनपढ, अज्ञानी गाँववाले ही है ऐसी बात नहीं तो समझदार तथा शिक्षित लोग भी है। गाँव, का कोई प्रगतिशील विचारोंवाला तथा शिक्षित व्यक्ति अंधविश्वास के अथवा रूढी परंपरा के खिलाप, कार्य करें तो आस-पास के लोग उसे ही दोषी मानते है। अगर उनके परिवार पर कोई संकट आए., तो उसका कारण अंधविश्वास का पालन न करना ही मानते हैं। कहानी के नायक प्रगतीवादी विचारों, के समर्थक है। श्रीवास्तवजी ने नया घर बनवाया मगर कोई धार्मिक विधि-विधान किए बिना ही, गृह-प्रवेश किया। मगर उसके बाद परिवार पर अनेक संकट आए और उन सारी समस्याओं का संबंध, गृह-प्रवेश से जोड दिया। वास्तव में उन संकटों का और गृह-प्रवेश का कोई संबंध नहीं था।, समस्याओं का असली कारण था आर्थिक अभाव। भले ही आज समाज कितना भी सुशिक्षित क्यों, न हो फिर भी वह रूढियाँ तथा अंधश्रध्दा का शिकार होता ही है। और समाज के अनेक घटक, उसे ऐसा करने के लिए उकसाते है।', , 2.3 विषय विवेचन, 2.3.1 मिथिलेश्वर का परिचय, प्रतिभासंपन््न तथा बहुचर्चित कहानीकार मिथिलेश्वर का वास्तविक नाम मिथिलेश्वर ही है। वे, उपनाम से प्रसिद्ध होने में विश्वास नहीं रखते। मिथिलेश्वर जी का जन्म 31 दिसंबर 1950 को, बिहार राज्य के भोजपुर जिले के बैसाडीह गाँव में हुआ। मिथिलेश्वर के मन में बचपन. से ही, , (9 ०]
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रेखांकित करती है। कहानीकार ने गाँव का जीवन नजदीकी से अनुभव किया है। परिणामत: उनकी, कहानी में ग्रामजीवन के रस्म-रीवाज, अंध-विश्वास, रहन-सहन, भाषा आदि की झलक पायी जाती, है। कहानीकार स्वयं प्रगतिशील विचारों के समर्थक होने के कारण गाँव में प्रचलित रूढ़ियाँ,, अंधविश्वास का चित्रण वे अपनी कहानी 'गृह-प्रवेश' में करते हैं। अंत में उनका मानना है कि ग्राम, के सारी समस्या की जड़ अर्थभाव है। अर्थाभाव के कारण ही अंधश्रद्धा जोर पकडती है।, , 2.3.3 'गृह-प्रवेश” कहानी का कथानक, , 'गृह-प्रवेश” कहानी मिथिलेश्वर जी के बहुचर्चित कहानी-संग्रह 'मेघना का निर्णय! में संकलित, है। कहानीकार गाँवो से जुडे रहने के कारण, आपके साहित्य में ग्राम जीवन की झलक रूपायित, होती है। गाँव का संस्कारगत जीवन, पिछडापन, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक विसंगतियाँ,, अज्ञानता से उत्पन्न अनेक प्रश्नों को लेखक ने अनुभवों के धरातल पर काफी सहजता से चित्रित, किया है। गृह-प्रवेश” कहानी का विषय गाँव मे प्रचलित रूढियाँ और अंधविश्वास का चित्रण करणा, है। मिथिलेश्वर जी के प्रगतिशील विचार कहानी में चेतना भर देते हैं, , कहानी का प्रमुख पात्र श्रीवास्तव जी हैं। उन्होंने नया घर बनवाया है। नया घर तो बना पर, अब तक गृह-प्रवेश नहीं हुआ। अतः उन्हें गृह-प्रवेश की चिंता सताती रहती है। श्रीवास्तव जी, बैसाडीह गाँव के निवासी है। और उन्होंने 1975 में नया मकान बनवाया था। वे प्रगतिशील विचारों, के समर्थक थे। वे लेखक थे और उनकी रचनाएँ पत्रिकाओं में छपती थी। वे रूढी मुक्त एवं, प्रगतीशील जीवन ज्ञापन करते थे। उन्होंने अपने नये घर में बिना पंडित को बुलाए, बिना धार्मिक, विधि-विधान किए, सिर्फ दो-तीन मित्रों को चाय-नाश्ता देकर गृह-प्रवेश किया था।, , कुछ दिनों बाद नये घर में श्रीवास्तव जी का बडा परिवार अपने सारे सदस्यों सहित आ बसा।, उन्हे इस बात की खबर नहीं थी कि श्रीवास्तव जी ने नये घर में बिना धार्मिक विधि-विधान किए, प्रवेश किया है। मगर कुछ दिनों पश्चात नये घर में परिवार के सदस्यों पर अनेक संकट आने लगे।, लेखक लेखन में रूचि रखते थे। अपनी अधिकतर उम्र लेखन में बीत जाने के कारण उनकी नौकरी, की उम्र चली गयी। वे गाँव की जमीन का छोटा हिस्सा बेचकर शहर आए थे। लेखक के घर के, अन्य सदस्य भी नौकरी के तलाश में थे। पर सफलता हात नहीं लगती थी। सारा परिवार अभावग्रस्त, जीवन ज्ञापन कर रहा था।, , श्रीवास्तव जी ने कोई धार्मिक अनुष्ठान एवं विधिवत गृह-प्रवेश न करने की बात अपने, परिवार से गुप्त रखी थी। इस बात का पता कुछ मित्र एवं पडोसियों को थी। पर परिवाखवालों को, , (एप)
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._एएएएओओ, फू, , पता पडोसीर्यों से चला। गृह-प्रवेश किए पुरा साल भी नहीं हुआ कि श्रीवास्त, संकट आने लछो। विधिवत गृह-प्रवेश न करने की बात सभी करो ख् रू, छोटी बहन छत से गीरकर भर गई। घर का बुढ़ा कुत्ता कसरत, था बह इंटरव्यू में असफल ही गया। माँ को दिल का टौग ५७,, , छोटा भाई नौकरी के तालश मे, बहन की तय हुई शादी टूट गयी। श्रीवास्तव जी ने बहुत सा सामान घर के छत पर रखा था। ७ हे, , दिन रात को घर के छत पर रखा सामान चोरी हो गया। परिवार के सारे सदस्य इन सभी अ&.., , इस बात का, के परिवार पर अनेक, थी कि एक दिन अचानक सबसे, , , , एवं अशुभ बातों का संबंध विधिवत गृह-प्रवेश न करने से जोडते है। श्रीवास्तवजी ने 4., दान-दक्षिणा बचायी थी पर परिवार के सारे सदस्यों का रोष उन्हें सहना पड रहा था। ये सारे, $, , परेशान कर रहे थे।, अंत में माँ ने पंडित को बुलाया। पंडित ने सारी विपत्तियों की जड़ विधिवत ग्रह-प्रवेश :, , करना माना। पर अब समय बित चूका था। एकही धर में पुनःप्रवेश ना मुमकीन था। पंडित 6., , मतानुसार पुनः विधिवत गृह-प्रवेश नहीं हो सकता था। अत: पंडित ने शांति के लिए, करने की सलाह दी। अब शिक्षित लोग भी इस बात का विश्वास करने लगे और शांति, पूजा, , , , , गृह-प्रवेश का समर्थन करने लगें।, , , , आज भी श्रीवास्तव जी को गृह-प्रवेश के बारे में पुछा जाता है तो वे उस बात को ठल्ले 2“, है। वे भले ही नये विचारों के समर्थक है, प्रगतिशील लेखक है मगर समाज में प्रचलित नि, अंधविश्वास के सामने वे मौन ही है। श्रीवास्तवजी और उनके परिवार पर आए अनेक रब ५, आर्थिक आभाव से संबंधित है, कुछ घटनाएँ संयोगवश हुई है। पर उसका गलत अर्थ निकाला उठ, है। वर्तमान समय में हमने काफी तरक्की की है, समाज सुशिक्षित हुआ है पर आज भी हु, अंधश्रध्दाओं का, रूढियों का शिकार बनता ही है। समाज के अनेक घटक उसे ऐसा करे के हि *, उकसाते हैं।, , 2.6 स, , 2.4 स्वयं-अध्ययन के लिए प्रश्न- ७ निम्नलिखित वाक्यों के नीचे दिये गये पर्यायों में से उचित पर्याय चुनकर वार्ई रे, , फिर से लिखिए। गा, , 4., , 1. गृह-प्रवेश कहानी मिथिलेश्वर के ...........*** कहानी संग्रह में संकलित है।, , 5., (अ) तविरिया जनम (ब) ग्रेषग का रि्वि ५, अशोक. की नन्लटी बाबुजी (5) दूसरा महाभारत/, , , , जप