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इकाई-2 ; ऋथा साहित्य, 4. जॉर्ज पंचम की नाक, , , , 422 ै%<:-<#त0+ह परत सपक- पास साथ २..., , अनुक्रम, 4.1. डद्दश्य टूटे य॒, , 4.2. प्रस्तावना, 4.3 विषय विवेचन, 4.3.1.. कमलेश्वर का परिचय, 4.3.2.. जॉर्ज पंचम की नाक! कहानी का परिचय, 4.3.3.. जॉर्ज पंचम की नाक कहानी का कथानक, 4.4. स्वयं-अध्ययन के लिए प्रश्न, 4.5 पारिभाषिक शब्द, शब्दार्थ, 4.6 स्वयं-अध्ययन प्रश्नों के उत्तर, 4.7. सारांश, 4.8. स्वाध्याय, 4.9 क्षेत्रीय कार्य, , 4.10 अतिरिक्त अध्ययन के लिए।, , 4.1 उद्देश्य, , इस इकाई के अध्ययन के बाद आप* कमलेश्वर की साहित्यिक रचनाओं से परिचित होंगे।, , «भ्रष्ट शासन-प्रशासन व्यवस्था को जान लेंगे।, , करमलछेश्वर, , , , (5)
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पश्चिमी प्रभाव से भारतीय संस्कृति के पतन को जानेंगे।, राष्ट्रीय अस्मिता की सच्चाई को परख सकेंगे।, , » देश में स्थित विसंगतियों को पहचान पायेंगे।, «सरकारी कामकाज की नीति पर अवश्य सोचेंगे।, , 4.2. प्रस्तावना, , कमलेश्वर द्वारा लिखित 'जॉर्ज पंचम की नाक' इस कहानी में व्यंग्य प्रहार करते हुए शासन, तथा प्रशासन व्यवस्था का भ्रष्ट रूप पाठकों के सामने लाया गया है। यह कहानी व्यवहार और, वास्तव का सच्चा रूप प्रस्तुत करती है। राजनीतिक विसंगतियों को बड़ी सशक्तता के साथ चित्रित, करने का काम यह कहानी करती है। विदेशी शासन के सामने अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए, झुकने की प्रवृत्तियों पर यहाँ तमाचा लगाया गया है। राष्ट्रीय हित की अपेक्षा ऐसी प्रवृत्तियाँ अनचाहे, कार्यों में अपनी शक्ति, धन तथा समय किस प्रकार खर्च करती हैं? इसे प्रस्तुत कहानी में बढ़िया, तरीके से दर्शाया गया है।, , 4.3 विषय विवेचन, , 4.3.1 कमलेश्वर का परिचय, , 6 जनवरी 1932 में कमलेश्वर जी का जन्म हुआ। उत्तर प्रदेश का मैनपुरी गाँव उनका, जन्मस्थल है। नयी कहानी आंदोलन के सशक्त तथा प्रभावशाली कहानीकारों में उनका नाम शीर्षस्थ, है। वर्तमान जीवन की पीडाओं और संघर्षों को उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से वाणी दी है।, , अन्याय तथा भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करके जीवनमूल्यों की सही पहचान करने का संदेश वे अपनी, कहानियों के माध्यम से देते है।, , ० रचनाएँ , ; कॉम (कहानी), ऐयाश प्रेतों का विद्रोह” (लेखमाला), 'कितने पाकिस्तान' (उपन्यास),, चन्द्रकांता, दर्पण', 'बिखरे पन््ने” (धारावाहिक लेखन), फिर वही', 'सारा आकाश', 'डाक, , & 3. ४ )? «४.७, बंगला | छोटी सी बात', आँधी' (फिल्म पटकथा लेखन), 'सारिका', “गंगा', दैनिक जागरण!, दैनिक भास्कर” (पत्र-पत्रिका संपादन) आदि। ह, , (%)
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आन्दोलन हुए, राजनीतिक दलों के बीच गरमागरम बहस, नाक रहने दी जाये या हटायी जाये। कुछ समर्थन, शायद वे दोनों तरफ थे। किसी की इतनी, , उससे पहले बड़ा तहलका मच गथा, आ, हो गयी, नेताओं ने लम्बे-चौडे भाषण झाड़ दिये, पु, में उतरे तो कुछ विरोध में लेकिन अधिकतर तो तटस्थ रहें शाय, हिम्मत कि वे सीधे नाक तक पहुँच गये।, , सनी आ रही थी और जॉर्ज पंचम की नाक न हो यह तो बड़ी परेशानी थी। बैठक बुलायी, गयी, चर्चाएँ होने लगी और एकमत से सहमति यह हुई कि यह नाक गायब हो गयी है तो हमारी, भी नाक कट जाएगी। उच्चस्तरीय बैठकों का आयोजन किया गया और यह निश्चित हुआ कि किसी, कुशल मूर्तिकार को बुलाकर यह नाक फिर से बिठायी जाये। फिर क्या मूर्तिकार को दिल्ली में हाजिर, , होने का आदेश दिया गया।, , मूर्तिकार कलाकार था लेकिन कुछ पैसों के लिए लाचार था। आते ही उसने देखा सबके सब, चेहरें निराश, परेशान रंग उड़े हुए लग रहे थे। उनके हालातों पर मूर्तिकार को तरस आ गया, उसकी, आँखें नम हो गयी तभी एक आवाज ने उसे जॉर्ज पंचम की नाक लगाने का आदेश दिया। मूर्तिकार, ने पुतले की स्थापन, पत्थर, कालखंड आदि की पूँछताछ की। सभी वरिष्ठ एक-दूसरे की तरफ देखने, लगे। अब यह किसको पता था? तुरंत एक कारकून को बुलाया गया और छान-बीन का काम, सौंपाया गया। पुगातत्त्व विभाग की बरसों पुरानी फाईलें निकाली गयी लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा।, क्लर्क ने समिती के सामने हाथ जोडकर माफी माँगी।, , फिर एक विशेष समिती का इस काम के लिए गठन किया गया। मूर्तिकार को बुलाकर यह, खास जिम्मेदारी दी गयी। उसने हिंदुस्थान के हर पहाड़ पर जाकर उस पत्थर को खोजकर उसी प्रकार, का पत्थर वापस लाने का वादा किया तो सब निश्चित हो गये। मूर्तिकार कई दिनों के दौरे से खाली, हाथ लौट आया तो पता चला कि वह पत्थर विदेशी है। समिती के सभापति ने सभी सदस्यों की, निंदा करते हुए पत्थर न मिलने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की तभी मूर्तिकार ने और एक पर्याय, समिती के सामने अखबार में न छपवाने की शर्त पर सूचित किया कि देश के नेताओं की जितनी, भी मूर्तियाँ हैं, उसमें से किसी एक की नाक जो जॉर्ज पंचम के लिए ठीक हो, उसे उतारकर बिठाया, जाये। इस पर्याय से पहले सभापति दूवारा चपरासी को दरवाजा बंद करने के आदेश दिये गये।, , ।॒ फिर मूर्तिकार का दौश आरंभ हुआ। दादाभाई नौरोजी, गोखले, तिलक, शिवाजी, जहाँगीर,, /धीजी, सरदार पटेल, विट्ठल पटेल, महादेव देसाई, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ सुभाषचंन्द्र बोस, राजा, पममोहन राय, चन्द्रशेखर आजाद, बिस्मिल मोतीलाल नेहरू, मदनमोहन नॉलबीय स््यू 7 0, , नाक के नाप लिए पर जॉर्ज पंचम की नाक इन सबकी नाकों से, ( ( 28 ) ), , , , , , |, , 1
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बड़ी थी। कुछ देर बाद और एक पर्याय निकला कि बिहार के सचिवालय के सामने बयालीस के, आंदोलन में शहीद हुए तीन बच्चों की प्रतिकृति में से कोई नाक फिट बैठ जाये पर तीनों की नार्के, भी जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी थी। अब क्या करें?, , रानी के आने की सब तैयारियाँ दिल्ली में होने लगी। जॉर्ज पंचम की मूर्ति को रगड़-रगड़कर, धोया गया। नाक कहाँ से लाये? मूर्तिकार भी पराजित होनेवाला कलाकार नहीं था। फिर उसके मन, में एक विचार आया। दरवाजे फिर बंद हुए, बैठक का फिर आयोजन किया गया, मूर्तिकार ने चालीस, करोड जनता में से किसी एक की जिन्दा नाक बिठाने का प्रस्ताव सामने रखा। बैठक में खामोशी, छा गयी, सभी परेशान हो गये लेकिन कुछ ही देर में मूर्तिकार को इस बात की अनुमती दी गयी।, इस प्रकार नाक की चर्चा समाप्त हो गयी और राजपथ पर इंडिया गेट के पास जॉर्ज पंचम के पुतले, को नाक लगाने का फैसला हुआ। अखबारों में फिर यह छपा गया।, , नाक लगाने से पहले हथियारबन्द पहरेदारों को वहाँ नियुक्त किया गया। पास के तालाब को, सुखाकर, साफ करके, ताजा पानी भर दिया गया। जिन्दा नाक लगाने की खबर किसी को नहीं थी।, रानी के राजधानी आने का दिन नजदीक आने लगा और वो दिन आया जॉर्ज पंचम की नाक लग, गयी। अखबारों ने छापा कि नाक ऐसी है, जो पत्थर की नहीं लगती है। उस दिन अखबार में न, किसी उद्घाटन, फीता काटने की, सार्वजनिक सभा की, अभिनन्दन की, मानपत्र भेट की, स्वागतसमारोह की कोई खबर नहीं थी। सभी अखबार रिक्त थे, पता नहीं इसका क्या कारण था?, , इस प्रकार जॉर्ज पंचम की नाक लगाने के लिए जो कई प्रयास किये गये इसकी मार्मिक शब्दों, में कमलेश्वर जी ने चर्चा करते हुए देश की शासन-प्रशासन व्यवस्था का खोखलापन सार्थक, टिप्पणियों के साथ प्रस्तुत कहानी में चित्रित किया है।, 4.4 स्वयं-अध्ययन के लिए प्रश्न, , 0 निम्नलिखित वाक््यों के नीचे दिये गये पर्यायों में से उचित पर्याय चुनकर वाक्य, , , , फिर से लिखिए।, 1. जॉर्ज पंचम की नाक ........*००*** की कहानी है।, (अ) कमलेशवर (ब) मलू भंडारी_ (क) मिथिलेशवर॒. (3) प्रेमचंद/, 2, “शंख .......७०-००७* में बज रहा था, गूँज हिंदुस्थान में आ रही थी।”', (अं) अग्ररिका (ब) इलैंड (क) क्रान्स (ड) स्वीडन/, (29 )