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11:58 ७0५ ५72 (.) ७ *4 ॥५॥ .॥ (छठ), , अपठित गद्यांश --3, मैं पुस्तक हूँ। मैं तुम्हारी अपनी पुस्तक हूँ। अगर तुम, मुझसे प्यार करोगे तो बड़े बन जाओगे। मैं ज्ञान का, भंडार हूँ। आदमी को आदमी मैंने बनाया है। आदमी, पढ़ सकता है, पशु नहीं पढ़ सकते। मुझे ध्यान से, पढ़ने वाला ज्ञानी बन जाता हैं। मुझे प्रेम से पढ़ने, वाला महान बन जाता है। इसीलिए मैं कहती हूँ कि, मुझे ध्यान से पढ़ा करो। मैं यह नहीं कहती कि तुम, खेला न करो | खेलना भी आवश्यक हैं पर पढ़ना, उससे भी अधिक आवश्यक हैं।, , १,अपठित गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नो के उत्तर, दीजिये :, , (क) पुस्तक के ऊपर क्या लिखा है ?, उत्तर -, (ख) पुस्तक किसका भंडार है ?, उत्तर -, (ग) मनुष्य को आदमी किसने बनाया ?, उत्तर -, 2.खाली जगह भरो-क) मुझे प्रेम से पढ़ने वाला -------- बनजाता है। «, ख)मुझे ध्यान से पढ़ने वाला ---------- बन जाता हैं।