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निर्माण आयोजन एवं समय निर्धार:, (CONSTRUCTION PLANNING AND SCHEDULING), (I) निर्माण आयोजन (CONSTRUCTION PLANNING), 8 2.1. आयोजन (Planning):, आयोजन का अर्थ है 'करने से पहले सोचना' अर्थात् किसी कार्य को करने के लिये उसके सभी पहलुओं पर विस्तार से, विचार-विमर्श करके उसकी एक व्यावहारिक कार्य-प्रणाली निर्धारित करना, जिससे कार्य सहज ढंग से और समय में पूर्ण हो जाये ।, आयोजन का सभी गतिविधियों से गहरा सम्बन्ध है। व्यक्तिगत जीवन में भी सफलता प्राप्त करने के लिये योजना बनानी पड़ती, है। बगैर आयोजन के किसी कार्य में हाथ डालना और सफलता की कामना करना, अंधेरे में परछाई को पकड़ना है। अत: किसी, कार्य को सुचारू ढंग से सम्पन्न करने के लिये आयोजन आवश्यक है। आयोजन सरल तथा लचीला होना चाहिये। यह निर्माण, काल में आने वाली कठिनाइयों तथा बाधाओं का पूर्वभान कर सके।, 2.1.1. निर्माण आयोजन (Construction Planning)-विभिन्न निर्माण संक्रियाओं के लिये, तर्कसंगत व मितव्ययी दृष्टि से, सोच-विचार करके, एक व्यावहारिक क्रम निर्धारित करना, निर्माण आयोजन कहलाता है। निर्माण आयोजन करते समय आयोजक, को परियोजना के लिये आवश्यक सामग्री, श्रमिक, उपस्कर तथा उपलब्ध समय (अवधि) को ध्यान में रखना चाहिये। इसके साथ, ही वित्तीय साधनों व वित्तीय आगत की जानकारी भी होनी चाहिये।, $ 2.2. आयोजन का उद्देश्य (Object of Planning) :, आयोजन का मुख्य उद्देश्य किसी परियोजना (Project) को, उपलब्ध साधनों द्वारा निर्धारित समय के भीतर मितव्ययी ढंग, से पूर्ण करने के लिये एक व्यावहारिक कार्यक्रम निर्धारित करना है।, $ 2.3. आयोजन का आधार (Base of Planning) :, किसी निर्माण-कार्य की योजना तैयार करने के लिये, (i) सामग्री, (ii) उपस्कर, (iii) श्रमिक, (iv) वित्त तथा (v) पूर्ति-समय, को आधार माना जाता है। निर्माण आयोजन को सार्थक बनाने के लिये निम्नलिखित बातें महत्व रखती हैं-, (1) नक्शे तथा एस्टीमेंट-निर्माण-स्थल की स्थलाकृति को देखते हुये, परियोजना के पूर्ण संरचनात्मक अभिकल्पन, नक्शे, तथा एस्टीमेट तैयार किये जायें।, (2) निर्माण सामग्री-सभी आवश्यक निर्माण सामग्री की कार्य शुरू करने से पूर्व व्यवस्था कर ली जाये। निर्माण सामग्री की, गणना परियोजना के विस्तृत एस्टीमेट से की जाती है।, (3) श्रमिक-निर्माण-कार्य के लिये आवश्यक कुशल-अकुशल श्रृमिकों की नियुक्ति की जाये और यदि उनको प्रशिक्षण की, भी आवश्यकता है तो यह कार्य निम्माण आरम्भ करने से पूर्व कर लेना चाहिये।, (4) यातायात के साधन- श्रमिकों तथा निर्माण सामग्री को निर्माण स्थल तक पहुँचाने के लिये उस क्षेत्र में रेल लाइन/सड़कों, का होना जरूरी है। वास्तविक निर्माण शुरु करने से पहले, क्षेत्र में यातायात के साधन उपलब्ध कराने चाहिये।, (5) औजार व मशीनें-परियोजना पर प्रयुक्त किये जाने वाले औजार तथा मशीनों का समय पर प्रबन्ध किया जाये।, (6) निर्माण विधि-परियोजना को सम्पन्न करने के तरीकों पर विचार करना चाहिये। कार्य मशीनों द्वारा किया जायेगा अथवा, श्रमिकों द्वारा होगा, इसका पूर्व निर्णय करना आवश्यक है।, (7) उपकरणों की मरम्मत-औजार तथा मशीनों की मरम्मत का निर्माण स्थल पर ही प्रबन्ध किया जाये, ताकि कार्य की, प्रगति प्रभावित न हो।, 14, Scanned by Scanner Go, 2022-2-5 11:00
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16 निर्माण प्रबन्ध, ठेकेदार को व्यवसाय में बने रहने के लिये सबसे न्यूनतम टेण्डर देकर कार्य प्राप्त करना होता है तथा इसे अभियन्ता के, निर्देशानुसार पूर्ण कर, इससे अपना उचित लाभांश प्राप्त करना है। इस उद्देश्य के लिये उसे योजना बनानी पडती है।, टेण्डर भरने से पूर्व ठेकेदार को निम्नलिखित सूचनायें तथा जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहियें और इनके आधार पर ही यक्ति, संगत दरें भरनी चाहिये। ध्यान रहे कि एक बार अपनी दरें प्रेषित करने के बाद ठेकेदार इसमें वृद्धि नहीं कंर सकता है. परन्त, प्रबन्धक/अभियन्ता इसे कम करने के लिये आग्रह अवश्य कर सकते हैं।, 8., 9., 1. कार्य स्थल (Site) टेण्डर भरने से पहले ठेकेदार को निर्माण-स्थल की पूरी जानकारी होनी चाहिये, क्योंकि कार्य प्रागभ, करने के लिये ठेकेदार को सामग्री तथा श्रमिकों के साथ वहाँ पर पहुँचना होगा। यदि परियोजना की भूमि पर अभी तक, प्रबन्धकों का कब्जा नहीं हुआ है अथवा न्यायालय में कोई विवाद चल रहा है तो ठेकेदार को बीच में काम बन्द करना, पड़ सकता है, जिसके कारण निर्माण सामग्री गल-सड़ सकती है और श्रमिक भाग जाते हैं, फलत: ठेकेदार नुकसान उठाता है।, 2. कार्य की ड्राइंग, एस्टीमेट तथा विशिष्टियों का अध्ययन (Study of Drawings and Specifications)- ठेकेदार को, अपनी दरें अंकित करने से पूर्व कार्य के अभिकल्पन, लागत, विशिष्टियों, विभिन्न मदों के परिमाण की जानकारी प्राप्त कर, लेनी चाहिये। चिनाई कार्य अधिक है अथवा प्रबलित सीमेण्ट कंक्रीट का, महँगी मदों के परिमाण अधिक हैं अथवा कम ।, कौन-सी मद में लाभ अधिक है? कौन-सी में कम? कार्य की विशिष्टियाँ सामान्य हैं अथवा विशेष प्रकार की। विशेष श्रमिकों, की आवश्यकता पडेगी अथवा नहीं, इत्यादि। इस सूचना के आधार पर वह अपने लाभांश का अनुमान लगा सकता है।, 3. सामग्री (Material) ठेकेदारों को कार्य पर प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों का ब्यौरा, गुणता, मूल्य, परिमाण, प्राप्ति स्थान, परिवहन व्यय, भण्डारण इत्यादि के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिये। यदि निकट भविष्य में खले बाजार में, सामग्रियों की दरों में वृद्धि होने की सम्भावना हैं, तो उसको भी ध्यान में रखना चाहिये।, जो निर्माण-सामग्री विभाग ने सप्लाई करनी है अथवा कण्ट्रोल मूल्य पर प्राप्त हो सकती है, उसका पता लगा लेना चाहिये।, 10., 11., 12., 13, 4. श्रमिक (Labour) ठेकेदार को निर्माण कार्य के लिये विभिन्न श्रेणी के श्रमिकों तथा उनकी संख्या का अनुमान लगा लेना, चाहिये। यह श्रमिक कहाँ से तथा कितनी मजदूरी पर उपलब्ध हो सकेंगे? टेण्डर भरने से पूर्व इसकी जानकारी आवश्यक, है। परियोजना की लागत का लगभग 30% श्रमिकों की मजदूरी पर व्यय होता है। सस्ती दरों पर श्रमिक उपलब्ध हो जाने, पर ठेकेदार का लाभांश बढ़ जाता है।, श्रमिकों को श्रमिक एक्ट के अनुसार प्रदान की जाने वाली न्यूनतम सुविधायें; जैसे-आवास, बिजली- पानी की व्यवस्था,, चिकित्सा, दुर्घटना होने पर मुआवजा, बच्चों के लिये स्कूल आदि पर होने वाला व्यय भी ठेकेदार को देना होता है, जिससे, लाभांश में कमी आती है।, 5. औजार तथा मशीनें (Tools and Plants) ठेकेदार को विशेष औजारों तथा मशीनों के बारे में, जिनका प्रयोग निर्माण, कार्य पर किया जाना आवश्यक है, की स्थिति जान लेनी चाहिये। कौन-कौन सी मशीनें विभाग सप्लाई करेगा और किस, दर पर तथा किन संयन्त्रों की ठेकेदार को स्वयं व्यवस्था करनी होगी और इन पर कितना व्यय होगा, यह ज्ञात करना भी, जरूरी होता है।, त, 6. भौगोलिक स्थिति (Geographical Location) निर्माण क्षेत्र की भौगोलिक जानकारी-क्षेत्र पर्वतीय है अथवा मैदानी,, शहरी है अथवा जंगल, भूमि दलदली है अथवा पथरीली या रेतीली, वर्षा अधिक होती है अथवा मौसम सूखा रहता है इत्यादि,, प्राप्त करना जरूरी है। अत्यधिक ठण्डे, गर्म तथा वर्षा वाले स्थानों पर निर्माण कार्य की प्रगति धीमी रहती है और श्रमिकों, को मजदूरी भी अधिक देनी पड़ती है।, 7. भूवैज्ञानिक स्थिति (Geological Conditions) निर्माण क्षेत्र की भूवैज्ञानिक स्थिति की जानकारी से निर्माण के दौरान आने, वाली अनेक समस्याओं को सही ढंग से निपटाने में सहायता मिलती है। भूमि की रचाना, दरारें, चट्टानें, फटान, नदियाँ, झरनें,, भूमि जल-स्तर का पता लगाकर उपयुक्त निर्माण विधि अपनाई जा सकती है। वैसे परियोजना को अन्तिम रूप देने से पहले, विभाग कार्य-स्थल का विस्तृत भूवैज्ञानिक अध्ययन करता है, फिर भी ठेकेदार की इस विषय में रूचि उसके लिये लाभप्रद, ही सिद्ध होती है।, 2022-2-5 11:01, Scanned by Scanner Go
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निर्माण आयोजन एवं समय निर्धारण 17, 8. नींव की प्रकार (Type of Foundation)- संरचना की नींव किस प्रकार की है-राफ्ट, कूपक, पाइल, केसून अन्यथा, कोई और नींव में भौम जल के घुस आने की सम्भावना, तख्ता बन्दी, विजलन इत्यादि की समस्या, जिसके हल के लिये, अतिरिक्त धनराशि व्यय करनी पड़ सकती है, का पूर्वज्ञान आवश्यक है।, 9. पानी तथा बिजली की उपलब्धता (Availability of Water and Electricity) -निर्माण कार्य के लिये बिजली-पानी, कहाँ से, कैसे और किस दरों पर उपलब्ध होगा? इसका वहन कैसे किया जायेगा ? यह सब बातें विचारणीय हैं। यदि इसका, प्रबन्ध ठेकेदार को स्वयं करना है, इस पर होने वाला अतिरिक्त व्यय टेण्डर में जोड़ा जाना चाहिये।, 10. यातायात के साधन (Means of Transport) - कार्य-स्थल तक आवश्यक निर्माण सामग्री, मशीनें तथा श्रमिक ले जाने, की क्या व्यवस्था होगी? निर्माण-स्थल के निकट कौन-सा रेलवे स्टेशन अथवा सडक है? रेलवे स्टेशन से पहुँच-मार्ग, (Approach Road) यदि आवश्यक है, तो इस पर कितना व्यय होगा और यह किसके खर्चे पर डाला जायेगा।, 11. परियोजना का पूर्ति-समय (Completion Time of Project ) - परियोजना को पूर्ण करने के लिये टेण्डर सूचना में कितना, समय दिया गया है? क्या ठेकेदार के पास इतने साधन उपलब्ध हैं कि वह प्रस्तावित कार्य को निर्धारित समय के भीतर निपटा, सके. इस पर विचार आवश्यक है।, यन्ता के, युक्ति, . परन्तु, प्रारम्भ, भी तक, करना, छाता है।, दार को, प्त कर, कम,, श्रमिकों, ता है।, 12. ठेके की शर्तें (Contract Clauses) ठेके की अन्य शर्तों पर भी विचार करना चाहिये। कुछ ऐसी कठोर शर्ते, जो बाद, में ठेकेदार को मुश्किल में डाल दें अथवा इसे लाभ के स्थान पर हानि पहुँचायें, को जल्दबाजी में स्वीकार करना बुद्धिमत्ता, नहीं है। बाजार में निर्माण सामग्री की दरें बढ जाने पर अथवा अन्य अनिश्चतताओं के प्रति ठेके में क्या प्रावधान है? इसे, देखना भी आवश्यक हो जाता है।, स्थान,, 13. भुगतान की पद्धति (Payment) कार्य के भुगतान की पद्धति क्या रहेगी? क्या ठेके में चालू भुगतान का प्रावधान है?, इस सूचना में ठेकेदार को पता लग जाता है कि उसे कार्य शुरू करने के लिये कितनी कार्यकर पूँजी (Working Capital), का प्रबन्ध करना होगा।, जार में, गाहिये।, लेना, 2.6.2. ठेका प्राप्ति के बाद आयोजन (Post-Contract Planning)-ठेकेदार द्वारा यह आयोजन टेण्डर के स्वीकृत होने, तथा ठेका प्राप्ति के पश्चात् वास्तविक निर्माण कार्य शुरू करने से पूर्व किया जाता है।, इस आयोजन के अन्तर्गत निम्नलिखित बातों पर निर्णय लिया जाता है-, 1. निर्माण शिविर का स्थापन निर्माण-स्थल पर शिविर लगाने, पहुँच सडके. रोशनी, पानी, शैड इत्यादि के बारे में आयोजन, किया जाता है।, 2. निर्माण क्रियाओं का निर्धारण निर्माण कार्य के लिये कौन-सी क्रियायें कब और किस क्रम से करनी हैं. अर्थात् विभिन्न, क्रियाओं का अनुक्रमण तैयार करना होता है।, 3. निर्माण कर्मियों की नियुक्ति निर्माण कार्य के लिये आवश्यक अधिकारियों, सुपरवाइजरों तथा श्रमिकों की संख्या ज्ञात, की जाती है और इनकी व्यवस्था की जाती है।, 4. निर्माण सामग्री की पूुर्ति- आवश्यक निर्माण सामग्री की मात्रा तथा इसकी सप्लाई के लिये किसको तथा कब आर्डर भेजना, है? इस पर कार्यवाही की जाती है।, 5. उपकरणों की प्राप्ति औजारों तथा मशीनों के नाम, संख्या तथा कब किसकी आवश्यकता पड़ेगी, की विवरणी तैयार की, जाती है और उनको मँगवाने के आदेश भेजे जाते हैं।, 6. मदों का विश्लेषण- किस मद में कितना कार्य (परिमाण) होना है और इसके लिये कितना समय दरकार तथा उपलब्ध, है, का ब्योरा तैयार किया जाता है।, 7. खुवरा कार्यों की सूची- ऐसे छोटे-मोटे कार्यों की सूची, जो खुदरा ठेकेदारों (Petty Contractors) द्वारा कराये जा सकते, हैं, तैयार की जाती है।, ৪, समय तथा साधनों का समंजन-निर्माण कार्य कितनी अवधि में पूर्ण हो जायेगा. इसके लिये ठेकेदार अपने पास उपलब्ध, साधनों के आधार पर रफ अनुमान लगाता है।, श्यक, जाने, वस्था,, जससे, र्माण, किस, | भी, नी,, दि,, कों, आने, रनें,, हले, प्रद, 2022-2-5 11:01, Scanned by Scanner Go