Page 1 :
1, बुध, शनि, वृहस्पति, 0657CHO1, पृथ्वी, यूरेनस, मंगल, शुक्र, सौरमंडल में पृथ्वी, नेप्च्यून, प्लूटों, सूर्यास्त के बाद आकाश को देखना कितना अच्छा लगता है। आसमान, में पहले एक या दो चमकते बिंदु ही दिखते हैं, लेकिन बाद में इनकी, संख्या बढ़ती जाती है। आप उनकी गणना नहीं कर सकते । संपूर्ण, आकाश छोटी-छोटी चमकदार वस्तुओं से भर जाता है, जिनमें से कुछ, चमकीले होते हैं एवं कुछ धुँधले । ऐसा प्रतीत होता है, मानो आकाश, में हीरे जड़े हों। इनमें से कुछ टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। लेकिन अगर, आप उनको ध्यान से देखेंगे तो आप पाएँगे कि इनमें से, टिमटिमाहट अन्य से अलग है। ये बिना किसी टिमटिमाहट के चंद्रमा, के समान चमकते हैं।, इन चमकीली वस्तुओं के साथ आप लगभग प्रतिदिन, भी देखते हैं। यह अलग-अलग समय पर अलग आकार तथा अलग, आओ कुछ करके सीखें, आपको आवश्यकता होगी:, एक टॉर्च, एक सादा कागज़,, पेंसिल तथा एक सुई।, 1., चरण : 1. कागज़ के मध्य में टॉर्च को, इस प्रकार रखें कि उसका काँच, कागज़ से सटा रहे।, अब टॉर्च के काँच के चारों ओर, एक वृत्त खींचें।, 3. कागज़ पर वृत्त के क्षेत्र में सुई से, छोटे-छोटे छेद करें।, अब कागज़ के छिद्रित वृत्तीय, भाग को काँच पर सामने की तरफ़, रखें तथा टॉर्च के चारों ओर कागज़, को लपेटकर रबरबैंड लगा दें।, 5. ध्यान रखें कि टॉर्च की स्विच, कागज़ के बाहर रहे।, 6. अँधेरे कमरे में, एक सादी दीवार, की ओर मुँह करके इस टॉर्च को, लेकर कुछ दूरी पर खड़े हो जाएँ।, दूसरी सभी बत्तियों को बुझा दें।, अब टॉर्च की रोशनी को दीवार पर, डालें। आप दीवार पर प्रकाश के, अनेक छोटे बिंदुओं को देखेंगे,, बिलकुल वैसे ही, जैसे रात के, समय आसमान में तारे चमकते हैं।, अब कमरे की सभी बत्तियों को, जला दें। प्रकाश के सभी बिंदु, लगभग अदृश्य हो जाएँगे।, आप इसकी तुलना उस अवस्था, से कर सकते हैं, जब रात्रि के, समय आसमान में चमकने वाले, तारे सूर्योदय के बाद अदृश्य हो, जाते हैं।, कुछ, की, 4., को, sublist, स्थितियों में दिखाई पड़ता है। आप पूर्ण चंद्र को लगभग एक महीने में, एक बार देख सकते हैं। यह पूर्ण चंद्रमा वाली रात या पूर्णिमा होती है।, पंद्रह दिन के बाद आप इसे नहीं देख सकते। यह नये चंद्रमा की रात्रि, या अमावस्या होती है। ऐसी रात में अगर आसमान साफ़ है तो आप, आसमान का अवलोकन अच्छी तरह से कर सकते हैं ।, क्या आपको इस बात पर आश्चर्य नहीं होता है कि हम दिन के समय, चंद्रमा एवं इन सभी छोटी चमकीली वस्तुओं को क्यों नहीं देख पाते हैं? ऐसा, इसलिए है, क्योंकि सूर्य के अत्यधिक तेज़ प्रकाश के कारण रात के समय, चमकने वाली वस्तुओं को हम दिन में नहीं देख पाते हैं ।, सूर्य, चंद्रमा तथा वे सभी वस्तुएँ जो रात के समय आसमान में, वमकती हैं, खगोल, कुछ खगोलीय पिंड बड़े आकार वाले तथा गर्म होते हैं। ये गैसों से, बने होते हैं। इनके पास अपनी ऊष्मा तथा प्रकाश होता है, जिसे वे, बहुत बड़ी मात्रा में उत्सर्जित करते हैं । इन खगोलीय पिंडों को तारा, कहते हैं। सूर्य भी एक तारा है।, 7., पिंड कहलाती हैं।, 8., 2020-21
Page 2 :
+, रात के समय चमकते हुए अनगिनत तारे सूर्य, के समान ही हैं। लेकिन हमसे बहुत अधिक दूर, ध्रुव तारा होने के कारण हम लोग उनकी ऊष्मा या प्रकाश, को महसूस नहीं करते हैं तथा वे अत्यंत छोटे, दिखाई पड़ते हैं।, आपने अवश्य ध्यान दिया होगा कि कुछ दूरी, से देखने पर सभी वस्तुएँ छोटी दिखाई पड़ती हैं ।, अत्यधिक ऊँचाई पर उड़ रहा हवाई जहाज कितना, छोटा दिखाई देता है!, रात्रि में आसमान की ओर देखते समय आप, तारों के विभिन्न समूहों द्वारा बनाई गई विविध, आकृतियों को देख सकते हैं। ये नक्षत्रमंडल कहलाते, हैं। अर्सा मेजर या बिग बीयर इसी प्रकार का एक, नक्षत्रमंडल है। बहुत, 1., संकेतक तारे, उत्तर दिशा-, सप्तऋषि (सप्त-सात,, ऋषि-संत)। यह सात तारों का समूह है, जो कि, नक्षत्रमंडल अर्सा मेजर का भाग है (चित्र 1.1 )। अपने, परिवार या पड़ोस में किसी बड़े व्यक्ति से कहिए कि, वह आपको आसमान में और अधिक तारों, ग्रहों, वाला नक्षत्रमंडल, पश्चिम, पूर्व, CER, तथा नक्षत्रमंडलों को दिखाएँ।, में, लोग रात्रि में दिशा का निर्धारण तारों की सहायता, से करते थे। उत्तरी तारा उत्तर दिशा को बताता है। इसे ध्रुव तारा भी, कहा जाता है। यह आसमान में हमेशा एक ही स्थान पर रहता है। हम, सप्तऋषि की सहायता से ध्रुव तारे की स्थिति को जान सकते हैं | चित्र, 1.1 में आप देखेंगे कि यदि सप्तकऋषि मंडल के संकेतक तारों को, आपस में मिलाते हुए एक काल्पनिक रेखा खींची जाए एवं उसे आगे, की ओर बढ़ाया जाए तो यह ध्रुव तारे की ओर इंगित करेगी ।, कुछ खगोलीय पिंडों में अपना प्रकाश एवं ऊष्मा नहीं होती है। वे, तारों के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। ऐसे पिंड ग्रह कहलाते हैं । ग्रह, जिसे अंग्रेजी में प्लेनेट (Planet) कहते हैं ग्रीक भाषा के प्लेनेटाइ, (Planetai) शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है परिभ्रमक अर्थात्, चारों ओर घूमने वाले। पृथ्वी, जिस पर हम रहते हैं, एक ग्रह है । यह, अपना संपूर्ण प्रकाश एवं ऊष्मा सूर्य से प्राप्त करती है, जो पृथ्वी के, सबसे नज़दीक का तारा है । पृथ्वी को बहुत अधिक दूरी से, जैसे चंद्रमा, से देखने पर, यह चंद्रमा की तरह चमकती हुई प्रतीत होगी।, प्राचीन समय, चित्र 1.1: सप्तकऋषि एवं ध्रुव तारा, कुछ रोचक तथ्य, बृहस्पति, शनि तथा यूरेनस, के चारों ओर छल्ले हैं। ये, छल्ले विभिन्न पदार्थों के, असंख्य छोटे-छोटे पिंडों से बनी पट्टियाँ, हैं। पृथ्वी से इन छल्लों को शक्तिशाली, दूरबीन की सहायता से देखा जा, सकता है।, पृथ्वी : हमारा आवास, 2020-21
Page 3 :
re, পद्र ग्रह पटी, सौरमंडल में पृथ्वी, 2020-21, बृहस्पति, (Jupiter), 778, यूरेनस, (Uranus), शुक्र, (Venus), 108, पृथ्वी, (Earth), 6987, OSI, मगल, Mars), 228, (Mercury, 58, शनि, (Saturn), 1,427, नेप्च्यून, (Neptune), दूरी मिलियन कि.मी. में, 1 मिलियन = 10 लाख (10,00,000, 4,496, - सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण - 84, साल। अपने अक्ष पर घूर्णन - 17 घंटे, 14, मिनट, चंद्रमा की संख्या - लगभग 27, सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण 164, साल। अपने अक्ष पर घूर्णन - 16 घंटे, 7, मिनट, चंद्रमा की संख्या - 13, 5. बृहस्पति, - सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण -11 साल, 11, महीने लगभग 12 साल। अपने अक्ष पर घूर्णन - 9, घंटे, 56 मिनट, चंद्रमा की संख्या - लगभग 53, सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण 29 साल, 5, महीने। अपने अक्ष पर घूर्णन - 10 घंटे 40 मिनट,, 7. यूरेनस, - सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण - 88 दिन, अपने अक्ष पर घूर्णन 59 दिन, सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण - 255 दिन, अपने अक्ष पर घूर्णन, सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण - 365 दिन, अंपने अक्ष पर घूर्णन - 1 दिन, चंद्रमा की संख्या - 1, - सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण - 687 दिन, अपने अक्ष पर घूर्णन 1 दिन, 1. बुध, 2. शुक्र, 243 दिन, 3. पृथ्वी, 6. शनि, ৪. नेप्च्यून, चंद्रमा की संख्या - लगभग 53, 4 मगल, चंद्रमा की सख्या - 02, 个, आंतरिक ग्रह - सूर्य के बहुत नजदीक हैं। ये चट्टानों से बने हैं।, 个, बाह्य ग्रह - सूर्य से बहुत दूर हैं तथा बहुत बड़े आकार के हैं। ये गैस और तरल पदार्थों से बने हैं।, चित्र 1.2 : सौरमण्डल स्रोत - http://planetarynames.wr:usgs.gov/page/planets, 3.
Page 4 :
+, आसमान में दिखने वाला चंद्रमा एक उपग्रह है। यह हमारी पृथ्वी, का सहचर है तथा इसके चारों ओर चक्कर लगाता है। हमारी पृथ्वी के, क्या आप जानते हैं?, पौराणिक रोमन कहानियों, में 'सोल' सूर्य देवता को समान, सात अन्य ग्रह है जो सूर्य से प्रकाश एवं ऊष्मा प्राप्त करते हैं।, कहा जाता है। 'सौर' शब्द उनमें से कुछ के पास अपने चंद्रमा भी हैं।, का अर्थ है सूर्य से संबंधित। इसीलिए, सूर्य के परिवार को 'सौरमंडल' (Solar, System) कहा जाता है। सौर शब्द का सूर्य, आठ ग्रह, उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड, जैसे क्षुद्र ग्रह, उपयोग करते, लिखें।, सौरमंडल, और अधिक शब्दों को एवं उल्कापिंड मिलकर सौरमंडल का निर्माण करते हैं । उसे हम सौर, हुए, परिवार का नाम देते हैं, जिसका मुखिया सूर्य है।, शब्द की उत्पत्ति, सूर्य, ऐसे बहुत से शब्द जिनका, उपयोग हम एक भाषा में सूर्य सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। यह बहुत बड़ा है एवं अत्यधिक, करते हैं, अक्सर वे दूसरी गर्म गैसों से बना है। इसका खिंचाव बल इससे सौरमंडल को, भाषाओं से लिए गए शब्द हो सकते हैं। बाँधे रखता है। सूर्य, सौरमंडल के लिए प्रकाश एवं ऊष्मा का एकमात्र, उदाहरण के लिए, ज्योग्राफ़ी एक अंग्रेज़ी स्रोत है। लेकिन हम इसकी अत्यधिक तेज़ ऊष्मा को महसूस नहीं, शब्द है। यह ग्रीक भाषा से लिया गया।, करते हैं, क्योंकि सबसे नजदीक का तारा होने के बावजूद यह हमसे, बहुत दूर है। सूर्य पृथ्वी से लगभग, शब्द है, जिसका अर्थ है, पृथ्वी का, विवरण। यह दो ग्रीक शब्दों से मिलकर, बना है, जिनमें 'ge' शब्द का अर्थ है ग्रह, पृथ्वी एवं ग्राफिया graphia का अर्थ, है, लिखना। आइए पृथ्वी के संबंध में हमारे सोरिमंडल में आठ ग्रह हैं। सूर्य से दूरी के अनुसार, वे हैं: बुध,, और अधिक जानें।, करोड़ किलोमीटर दूर है।, CE, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेष्च्यून।, लॉजी, : पृथ्वी का अध्ययन, (logia), सूर्य से, तरीका, उनकी, दूरी के अनुसार अंग्रेजी में ग्रहों के नाम याद रखने का आसान, ज्यो, मेट्री, (metria) पृथ्वी का मापन, ५ ऑइड, (geo)*, (oetdes), : पृथ्वी के आकार के अनुरूप, MY VERY EFFICIENT MOTHER JUST SERVED Us NUTS., क्या आप जानते हैं?, सौरमंडल के सभी आठ ग्रह एक निश्चित पथ पर सूर्य का चक्कर, लगाते हैं। ये रास्ते दीर्घवृत्ताकार में फैले हुए हैं । ये कक्षा कहलाते हैं।, बुध सूर्य के सबसे नजदीक है। अपनी कक्षा में सूर्य के चारों ओर एक, चक्कर लगाने में इसे केवल 88 दिन लगते हैं। शुक्र को पृथ्वी का, जुड़वाँ ग्रह माना जाता है, क्योंकि इसका आकार एवं आकृति लगभग, पृथ्वी के ही समान है।, अभी तक प्लूटो भी एक ग्रह माना जाता था। परन्तु अंतर्राष्ट्रीय, खगोलीय संगठन ने अपनी बैठक ( अगस्त 2006) में यह निर्णय लिया, कि कुछ समय पहले खोजे गए अन्य खगोलीय पिण्ड (2003 UB3,, सिरस) तथा प्लूटो 'बौने ग्रह' कहे जा सकते हैं।, रात में आसमान को, देखकर मनुष्य हमेशा, से मोहित हुआ है।, खगोलीय पिंडों एवं, उनकी गति वे संबंध में अध्ययन, sottope, करने वालों को खगोलशास्त्री, कहते हैं। आर्यभट्ट प्राचीन भारत, के प्रसिद्ध खगोलशास्त्री थे। उन्होंने, कहा था कि सभी ग्रह तथा चन्द्रमा, परावर्तित सूर्यप्रकाश के कारण, चमकते हैं। आज विश्व के सभी, भागों में खगोलविद ब्रह्मांड के, रहस्यों को खोजने में लगे हैं।, 4, पृथ्वी : हमारा आवास, 2020-21
Page 5 :
पृथ्वी, सूर्य से दूरी के हिसाब से पृथ्वी तीसरा ग्रह है । आकार में, यह पाँचवाँ, सबसे बड़ा ग्रह है। यह ध्रुवों के पास थोड़ी चपटी है। यही कारण है, कि इसके आकार को भू-आभ कहा जाता है। भू-आभ का अर्थ है,, पृथ्वी के समान आकार।, क्या आप जानते हैं?, प्रकाश की गति लगभग, 3,00,000 किमी./प्रति, सेकेंड है। इस गति के, बावजूद सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक, जावन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ संभवत: केवल पथ्वी पर पहुँचने में लगभग 8 मिनट का समय, ही पाई जाती हैं। पृथ्वी न तो अधिक गर्म है और न ही, अधिक ठंडी। यहाँ पानी एवं वायु उपस्थित है, जो हमारे जीवन के, लिए आवश्यक है। वायु में जीवन के लिए आवश्यक गैसें, जैसे, ऑक्सीजन मौजूद है। इन्हीं कारणों से, पृथ्वी सौरमंडल का सबसे, अद्भुत ग्रह है।, अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई पड़ती है, क्योंकि, इसकी दो-तिहाई सतह पानी से ढकी हुई है। इसलिए इसे, नीला ग्रह, कहा जाता है।, लगता है।, रोचक तथ्य, नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति, थे, जिन्होंने 20 जुलाई 1969, को सबसे पहले चंद्रमा की, चंद्रमा, सतह पर कदम रखा। मालूम करो, हमारी पृथ्वी के पास केवल एक, कि क्या कोई भारतीय चंद्रमा पर गया, है?, उपग्रह है, चंद्रमा। इसका व्यास, पृथ्वी के व्यास का केवल, एक-चौथाई है। यह इतना बड़ा, इसलिए प्रतीत होता है, क्योंकि, यह हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय चित्र 1.3 : अंतरिक्ष से लिया गया चंद्रमा, पिंडों की अपेक्षा नजदीक है। का चित्र, यह हमसे लगभग 3,84,400 किलोमीटर दूर है। अब आप पृथ्वी से है, जिस प्रकार ग्रह सूर्य के चारों ओर, सूर्य एवं चंद्रमा की दूरियों की तुलना कर सकते हैं।, उपग्रह एक खगोलीय पिंड है, जो ग्रहों, के चारों ओर उसी प्रकार चक्कर लगाता, 1., चक्कर लगाते हैं।, मानव-निर्मित उपग्रह एक कृत्रिम पिंड, है। यह वैज्ञानिकों के द्वारा बनाया गया, है, जिसका उपयोग ब्रह्मांड के बारे में, जानकारी प्राप्त करने एवं पृथ्वी पर, संचार माध्यम के लिए किया जाता है।, इसे रॉकेट के द्वारा अंतरिक्ष में भेजा, जाता है एवं पृथ्वी की कक्षा में स्थापित, कर दिया जाता है।, अंतरिक्ष में उपस्थित कुछ भारतीय उपग्रह, उपग्रह का कक्षा में प्रवेश इनसेंट, आई.आर.एस.,, हैं।, एडूसैट इत्यादि, रॉकेट का प्रक्षेपण, रॉकेट का पृथ्वी पर गिरना, चित्र 1.4: मानव-निर्मित उपग्रह, सौरमंडल में पृथ्वी, 2020-21