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अनुच्छेद-लेखन द हू, , रिधवा१०॥ ५1७ 16, , , , , गँ निबंध में किसी विषय से संबंधित, ह य से संबंधित विचारों, लव, विषयवस्तु, उसके पक्ष-विपक्ष तथा निष्कर्ष को आधार बनाया जाता है, वहीँ, , आकेद-लेखन में किसी विषय से संबंधित जानकारी सीमित शब्दों में दी जाती है, जो, , अप पूर्ण होती है। री में उदाहरण, तर्क, पक्ष-विपक्ष को देने से बचा का, व विषय को केंद्र मानकर उससे संबंधित सामग्री इस ढंग से प्रस्तुत की जाती है कि अनुच्छेद, 3 क्रमबद्धता और सरलता बनी रहे।, , अनुच्छेद लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए, क. विषय से संबंधित जानकारी को संक्षेप में लिखना चाहिए, ख. भाषा सरल, स्पष्ट एवं क्रमबद्ध होनी चाहिए। ।, ग. विषय से संबंधित पक्ष-विपक्ष, वाद-विवाद की स्थिति से बचना चाहिए। 1, घर. मुहावरों, लोकोक्तियों, उदाहरणों आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।, , ड. 100-125 शब्दों तक सीमित रखना चाहिए।, , अभ्यास के तौर पर कुछ अनुच्छेद यहाँ दिए जा रहे हैं-, जा %६४2#, , हमें स्कूल की छुट्टियों में गाँव जाना था जिसके लिए हमने पहले से ही टिकट रे, , के लिया था। गाँव जाने की खुशी परिवार के प्रत्येक सदस्य को थी। गाँव शब्द ही अपनत्व, , का बोध 2 बिलकुल नहीं, सब कुछ प्राकृतिक होता हैं। हम दोनों भाई |, गंध कराता है। जहाँ कृत्रिमता बिलकुल नहीं, सब कु पहुचे। वहाँ पर बहुत भीड़ गई 4, , गे गाँव के सपनों में स्टेशन, ही खोए थे। दोपहर को हम, है! स् देखा कि प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने वाले जज मा जे ४, है राय हुआ में खिटदी आ4 वेद कहा। पिता जी ने, 8 जेहने से रोमांचित हो रहा मात तभी टीटी वे टिट दिखाने के लिए ०, दिखा दिया। जब पिता जी के साथ बैठे हुए अंकल से टी. हे, , " होने की बात बताई। टी.टी. ने कर 4, , , , , , , , , , , 19/02/2022
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की रफ़्तार तेज्ञ होने के साथ-साथ गाँव की दूरी कम होते-होते मौपा, हट यता होत रहा था, तभी माँ ने सभी को रात का खाना दिया। हम खाना न, गए और जब मेरी आँख खुली तो हम गाँव के स्टेशन पर पहुँच चुके थे। छुट्टियों में हमने कह, खूब मौज-मस्ती को, जिसकी चर्चा दिल्ली पहुँचकर और दोस्तों से की तो वे अगली छुट्टियों, में हमारे गाँव चलने का प्रोग्राम बनाने लगे।, , 2, बिजली की आत्मकथा, , मैं बिजली हूँ। अंधकार को दूर भगाकर सर्वत्र प्रकाश फैलाना मेरा काम है। गरमी की, , तपन को मिटाकर शीतल करना और शीत की कड्कड़ाती ठंड को गरमी से भरना मेरी पहचान, है। मैं मानव के जीवन के साथ संसार में आई लेकिन 200 वर्ष पूर्व विलियम गिल्बर्ट ही मुद्न, पहचान पाए। उन्होंने दो वस्तुओं को रगड़ने से पैदा होनेवाली शक्ति के रूप में मुझे पहचाना।, आज सर्वत्र मेरा साम्राज्य है। मानव जीवन का कोई भी कार्य मेरे बिना संभव नहीं होता। जहाँ, तक देखो मैं ही काम में लगी हूँ रेलगाड़ियों को पटरी पर दौड़ाने, कल-कारखानों में उत्पादन, करने, ए,सी., पंखे के हिलने के पीछे मैं ही हूँ। किसान के खेत से लेकर घर में खाना पकाने, तक में मैं ही उपयोगी हूँ। मेरे बिना विज्ञान, कंप्यूटर, फैक्टरी सब निस्सहाय हो जाते हैं। संसार, के सभी प्राणी मेरी उपयोगिता जानते हैं। मेरे शरीर में इतनी ऊर्जा है कि जब मुझे कोई छूता, है तो उसे ज़ोर का झटका लगता है। मैं हमेशा संसार के विकास के लिए अपना योगदान देती, रहूँगी लेकिन तुम भी मेरा ध्यान रखना। बेवजह मुझे बरबाद मत करना।, , दूसरों के सहारे न रहकर अपने बल-बूते पर काम करने को स्वावलंबन कहते हैं। मनुष्य, का यह ऐसा गुण है जो उसे ऊँचाई तक ले जाता है। जिस व्यक्ति में स्वावलंबन का गुण जितना ॥ए, अधिक होगा वह व्यक्ति जीवन में उतना ही यश और धन अर्जित कर सकता है। दूसरे के सहारे, जीनेवाला व्यक्ति तिरस्कार का पात्र बनता है। उसे कहीं भी आदर-भाव से नहीं देखा जाता,, निरंतर अनादर और तिरस्कार पाने के कारण उसमें हीनभावना आ जाती है। जीवन का यह तथ्य, व्यक्ति के जीवन पर ही नहीं वरन जातीय और राष्ट्र जीवन पर भी लागू होता है। यही कारण, , है कि स्वाधीनता संग्राम के दौरान गांधी जी ने देशवासियों में जातीय गौरव का भाव जगाने के, , लिए स्वावलंबन का संदेश दिया था। स्वावलंबन के मार्ग पर चलकर ही किसी व्यक्ति, जाति, समाज एवं राष्ट्र का : ५ है। ै “७6: “बंका, , , , , , 19/02/2022 22:10
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रत संस्कृति का जा के साथ गहरा संबंध होता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक होते, है किंसी भी देश गा है दमा _माजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक परिस्थितियों एवं |, _ ॥ह-टिवाजों का क "1 तत्कालीन साहित्य में किया जाता है। अतएव साहित्य से हो किया देश |, बा जाति की 281 का पूर्ण ज्ञान सभव है। संस्कृति की रक्षा भी साहित्य द्वारा होती है। ', शब्दों में संस्कृति को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने, उसे मूर्तरूप देने या जीवित रखने का ।, कम सहित्य का ही है। भारतीय साहित्य में प्राचीन भारतीय संस्कृति का उल्लेख मिलता है तभी |, कम आज भारतीय संस्कृति के बारे में जानते हैं। भारत विविधताओं का देश है। यहाँ विभिन्न ।, ध्यें, जातियों, वर्गों के लोग रहते हैं। वस्तुत: यह विविधता केवल बाहय है। आंतरिक दृष्टि, से सभी धर्मों, जातियों और भाषाओं में एकता और सामंजस्य है। भारतीय साहित्य के अध्ययन |, मे पा चलता है कि उसके साहित्य और संस्कृति में समन्वय की भावना प्रमुख है तथा उनमें, संस्कृतिक आदर्श एवं विशेषताएँ विविध रूपों और परिस्थितियों के अनुरूप हैं।, , ही 258 7 0 न, , मुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में ही अपना जीवनयापन करता है इसलिए वह समाज, मे सबसे अधिक प्रभावित होता है। उसका व्यक्तित्व तथा आचरण उन लोगों दूबारा निर्मित होता, है जिनकी संगति में वह रहता है। व्यक्ति में सबसे पहले संस्कार परिवार से आते हैं। फिर समाज, के जिस वर्ग में वह रहता है, उस वर्ग से। यदि हम बुरे लोगों के साथ रहेंगे तो हम उनकी, शाष्यों को ग्रहण करेंगे परंतु यदि हम सद्गुणी लोगों के संपर्क में रहेंगे तो हमारे पास सदूगुण, है आएँग। विद्वानों की संगति हमें विद्वान बनाएगी, वहीं परिश्रमी, मेहनती व्यक्तियों कौ संगति, है परिश्रम एवं मेहनत के लिए प्रोत्साहित करेगी। हम बुरी एवं अच्छी संगति से प्रभावित हुए, र नहीं रह सकते। इसलिए जहाँ तक संभव हो हमें बुरी संगति से बचना चाहिए तथा भले, , नो की अच्छी संगति में रहना चाहिए।