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सो-58,, जनकपुरी,, दिल्ली, , 82 मई, 209, , प्रिय रेखा, सप्रेम नमस्ते, , बहुत दिनों से तुम्हें पत्र नहीं लिख पाई। मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है। आज मैं एक विलक्षण अ, से गुजरो हूँ जिसने मेरे मन पर गहरा प्रभाव डाला। मैं इस अनुभव को तुझसे साझा करना चाहती हूँ। 4, , आज कक्षा में, गणित की अध्यापिका ने पाँच मुश्किल सवाल हल करने को दिए। हमारी कक्षा में सबसे मेघावी, छात्र रोहन ने पंद्रह मिनट में हो सारे सवाल हल कर लिए। हम सब यह जानने को उत्सुक थे कि रोहन के लिए, कम समय में यह कर पाना कैसे संभव हुआ? उसका उत्तर और भी चौंकाने वाला था। उसने सबको बताया कि, एक बड़ा भाई है, जो दिव्यचक्षु है। वह कॉलेज में गणित विशेष पढ़ रहा है। मैं उसके लिए सररे पाठ जोरबोलकर पढ़ता हूँ। ऐसा करने से मैं बहुत कुछ सीख जाता हूँ और मेरा भी अभ्यास हो जाता है. जहाँ मुझे, आती है वहाँ मैं अपने भाई कौ मदद से विषय को समझ लेता हूँ। रोहन को बातें सुनकर हम सब चकित, हमारी कल्पना में भी न था कि कोई प्रज्ञाचक्षु छात्र शिक्षा के इन शिखरों तक पहुँच सकता है।, , हमारी जिज्ञासा को देखते हुए अध्यापिका ने दिव्यांग लोगों के जीवन से ऐसे बहुत-से उदाहरण दिए जो र्, नहीं सकते, बोल नहीं सकते, सुन नहीं सकते, फिर भी जीवन के प्रति उनके उत्साह में कोई कमी, वे जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं। उनका दृढ़ विश्वास ही वह परम शक्ति है जिससे बे अपने भीतर प्र, भर लेते हैं और अपने जीवन लक्ष्य में सफलता प्राप्त करने के लिए आगे कदम बढ़ाते हैं।, देख नहीं सकते थे, उन्होंने सब दिव्यचथु लोगों के लिए ब्रेल लिपि का निर्माण किया।, स्वयं सुन नहीं सकते थे, वे सबसे मधुर संगीत रचना करने के लिए प्रसिदूध, , , , , , अक्ा॥॥॥॥ एगी0) (एफीशाएएवः, , , , , , जीवन का सच
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है ब्रेल, , + बाद हमारी अध्यापिका ने हेलेन केलर के जीवन के बारे में विस्तार से बताया। हेलेन केलर प्रसिद्ध, खिका, राजनीतिक कार्यकर्ता व व्याख्याता थीं। वे प्रज्ञाचक्षु होते हुए भी अद्भुत व्यक्तित्व को धनो, कहा है कि दुनिया कौ सबसे अच्छी चीज़ें देखी व छुई नहीं जा सकती हैं! वे सिर्फ़ दिल से महसूस, की हैं। उनका जीवन विश्व में सबके लिए प्रेरणादायी है।, + का जन्म 27 जून, 880 को हुआ। वे जब डेढ़ साल की थीं तब अचानक बहुत बीमार हो गईं उस, # कारण उनकी देखने व सुनने की शक्ति चली गई। उनकी इस अवस्था से सब चिंतित हो गए। उन्हें, व उनके जीवन में अँधेरा छा जाएगा। वे कभी कुछ नहीं कर पाएँगी, न ने अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति के सहारें ऐसी सब बुश्चिंताओं को, - दिया। अपने परिवार व अध्यापिका सुलीवान के सहयोग से उन्होंने, की डिग्री प्राप्त को। उन्होंने सदा आत्मदया को अपना सबसे बड़ा शत्रु, पे मेहनत के बल पर उन्होंने अनेक पुस्तकों कौ रचना भी की।, उती थीं कि जब खुशियों का एक दरवाज़ा बंद होता है तो दूसरा खुल, , एपने भीतर नई शक्ति, नई ऊर्जा प्राप्त करते, शक्ति और आत्मबल की कथा है। अपनी देखने व सुनने को शक्ति डिन, , + «« उन्होंने बोलना भी बंद कर दिया मानों बोलता भूल गई हाँ लेकिन बोलने, नहोंने बोलना भी बंद कर ह की अं, , |-जिसे हराया आर बर अन्न समन कप इक सभा. जा सके, उदवेलित-अशांत, आवेशित, , ँक्याबं -दुश्चिताओं-बुरी चिंताओं, निर्मूल-पूर्णतः विनष्ट, जेजुनियाद, अपराजेय:, , न, , ७५०... ५४ 2800586 पी 0॥ (8, , , , , , जीवन का सच
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ञ्रै और ऐसा करते हुए, अपना एक हाथ गले पर और दूसरा हाथ होठों के ऊपर रखती थीं ताकि, जगह होने वाले परिवर्तनों को महसूस कर सकें लेकिन कभी-कभी प्रयास करने पर भी वे बोलने में र, रहतों। इससे उनका गुस्सा व तनाव बढ़ जाता। एक दिन वे अपनी अध्यापिका के साथ होरेस मान स्कूल (०७७०6, आग $0॥००)) कौ प्राचार्या सारह फुलर से मिलने गईं जिन्होंने हेलेन के अनुगेध को स्वीकार कर, उन्हें पढ़ाने, व बोलना सिखाने का ज़िम्मा उठाया।, , सर्वप्रथम सारह जी ने बोलते हुए हेलेन के हाथ को अपने चेहरे पर रखा ताकि वह होठों व जीभ की बनावट, और उनमें आ रहे परिवर्तनों को समझ सके। उनकी नकल करते-करते वे पहले कुछ अक्षर बोलना सीखीं और, धौरे-धीरे पूरे वाक्य बोलने लगीं। जब उन्होंने पहला वाक्य बोला तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। यह सिलसिला, यहीं नहीं रुका। धीरे-धीरे, कठिन परिश्रम व अथक अभ्यास दूवारा वे खूब अच्छी तरह बोलने लगीं। हेलेत ल्, बोलते देखकर उनका परिवार व अन्य साथी, सब बहुत खुश हुए। अपनी यह खुशी उनके लिए ईश्वरीय वरदान, से कम नहीं थी जिसने उनके आस-पास सारी प्रकृति को खुशनुमा कर दिया।, हेलेन का मानना था कि यदि हम अपना चेहरा सूर्य के प्रकाश की ओर रखें तो कोई परछाईं नज़र नहीं, आएगी। जीवन में यदि दृष्टिकोण सकारात्मक है तो नकाग़त्मकता का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। ऐसे में हम, सोमाओं को अच्छे अवसरों में बदल सकते हैं और जीवन में पूर्णता व संतुष्टता का अनुभव कर सकते हैं।, हमारी अध्यापिका ने कहा कि हेलेन का जीवन सबको प्रेरणा देता है कि सच्ची लगन, निष्ठा, दृढ़ता व, निरंतर प्रयल से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। यह सब सुनकर मेरे मन में भी कुछ कर गुजरने का नवीन, उत्साह भर गया है। आशा करती हूँ कि तुम्हें भी यह पढ़कर अच्छा लगेगा। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम, कहना और छोटे भाई को प्यार देना।, , तुम्हारी मित्र, तनया, , , , 2७079 ए0॥ (४४, , , , , , जीवन का सच
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पाठ में से, , |, , रोहन ने अपना काम कम समय में करने का क्या कारण बताया?, , अध्यापिका ने लुई ब्रेल और बीथोवन के बारे में क्या बताया?, , बोलने की प्रबल इच्छा-शक्ति के कारण हेलेन क्या-क्या करती थीं?, , सारह फुलर से हेलेन ने किस प्रकार बोलना सीखा?, , हेलेन का जीवन सबको क्या प्रेरणा देता है?, , उचित शब्द द्वारा रिक्त स्थान भरिए, (क) गणित की अध्यापिका ने ““ मुश्किल सवाल हल करने के लिए दिए।, (ख) रोहन की बातें सुनकर हम सब “००००० / रह गए।, , (ग) हेलेन ने कहा कि दुनिया कौ सबसे अच्छी चीज़ें ““'”““““''«""" व छुई नहीं जा सकती हैं।, (घ) अपना चेहरा सूर्य के प्रकाश की ओर रखें तो कोई नज़र नहीं आएगी।, (ड) मेरे मन में भी कुछ करने “००००० “““+ का उत्साह भर गया।..., , . नीचे दिए गए कथा अंश के वाक्यों को क्रमानुसार क्रम संख्या दीजिए, हेलेन का जन्म 27 जून, 880 को हुआ।, | उनकी इस अवस्था से सब चिंतित हो गए।, , बातचीत के लिए, , ||, , 3., , मेधावी छात्र में कौन-कौ, दृढ़-विश्वास ही वह, हम सीमाओं को, , #वा0॥४7 7४४ (7, , , , , , जीवन का सच
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4. आपको कब-कब लगता है कि आपके आस-पास सारी प्रकृति खुशनुमा है?, 5 हेलेन में बोलने की प्रबल इच्छा थी। आप में क्या करने की प्रबल इच्छा है?, , अनुमान और कल्पना, , ). यदि आपका कोई मित्र दिव्यांग बच्चा है तो आप उसके लिए क्या करेंगे?, 2. अगर आप हेलेन केलर से मिलते तो आप उनसे क्या बातचीत करते?, , भाषा की बात, , . नीचे दिए गए शब्बों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग-अलग करके लिखिएशब्द मूल शब्द, (क) कठिनाई, (ख) सफलता, (ग) व्यक्तित्व, (घ) बोलकर, (ड) प्रेरणादायी, , (स) :““मक्कित 55, (यो, , (ब).. “॥//«अदूभुवगागगााण, , . क्या आपको भी लगता है कि आत्मदया हमारी सबसे बड़ी शत्रु है? कैसे?, 2. जीवन के प्रति उत्साह बनाए रखना और स्वयं को मिली खुशियों को पहचानना, , कुछ करे के हा, !. हेलेन केलर की आत्मकथा-'द स्टोरी ऑफ माइ ला, , 3., , , , , , , , जीवन का सच