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ऐसे अव्यय शब्द, जो वाक्य में किसी पद के साथ आकर उसे विशेष बल प्रदान करते हैं, निपात कहलातें हैं। *, , कुछ अविकारी शब्द ऐसे होते हैं, जिनका प्रयोग वाक्य में आवश्यकतानुसार कहीं भी किया जा सकता है और जिन शब्दों के बाद, में इनका प्रयोग किया जाता है, उन पर कुछ विशेष बल पड़ता है। ऐसे ही शब्दों को निपात कहते हैं।, , 1. दीपिका ने ही मुझे सहारा दिया। 2. दीपिका ने मुझे ही सहारा दिया।, , 3. दीपिका ने मुझे सहारा ही दिया।, , चहले वाक्य में 'ही' निपात के द्वारा शब्द दीपिका पर विशेष बल पड़ा यानी दीपिका ने ही मुझे सहारा दिया, किसी अन्य ने नहीं।, दूसरे वाक्य से तात्पर्य दीपिका के दूवारा सहारा केवल मुझे ही दिया गया, किसी अन्य को नहीं और तीसरे वाक्य में- दीपिका ने, मुझे सहारे के अतिरिक्त और कुछ नहीं दिया है; इसलिए सहारा पर विशेष बल पड़ता है। 'ही' के अतिरिक्त भी , तो, तक, मत,, भर, केवल आदि निपात हैं। है, , निपात के संबंध में कुछ विशेष बातें, , 1. निपात का प्रयोग अव्यय के रूप में होता है। अतः इन पर लिंग-वचन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।, 2. इनका रूप अपरिवर्तनीय होता है। |, , 3. निपात का प्रयोग एक शब्द अथवा शब्द-समुदाय को विशेष बल देने के लिए किया जाता है।, , 4. वाक्य में आवश्यकतानुसार निपात का प्रयोग कहीं भी किया जा सकता है।, , , , ७ मनोभावों का बोध कराने वाले शब्द विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।, ७ क्रियाविशेषण के भेद-कालवाचक , स्थानवाचक , 'परिमाणवाचक तथा रीतिवाचक।, , , , की प्डेँ अभ्याक्ष, , दिए गए वाक्यो में से क्रियाविशेषण शब्दों को छाँटकर उनके भेदों के नाम भी लिखो।, , , , , , 'क्रियाविशेषण भेदों के नाम, क. सीमा दिनभर पढ़ती रही। म*काठावक्द्मग, ख. आप वहाँ बैठिए। श्श्रानवानयश, ग. कछुआ धीरे-धीरे चलता है। “शीविवाञग, व... वह कम खाती है। >धरत्गिण जाचगा, डा. आज सुबह तक वर्षा होती रही। सवा तक >कालनवायकाः