Page 1 :
की कि, , के, , हा पर $ ३, , 20. आ बैल मुझे मार-- विपत्ति को स्वयं बुलाना।, , तुम स्वयं जाकर उस पहलवान को चुनौती दे आए, इसे ही तो कहते हैं--आ बैल मुझे मार।, , जा 21“ घर का भेदी लंका ढाए-आपस की फूट से नाश होता है।, , श्याम सुंदर समझ गए कि उनके भाई समर ने ही अपना मुँह खोल दिया होगा, तभी आज वे कहीं, के नहीं रहे। सच ही हे, घर का भेदी लंका ढाए।, 22. छोटा मुँह ओर बड़ी बात- अपनी योग्यता से बढ़कर बातें करना।, तुमने एक-दो कविताएँ क्या लिख लीं, तुम तो अपने को महादेवी वर्मा समझने लगीं। यह तो छोटा, मुँह और बड़ी बात जैसा हुआ।, 222 धोबी का कुत्ता घर का न घाट का- दो तरफ़ का आदमी कहीं का नहीं रहता।, उसने व्यापार करने के लिए नौकरी से त्यागपत्र दिया, पर व्यापार भी न चल सका। इसलिए कहते, हैं -धोबी का कुत्ता घर का न घाट का।, 24. रस्सी जल गईं बल नहीं गया- शक्ति नष्ट हो जाने पर भी अकड़ बनी रहना।, उसका सारा धन चला गया, पर अहंकार नहीं गया। इसे कहते हैं-रस्सी जल गई बल नहीं गया।, 25 सो सुनार की एक लुहार की- कमज़ोर की सौ चोटों की अपेक्षा शक्तिशाली की एक चोट बहुत है।, , वह मुझे रोज़ परेशान करता था, आज मैंने उसकी अच्छी खासी खबर ली। इसे कहते हैं-सौ, सुनार की एक लुहार की।