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2. अतिथि देवता होता है पर अपना देवत्व बनाए, रखकरे। यदि अतिथि अगले दिन वापस नहीं जाता है, और मेजबान के लिए पीड़ा का कारण बनने लगता है, तो मनुष्य न रहकर राक्षस नज़र आने लगता है।, देवता कभी किसी के दुख का कारण नहीं बनते हैं।, , . जब अतिथि आकर समय से नहीं लौटते हैं तो, मेजबान के परिवार में अशांति बढ़ने लगती है। उस, परिवार का चैन खो जाता है। पारिवारिक समरसता, कम होती जाती है और अतिथि का ठहरना बुरा, लगने लगता है।, , . पहले दिन के बाद से ही लेखक को अतिथि का, रुकना भारी पड़ रहा था। दूसरा तीसरा दिन तो जैसे, तैसे बीता पर अगले दिन वह सोचने लगा कि यदि, अतिथि पाँचवें दिन रुका तो उसे गेट आउट कहना, पड़ेगा।, , . देवता कुछ ही समय ठहरते हैं और दर्शन देकर चले, जाते हैं। अतिथि कुछ ही समय के लिए देवता होते हैं,, ज्यादा दिन ठहरने पर मनुष्य के लिए वह भारी पड़ने, लगता है तब किसी भी तरह अतिथि को जाना ही, पड़ता है।, , (0, , ते, , णा