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कहानी-लेखन की परिभाषा, , जीवन की किसी एक घटना के रोचक वर्णन को “कहानी ' कहते हैं।, कहानी सुनने, पढ़ने और लिखने की एक लंबी परंपरा हर देश में रही है; क्योंकि यह सबके लिए मनोरंजक, होती है। बच्चों को कहानी सुनने का बहुत, , हुत चाव होता है। दादी और नानी की कहानियाँ प्रसिद्ध हैं। इन कहानियों का, उद्देश्य मुख्यत: मनोरंजन होता है किंतु, , तु इनसे कुछ-न-कुछ शिक्षा भी मिलती है।, कहानी लिखना एक कला है। हर कहानी-लेखक अपने ढंग से कहानी लिखकर उसमें विशेषता पैदा कर देता, है। वह अपनी कल्पना और वर्णन-शक्ति से कहानी, , हानी के कथानक, पात्र या वातावरण को प्रभावशाली बना देता है।, लेखक की भाषा-शैली पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है कि कहानी कितनी अच्छी लिखी गई है।, , कहानी-लेखन के प्रकार, , आकार की दृष्टि से कहानियाँ दो तरह की होती हैं-कुछ कहानियाँ लंबी होती हैं जबकि अन्य कुछ कहानियाँ छोटी।, आधुनिक कहानी मूलत: छोटी होती है।, कहानी लिखते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखना चाहिए, (४) दी गई रूपरेखा अथवा संकेतों के आधार पर ही कहानी का विस्तार करना चाहिए।, (४) कहानी में विभिन्न घटनाओं और प्रसंगों को, , संतुलित विस्तार देना चाहिए। किसी प्रसंग को न बहुत, अधिक संक्षिप्त लिखना चाहिए, न अनावश्यक रूप से बहुत अधिक बढ़ाना चाहिए।, (४६) कहानी का आरंभ आकर्षक होना चाहिए ताकि कहानी पढ़ने वाले का मन उसे पढ़ने में लगा रहे।, (७) कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द, तथा लंबे वाक्य नहीं होने चाहिए।, , (७) कहानी को उपयुक्त एवं आकर्षक शीर्षक देना चाहिए।, , (०४ कहानी को प्रभावशाली और रोचक बनाने के लिए मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग भी किया जा, सकता है।, , (४४) कहानी हमेशा भूतकाल में कही/लिखी जाती है।, (०६४) कहानी का अंत सहज ढंग से होना चाहिए।, , (६) अंत में कहानी से मिलने वाली सीख स्पष्ट व संक्षिप्त होनी चाहिए।
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1. कहानी की सहायता या आधार पर कहानी लिखना।, 2. रूपरेखा के सहारे कहानी लिखना।, , +. अधूरी या अपूर्ण कहानी को पूर्ण करना।, , 4. चित्रों की सहायता से कहानी का अभ्यास करना।, , चाहिए, (0 कहानी का आरंभ आकर्षक ढंग से हो।, , (४) कहानी का क्रमिक विकास हो।, , (०) कहानी का शीर्षक मूल कहानी का शीर्षक हो।, इनके आधार पर छात्रों से कहानी लिखने का अभ्यास कराया जाना चाहिए।, , (४४) संवाद छोटे-छोटे हों।, (४७) उसका अंत स्वाभाविक हो।, (०४) भाषा सरल और सुबोध हो।, , , , 32, , क कहानी, रूपरेखा या दिए गए संकेतों के आधार पर कहानी लिखना कठिन भी है, सरल भी। कठिन इसलिए कि संकेत अधूरे, होते हैं। इसके लिए कल्पना और मानसिक व्यायाम करने की आवश्यकता पड़ती है। सरल इसलिए कि कहानी के, संकेत पहले से दिए रहते हैं। यहाँ केवल खानापुरी करनी होती है। लेकिन, इस प्रकार की कहानी लिखने के लिए, कल्पना से अधिक काम लेना पड़ता है। ऐसी कहानी लिखने में वे हो छात्र अपनी क्षमता का परिचय दे सकते हैं,, जिनमें सर्जनात्मक और कल्पनात्मक शक्ति अधिक होती है। इसके लिए छात्र को संवेदनशील और कल्पनाप्रवण होना, चाहिए। एक उदाहरण इस प्रकार है, , , , , , , , ०02 नीड, , से हर लेने पर पूरी कहानी इस प्रकार बन जाएगीएकता में बल हर,, एक था किसान। उसके चार लड़के थे। पर उन लड़कों में मेल नहीं था। वे आपस में बराबर लड़ते-झगड़ते, , , , , , , , मा द्नि बीमार पड़ा। जब वह मृत्यु के निकट पहुँच गया, तब उसने अपने चारों लड़कों को _, बैलाया और कर के का, रा, तु पा कोई प्रभाव नहीं पड़ा। तब किसान ने लकड़ियों का गरढूद, , गटठर न दूटा। फिर लकड़ियाँ गट्ठर से, दूठर न दूट और लकड़ियों को अलग
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छात्रों में कल्पना-शक्ति जगाने के लिए ऐसी कहानी लिखने का भी अभ्यसास कराया जाता है; जो, , है। उसको पूरा करना है। इसके लिए आवश्यक है कि अपूर्ण कहानी को ध्यान से पढ़ाया जाए, ः, , समझाया जाए और उनमें परस्पर संबंध बनाते हुए सर्जनात्मक कल्पना के सहारे अधूरी कहानी को पूरा +, . अभ्यास कराया जाए। एक उदाहरण इस प्रकार है, कौए ने गाना सुनाने के लिए ज्योंही अपनी चोंच खोली , रोटी का टुकड़ा उसके मुँह से गिर गया। रोटी, , ले लोमडी हँस-हँसकर खाने लगी और कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा। $, , अब अगर दूसरी बार कौआ माँस का टुकड़ा ले आए, तो लोमडी कया करेगी? इस अपूर्ण कहानी को प, , ._ यहाँ छात्र को कल्पना-शक्ति के सहारे शेष कहानी को पूरा करने कौ कोशिश करनी चाहिए। शेष कहानी, , रूप हो सकते हैं। यह छात्रों की कल्पना पर छोड़ा जा सकता है।, , , , , , , , , , , , , , , , चित्र भाव या विचार को जगाते हैं, इनसे हमारी कल्पना-शक्ति जगती है। छात्रों में भाव और कल्पना-शक्ति, . के लिए दिए गए चित्रों की सहायता से पूरी कहानी तैयार करने का अभ्यास कराया जाना चाहिए। एक उ, प्रकार है, , , मूर्ख बंदर, एक सेठ था। उसने एक बंदर पाला था। बंदर सेठ से बहुत अधिक मिल कर रहता था। सेठ बंदर को *, बुद्धिमान समझता था, पर बंदर तो बंदर ही ठहरा। एक दिन की बात हे। गर्मी के दिन में सेठ गहरी नींद, था। बंदर उसे पंखा हिला रहा था। एक मक्खी उड़कर आयी और सेठ के नाक पर बैठ गयी। बंदर बार-बार, पंखे से उड़ाता, पर मक्खी बार-बार सेठ के नाक पर बेठ जाती। अंत में बंदर से नहीं रहा गया। ब, एक बड़ा-सा टुकड़ा ले आया। इस बार मक्खी सेठ की नाक पर बैठी -तो बंदर ने उसी समय ', उसे जोर से मारा। मक्खी तो उड़ गयी, पर बेचारे सेठ की नाक टूट गयी।