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324, गणित, अन्य 1000 बार सिक्के को उछाल कर करें, तो हमें इनसे भिन्न आँकड़े प्राप्त हो सकते हैं,, जिससे हमें पहले से भिन्न प्रायिकता आकलन प्राप्त होंगे।, कक्षा IX में, आपने एक सिक्के को अनेक बार उछाला था और यह नोट किया था कि, चित (या पट) कितनी बार आया (कक्षा IX के अध्याय 15 के क्रियाकलापों 1 और 2 को, देखिए)। आपने यह भी देखा था कि जैसे-जैसे सिक्का उछालने की संख्या बढ़ती गई,, वैसे-वैसे एक चित (या पट) आने की प्रायोगिक प्रायिकता संख्या, 1, के निकटतम आती, रही। आपने ही नहीं, अपितु विश्व के विभिन्न भागों के व्यक्तियों ने इसी प्रकार के प्रयोग, किए हैं और चित आने की संख्या को रिकॉर्ड किया है।, उदाहरणार्थ, अठारहवीं शताब्दी के फ्रांसीसी जीवविज्ञानी कोमटे, (Comte De Buffon) ने एक सिक्के को 4040 बार उछाला और 2048 चित प्राप्त किए।, बुफॉन, इस स्थिति में, एक चित आने की प्रायिकता 2048 अर्थात् 0.507, ब्रिटेन के जे.ई. कैरिच, 4040, (J.E. Kerrich) ने एक सिक्के की 10000 उछालों में 5067 चित प्राप्त किए। इस स्थिति, 5067, में, एक चित आने की प्रायोगिक प्रायिकता, = 0.5067 थी। सांख्यिकीविद कार्ल पियर्सन, 10000, (Karl Pearson) ने इसमें अधिक समय व्यतीत करके एक सिक्के को 24000 बार उछाला।, उसने 12012 चित प्राप्त किए तथा इस प्रकार उसे एक चित के आने की प्रायोगिक प्रायिकता, 0.5005 प्राप्त हुई।, अब, मान लीजिए कि हम प्रश्न करते हैं, यदि सिक्का उछालने के प्रयोग को मान, लीजिए एक मिलियन बार किया जाए, तो चित आने की प्रायोगिक प्रायिकता क्या होगी? यदि, प्रयोग 10 मिलियन बार किया जाए, तो प्रायिकता क्या होगी? आप सहज ज्ञान से यह अनुभव, करेंगे कि जैसे-जैसे, सिक्के उछालने की संख्या बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे चित (या पट) आने, 1, की प्रायोगिक प्रायिकता एक संख्या 0.5, अर्थात्- के आसपास प्रतीत होती है। हम इसे चित, 2, (पट) पाने की सैद्धांतिक प्रायिकता (theoretical probability) कहते हैं, इसे आप अगले, अनुच्छेद में देखेंगे। इस अध्याय में हम एक घटना की सैद्धांतिक प्रायिकता [ जिसे पारंपरिक, प्रायिकता (classical probability) भी कहते हैं] का परिचय कराएँगे तथा इस अवधारणा पर, आधारित सरल समस्याओं की चर्चा करेंगे।, 2021-22
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प्रायिकता, 325, 15.2 प्रायिकता, एक सैद्धांतिक दृष्टिकोण, आइए निम्नलिखित स्थिति पर विचार करें:, मान लीजिए एक सिक्के को यादृच्छया उछाला जाता है।, जब हम एक सिक्के की बात करते हैं, तब हम यह कल्पना करते हैं कि वह न्यायसंगत, (fair) है। अर्थात् वह सममित (symmetrical) है, ताकि कोई कारण न हो कि वह एक, ही ओर, दूसरी ओर की अपेक्षा, अधिक गिरे। हम सिक्के के इस गुण को उसका, अपक्षपातपूर्ण (unbiased) होना कहते हैं। 'यादृच्छया उछाल' (random toss) से हमारा, तात्पर्य है कि सिक्के को बिना किसी पक्षपात (bias) या रुकावट के स्वतंत्रतापूर्वक गिरने, दिया जाता है।, drety, हम पहले से जानते हैं कि सिक्का दो संभव विधियों में से केवल एक ही विधि से, या तो चित ऊपर होगा या फिर पट ऊपर होगा [ हम सिक्के के, उसके, के अनुदिश गिरने की संभावना को अस्वीकार करते हैं, जो उदाहरणार्थ, तब, संभव है जब सिक्का रेत पर गिरे] । हम यह तर्कसंगतरूप से मान सकते हैं कि प्रत्येक, परिणाम, चित या पट, का प्रकट होना उतनी ही बार हो सकता है जितना कि अन्य परिणाम, का। दूसरे शब्दों में हम कहते हैं कि परिणाम चित और पट समप्रायिक (equally likely), हैं। समप्रायिक परिणामों के एक अन्य उदाहरण के लिए मान लीजिए कि हम एक पासे को, फेंकते हैं। हमारे लिए, एक पासे का अर्थ सदैव एक न्यायसंगत पासे से होगा। संभव परिणाम, गिर सकता है।, किनारे (edge), क्या है? ये 1, 2, 3, 4, 5, 6 हैं। प्रत्येक संख्या के ऊपर आने की समान संभावना है। अत:,, पासे को फेंकने से प्राप्त होने वाले समप्रायिक परिणाम 1, 2, 3, 4, 5 और 6 हैं ।, क्या प्रत्येक प्रयोग के परिणाम समप्रायिक होते हैं? आइए देखें।, मान लीजिए एक थैले में 4 लाल गेंदें और 1 नीली गेंद है तथा आप इस थैले में से,, बिना थैले के अंदर कुछ देखें, एक गेंद निकालते हैं। इसके क्या परिणाम हैं? क्या एक लाल, गेंद और एक नीली गेंद के परिणाम समप्रायिक हैं? चूँकि यहाँ 4 लाल गेंदें हैं और नीली, गेंद केवल एक ही, अतः आप यह अवश्य स्वीकार करेंगे कि आपके द्वारा एक नीली गेंद, की अपेक्षा एक लाल गेंद निकालने, गेंद और एक नीली गेंद) समप्रायिक नहीं हैं । परंतु थैले में से किसी भी रंग की गेंद निकालने, के परिणाम समप्रायिक हैं।, संभावना अधिक है। अतः ये परिणाम (एक लाल, अत:, सभी प्रयोगों के परिणामों का समप्रायिक होना आवश्यक नहीं है । परंतु, इस, 2021-22
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326, गणित, अध्याय में, हम आगे यह मानकर चलेंगे कि सभी प्रयोगों के परिणाम समप्रायिक हैं।, कक्षा IX में, हमने एक घटना E की प्रयोगात्मक या आनुभविक प्रायिकता P(E) को, निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया था :, अभिप्रयोगों की संख्या जिनमें घटना घटित हुई है, अभिप्रयोगों की कुल संख्या, P(E) =, प्रायिकता की आनुभविक व्याख्या का बड़ी संख्या में दोहराए जा सकने वाले किसी भी, प्रयोग से जुड़े प्रत्येक घटना के लिए अनुप्रयोग किया जा सकता है । किसी प्रयोग को दोहराने, की आवश्यकता एक गंभीर परिसीमा है, क्योंकि अनेक स्थितियों में यह अधिक व्यय वाला हो, सकता है या यह भी हो सकता है कि ऐसा करना संभव ही न हो। निस्संदेह, सिक्का उछालने, या पासा फेंकने के प्रयोगों में, इसमें कोई कठिनाई नहीं हुई। परंतु एक उपग्रह ( satellite) छोड़ने, के प्रयोग को यह परिकलित करने के लिए बार-बार दोहराने की छोड़ते समय उसकी, असफलता की आनुभवित प्रायिकता क्या है, के बारे में आप क्या सोचते हैं अथवा यह कि एक, भूकंप के कारण कोई बहुमंजिली इमारत नष्ट होगी या नहीं, की आनुभविक प्रायिकता, परिकलित करने के लिए भूकंप की परिघटना के दोबारा घटित, सकते हैं?, ऐसे प्रयोगों में, जहाँ हम कुछ कल्पनाओं को सही मानने को तैयार हो जाएँ , हम एक प्रयोग, के दोहराने से बच सकते हैं, क्योंकि वे कल्पनाएँ सीधे सही ( सैद्धांतिक) प्रायिकता परिकलित, करने में हमारी सहायता करती हैं। परिणामों के समप्रायिक होने की कल्पना (जो अनेक प्रयोगों, में मान्य होती है, जैसे कि ऊपर सिक्का उछालने और पासा फेंकने के दोनों उदाहरणों में है), इन कल्पनाओं में से एक है जो हमें किसी घटना की प्रायिकता की निम्नलिखित परिभाषा की, ओर अग्रसर करती है।, किसी घटना E की सैद्धांतिक प्रायिकता (theoretical probability) [जिसे परंपरागत, प्रायिकता (classical probability) भी कहा जाता है।] P(E) निम्नलिखित रूप में परिभाषित, की जाती है।, होने के बारे में आप क्या कह, E के अनुकूल परिणामों की संख्या, प्रयोग के सभी संभव परिणामों की संख्या, P(E) =, यहाँ हम यह कल्पना करते हैं कि प्रयोग के परिणाम समप्रायिक हैं ।, हम संक्षिप्त रूप में, सैद्धांतिक प्रायिकता को केवल प्रायिकता ही कहेंगे।, प्रायिकता की उपरोक्त परिभाषा 1795 में पियरे-साइमन लाप्लास (Pierre- Simon Laplace), ने दी थी।, 2021-22