Page 1 :
10636#09, , , , _त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग। 9 | के कुछ अनुप्रयोग 09, , , , , , 9.1 भूमिका, , पिछले अध्याय में आपने त्रिकोणमितीय अनुपातों के बारे में अध्ययन किया हैं। इस अध्याय, में आप कुछ उन विधियों के बारे में अध्ययन करेंगे जिनमें त्रिकोणमिति का प्रयोग आपके, आस-पास के जीवन से जुड़ा होता है। त्रिकोणमिति एक प्राचीनतम विषय है जिसका अध्ययन, पूरे जगत के विद्वान करते आए हैं। जैसा कि हम अध्याय 8 में बता चुके हैं कि त्रिकोणमिति, का आविष्कार इस बात को ध्यान में रखकर किया गया था कि इसकी खगोलकी में, आवश्यकता पड़ती थी। तब से आज तक खगोलविद् इसका प्रयोग पृथ्वी से ग्रहों और तारों, की दूरियाँ परिकलित करने में करते आए हैं। त्रिकोणमिति का प्रयोग भूगोल और नौचालन, में भी किया जाता है। त्रिकोणमिति के ज्ञान का प्रयोग मानचित्र बनाने और देशांतर ([णाह्ञापत७), और अक्षांश (॥017१०) के सापेक्ष एक द्वीप की स्थिति ज्ञात करने में की जाती है।, , , , सर्वेक्षक शताब्दियों से त्रिकोणमिति का प्रयोग करते, आ रहे हैं। उन्नीसवीं शताब्दी की 'बृहत्, त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण” ब्रितानी भारत की एक, ऐसी विशाल सर्वेक्षण परियोजना थी जिसके लिए, दो बृहत्तम थियोडोलाइट का निर्माण किया गया, था। 1852 में सर्वेक्षण करने के दौरान विश्व के, सबसे ऊँचे पर्वत की खोज की गयी थी। 1601|0॥, से भी अधिक दूरी पर स्थित अलग-अलग छः, केंद्रों से इस पर्वत के शिखर का प्रेक्षण किया, गया। 1856 में इस शिखर का नामकरण सर जॉर्ज, एवरेस्ट के नाम पर किया गया जिसने सर्वेप्रथम, विशाल थियोडोलाइट को अधिकृत किया और, इनका प्रयोग किया। (सामने बनी आकृति, देखिए)। अब ये थियोडोलाइट देहरादून में स्थित, भारत सर्वेक्षण के संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए, रखे गए हैं।, , , , , , के, 'थियोडोलाइट, एक सर्वेक्षण यंत्र, जो त्रिकोणमिति के, नियमों पर आधारित है, का प्रयोग, एक घूर्णी टेलीस्कोप से कोणों का, मापन करने में किया जाता है।, , , , , , 2021-22
Page 2 :
त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग शः, , , , इस अध्याय में हम यह देखेंगे कि किस, प्रकार वास्तव में मापन किए बिना ही, त्रिकोणमिति का प्रयोग विभिन्न वस्तुओं की ऊँचाइयाँ और दूरियाँ ज्ञात करने में किया जाता हे।, , 9.2 ऊँचाइयाँ और दूरियाँ, , आइए हम अध्याय 8 में दी गई आकृति 8.1 पर विचार करें, जिसे नीचे आकृति 9.1 में, पुनः खींचा गया है। ! ्, , , , आकृति 9.1, , इस आकृति में, छात्र की आँख से मीनार के शिखर तक खींची गई रेखा &0 को, दृष्टि-रेखा (॥7० ० अंश) कहा जाता है। छात्र मीनार के शिखर की ओर देख रहा है।, दृष्टि-रेखा और क्षैतिज रेखा से बने कोण 8४८ को छात्र की आँख से मीनार के शिखर का, उन्नयन कोण (था? ० ९९५५४०/) कहा जाता है।, , इस प्रकार, दृष्टि-रेखा प्रेक्षक की आँख के उस वस्तु के बिंदु को मिलाने वाली रेखा, होती है जिसे प्रेक्षक देखता है। देखे गए बिंदु का उन्नयन कोण उस स्थिति में, दृष्टि-रेखा, और क्षैतिज रेखा से बना कोण होता है, जबकि देखा जा रहा बिंदु क्षितिज स्तर से ऊपर होता, है अर्थात् वह स्थिति जबकि वस्तु को देखने के लिए हमें अपना सिर उठाना होता है।, (देखिए आकृति 9.2)।, , , , , , 2021-22
Page 3 :
218 गणित, , , , आइए अब हम आकृति 8.2 में दी गई स्थिति पर विचार करें। बालकनी में बैठी, लड़की मंदिर की सीढ़ी पर रखे गमले को नीचे की ओर देख रही है। इस स्थिति में,, दृष्टि-रेखा क्षेतिज स्तर से नीचे है। दृष्टि-रेखा और क्षैतिज रेखा से इस प्रकार बने कोण को, अवनमन कोण (1216 ० 0०७०४५०॥1) कहा जाता है।, , अत: देखी जा रही वस्तु पर स्थित बिंदु का अवनमन कोण उस स्थिति में दृष्टि-रेखा, और क्षैतिज रेखा से बना कोण होता है जबकि बिंदु क्षैतिज रेखा से नीचे होता है अर्थात् वह, स्थिति जबकि देखे जाने वाले बिंदु को देखने के लिए हमें अपना सिर नीचे झुकाना होता है, (देखिए आकृति 9.3)।, , , , स्तु, , आकृति 9.3, , अब आप आकृति 8.3 में बनी दृष्टि-रेखाएँ और इस तरह बने कोणों को पहचान सकते, हैं। ये कोण उन्नयन कोण हैं या अवनमन कोण?, , आइए हम आकृति 9.1 को पुनः देखें। यदि आप सही मायने में बिना मापे ही मीनार, की ऊँचाई (0) ज्ञात करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको किस जानकारी की आवश्यकता, होती है? इसके लिए निम्नलिखित तथ्यों का ज्ञान होना आवश्यक होता हैः, 6) दूरी 97 जहाँ छात्र मीनार के पाद-बिंदु से इस दूरी पर खड़ा है।, (9) मीनार के शिखर का उन्नयन कोण » 840, (7) छात्र की ऊँचाई ७8, , , , यह मानकर कि ऊपर बतायी गयीं तीनों जानकारियाँ हमें ज्ञात हैं तो हम किस प्रकार, मीनार की ऊँचाई ज्ञात कर सकते हैं?, , आकृति में 00-08 + 879 यहाँ 82 - ७8 है जो कि छात्र की ऊँचाई है।, छ80ज्ञात करने के लिए हम » 8५८ या “ » के त्रिकोणमिति अनुपातों का प्रयोग करेंगे।, , 2021-22
Page 4 :
त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग 219, , , , 8 482 में, भुजा 80 ज्ञात कोण # के संबंध में सम्मुख भुजा है। यहाँ हम किन-किन, त्रिकोणमिति अनुपातों का प्रयोग कर सकते हैं? इनमें से किसके दो मान हमें ज्ञात है और हमें, किसका मान ज्ञात करने की आवश्यकता होती है? (४॥ ४» या ००» का प्रयोग करने से हमारी, खोज का क्षेत्र कम हो जाता है, क्योंकि इन अनुपातों में 8 और 8८ का प्रयोग होता है।, , छट 48 हमें, अत; 018 5 पद था ०४5 उठ जिसे हल करने पर हमें 8८ प्राप्त हो जाएगा।, , 8८ और «४ जोड़ने पर मीनार की ऊँचाई प्राप्त हो जाएगी।, आइए अब हम कुछ उदाहरण हल करके अभी-अभी चर्चित किए गए प्रक्रम की, व्याख्या करें।, , उदाहरण 1 : धरती पर एक मीनार ऊर्ध्वाधर खड़ी है। धरती के एक बिंदु से, जो मीनार के, पाद-बिंदु से 15 7 दूर है, मीनार के शिखर का उन्नयन कोण 60% है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात, कीजिए॥, , हल : आइए पहले हम प्रश्न को निरूपित करने के लिए, एक सरल आरेख बनाएँ (देखिए आकृति 9.4)। यहाँ, 88 मीनार को निरूपित करता है,८98 मीनार से बिंदु की, दूरी है और ४८8 उन्नयन कोण है। हम मीनार की, ऊँचाई अर्थात् ७8 ज्ञात करना चाहते हैं ओर, यहाँ ७८8, एक त्रिभुज है जो 8 पर समकोण है।, , प्रश्न को हल करने के लिए हम त्रिकोणमितीय अनुपात, 191 60% (या ००५ 60) लेते हैं, क्योंकि इस अनुपात में 8, और 8९ दोनों होते हैं, , अब कक्षा 60?, , , , हट, , 5 _ 28, , के, , अर्थात् बी प, अर्थात् &8 + 15.3, , अतः मीनार की ऊँचाई 15./3 11 है।, , 2021-22
Page 5 :
220 गणित, , , , उदाहरण 2 : एक बिजली मिस्त्री को एक 57 ऊँचे खंभे, पर आ गई खराबी की मरम्मत करनी है। मरम्मत का, काम करने के लिए उसे खंभे के शिखर से 1.39, नीचे एक बिंदु तक वह पहुँचना चाहती है (देखिए, आकृति 9.5)। यहाँ तक पहुँचने के लिए प्रयुक्त सीढ़ी, की लंबाई कितनी होनी चाहिए जिससे कि क्षैतिज से 60%, के कोण से झुकाने पर वह अपेक्षित स्थिति तक पहुँच, जाए? और यह भी बताइए कि खंभे का पाद-बिंदु कितनी, दूरी पर सीढ़ी के पाद-बिंदु से होना चाहिए? (यहाँ आप, २३ 5 1.73 ले सकते हैं।), , हल : आकृति 9.5 में, बिजली मिस्त्री को खंभे ४1) पर बिंदु छ तक पहुँचना है।, अतः छा9 5 00 - 08 + (5 - 1.3) 5 3.7 का, , यहाँ 82 सीढ़ी को प्रकट करता है। हमें इसकी लंबाई अर्थात् समकोण त्रिभुज 800 का कर्ण, ज्ञात करना है।, , अब, क्या आप यह बता सकते हैं कि हमें किस त्रिकोणमिति अनुपात का प्रयोग करना, चाहिए?, , यह त्रिकोणमिति अनुपात 1 60% होना चाहिए।, , , , , , , , , , , , , , , , हा). / कै _ ठ7 55, अतः ऊठ 5 ञं1 60? या छठ तठ, 3.7 22, इसलिए छ९ सदर २4280 (लगभग), , अर्थात् सीढ़ी की लंबाई 4.28 ॥ होनी चाहिए।, , अब 60" - -*, क्ल्ः व्ण ््त, 3.7, अर्थात् ए८> पद 52-14 ए (लगभग), , अतः उसे सीढ़ी के पाद को खंभे से 2.14 ४ की दूरी पर रखना चाहिए।, , 2021-22