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रि0॥ 10. : एिपाभाणा 5, छि४ॉं8. : ५ 536, , , , 1 माटीवाली के चरित्र की कौन-सी विशेषताएँ आपको प्रभावित करती हैं, लिखिए। 4, , उत्तर - पतिव्रता: माटी वाली गरीब और लाचार होने पर भी बूढ़े पति का सहारा बनी हुई है। तीन रोटी, मिलने पर पहले पति के लिए रखती है, फिर स्वयं खाने के बारे में सोचती है। उसके लिए प्याज, खरीदने और तलने की बात करती है। इससे स्पष्ट होता है कि गरीबी में भी उसे अपने पति की, बहुत चिंता है। कर्मठ: सुबह से शाम तक माटाखाना से मिट्टी खोद-खोदकर दूर-दूर तक फैले ८, गरों में पहुँचाती है। अपना व अपने बूढ़े पति का ख्याल रखती है।, कर्मठता एवं अपनों के प्रति प्रेम ऐसे प्रमुख गुण हैं, जिन्हें अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन, को सुखी एवं खुशहाल बनाते हुए अपने विभिन्न सामाजिक संबंधों में मधुरता बनाए रख सकता है।, , 2 माटी वाली मालकिन से एक रोटी क्यों छिपा लेती है? 4, , उत्तर - माटी वाली का पति बूढ़ा और शरीर से लाचार है। सुबह से शाम तक वह उसके आने तथा खाने, के लिए उससे रोटी मिलने की प्रतीक्षा करता है। माटी वाली के मन में सदा उसका ध्यान रहता, है। वह एक रोटी बचाती और छिपाती इसलिए है कि कहीं मालकिन को बुरा न लगे। वह एक, रोटी अपने बूढ़े पति के लिए छिपाकर ले जाती है। इससे माटी वाली का अपने बूढ़े एवं लाचार, पति के प्रति प्रेम एवं अपनापन झलकता है। साथ ही, इसमें अपने पति के प्रति उसकी कर्तव्य, भावना भी दिखाई देती है।, , 3 पुनर्वास के लिए माटी वाली को किस समस्या का सामना करना पड़ा? 4, , उत्तर - माटी वाली अनपढ़ और दलित महिला थी। उसके पास अपना कहने को ज़मीन-जायदाद कुछ भी, नहीं था। माटाखाना से मिट्टी खोदना उसका प्राकृतिक अधिकार था, कानूनी नहीं। इसलिए, अधिकारी द्वारा मकान के कागज़ माँगने पर वह लाचार और बेबस होकर चुप बैठ गई। अब उसे, भविष्य में रोजी-रोटी कमाने तथा रहने की समस्या भी नजर आने लगी। इससे उसकी, जीविका-निर्वाह के साधन पर ही संकट आ जाएगा।, , 4 माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था? आप भाग्य 4, में विश्वास करते हैं या काम करने में?
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उत्तर - एक घर की मालकिन ने माटी वाली को भाग्यवान बताया, लेकिन उसके पास अपने अच्छे या बुरे, भाग्य के विषय में विचार करने का समय ही नहीं था। उसके भाग्य में तो सुबह से शाम तक, काम-ही-काम लिखा है तथा काम न मिलने पर भूखों मरने की नौबत आ जाती है। वह तो बूढ़े के, लिए रोटियों का हिसाब करने में ही लगी रहती है। मैं कर्म करने में पूर्ण विश्वास रखती हूँ, क्योंकि कर्मनिष्ठ व्यक्ति ही अपने भाग्य का निर्माता होता है। वही अपने भाग्य को उज्ज्वल बना, सकता है, भाग्यवादी नहीं।, , 5 विस्थापन की समस्या एक भयंकर समस्या है।” इस समस्या का समाधान कैसे हो सकता है तर्कपूर्ण उत्तर 4, दीजिए।, , उत्तर - नदियों पर आज बड़े-बड़े और ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाए जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप हज़ारों परिवारों, को अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ रहा है। वे उजड़ रहे हैं। अब समस्या खड़ी है-उनके, विस्थापन की। सरकार उनकी ज़मीन तथा रोज़गार (रोजी-रोटी) तो छीन लेती है, पर उनके, विस्थापन की ओर ध्यान तक नहीं देती। सरकारी अधिकारी थोड़ा-बहुत मुआवजा उनके हाथों में, थमाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेते हैं। देश के सर्वोच्च न्यायालय तथा राज्यों के उच्च, न्यायालयों ने भी इस भयावह स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उनकी इन समस्याओं को, लेकर आंदोलन तो चलते हैं, पर किसी-न-किसी दबाव के परिणामस्वरूप वे बीच में ही दम तोड़, देते हैं। इस गंभीर समस्या का यथार्थ में हल निकाला जाना चाहिए। इस समस्या के समाधान के, लिए सरकार तथा सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि विस्थापित लोगों को नई जगह स्थापित, करें। रहने के लिए घर बनाकर दें तथा उन्हें कुछ नकद रकम भी दें ताकि वे नया काम शुरू, करके सही तरीके से अपना जीवन-निर्वाह कर सकें।, , 6 भाटी वाली” कहानी में एक वृद्धा माटी वाली के माध्यम से लेखक ने पहाड़ी नगर की किस समस्या को. 4, उठाया है। संक्षेप में लिखिए।, , उत्तर - इस कहानी में लेखक ने गंभीर समस्या को उठाया है। नदियों पर बड़े-बड़े और ऊँचे-ऊँचे बाँध, बनाए जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप हज़ारों परिवारों को अपनी ज़मीन से हाथ धोना पड़ रहा है।, वे उजड़ रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या है उनके विस्थापन की। सरकार उनकी ज़मीन तथा रोज़गार, तो छीन लेती है, पर उनके विस्थापन की ओर ध्यान तक नहीं देती। सरकार थोड़ा मुआवजा, थमाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है।, , 7 टिहरी बाँध बनाने का क्या दुष्परिणाम हुआ? माटी वाली के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा? 4, , उत्तर - टिहरी बाँध बनाने का दुष्परिणाम सभी लोगों को झेलना पड़ा। उन्हें अपना शहर छोड़ना पड़ा।, उनका भविष्य अंधकारमय हो गया। माटी वाली के जीवन पर भी इसका प्रभाव पड़ा। उसका, भविष्य पूरी तरह समाप्त हो गया। जिनके पास ज़मीन-जायदाद थी, उन्होंने कागज़ दिखाकर कुछ, मुआवज़ा ले लिया, लेकिन माटी वाली के पास तो कुछ भी नहीं था।
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8 टिहरी बाँध पुनर्वास अधिकारी और माटी वाली के मध्य हुई बातचीत इस प्रकार की बाँध योजनाओं पर 4, कैसे प्रश्न-चिहन लगाती है समझाइए।, , उत्तर - टिहरी बाँध पुनर्वास अधिकारी और माटी वाली के मध्य हुई बातचीत इस तरह की बाँध योजनाओं, पर कई गंभीर प्रश्न खड़े करती हैं; जैसे-क्या इन बाँध- | से प्रभावित होने वाले लोगों को, पुनःस्थापित करने के लिए सही कदम उठाए जाते हैं क्या प्रभावित लोगों के जीवन में आए, उथल-पुथल को सही ढंग से सुलझाया जाता है क्या कुछ रुपयों का मुआवजा देना ही पर्याप्त है, लोगों की जीविका के साधन को खोजने की जिम्मेवारी किसकी है जिस गरीब व्यक्ति के पास, जमीन संबंधी कागज़ ही न हो, जो किसी भी ज़मीन के टुकड़े का मालिक ही न हो, लेकिन वह, अपनी जीविका उस जगह से चला रहा हो, तो फिर उसकी जीविका के साधन कहाँ से लाए जायेंगे, क्या गरीब लोगों को जीने का अधिकार नहीं है आदि।, , 9 "माटी वाली सचमुच दलित, शोषित और लाचार है'-स्पष्ट करें। 4, , उत्तर - माटी वाली सचमुच दलित, शोषित और लाचार है। उसका गाँव शहर से दूर है। उसे पैदल ही, मिट्टी बेचने के लिए आना-जाना पड़ता है। वह सुबह घर से निकल कर पूरा दिन माटाखाना में, मिट्टी खोदती है और फिर घरों में पहुँचाती है। रात तक वह घर पहुँच पाती है। उसकी अपनी, कोई ज़मीन नहीं है। उसकी झोपड़ी भी, जिसमें वह गुज़ारा करती है, गाँव के एक ठाकुर की, जमीन पर खड़ी है। इसके बदले में उसे ठाकुर के घर कई तरह के कामों की बेग़ार करनी पड़ती, है। वह बहुत गरीब है। उसके सामने अपना तथा अपने बूढ़े पति का पेट भरने का प्रश्न बहुत, अहम् है। किसी घर से रोटी मिलने पर वह कुछ रोटी अपने बूढ़े पति के लिए बचाकर रख लेती, है ताकि घर जाते ही बूढ़े को खाने के लिए रोटियाँ दे सके। सरकारी पुनर्वास के लिए प्रमाणों की, आवश्यकता होती है। माटी वाली के नाम तो न कोई जमीन थी, न जायदाद थी और न कोई, 'ठिकाना। माटाखाना से मिट्टी खोदना भी उसका प्राकृतिक अधिकार था, कानूनी नहीं। इसलिए, अधिकारी दूवारा मकान के कागज़ माँगने पर वह लाचार होकर चुपचाप बैठ गई। अब उसके, सामने भविष्य में रहने की भी समस्या आ खड़ी हुई।