Page 2 :
सम-सामयिक घटना चक्र, , सामान्य अध्ययन, , (ऊ 3प्वाइंटर(), , सितंबर, 208, , , , , , , , 207, अगस्त माह से सम-सामयिक घटना चक्र मुख्य पत्रिका के साथ निःशुल्क, अतिरिक्तांक की श्रृंखला प्रारंभ की गई है। श्रृंखला में सामान्य अध्ययन के विभिन्न विषयों, पर 08 'प्वाइंटर' क्रमश: प्रस्तुत किया जाएगा।, , , , , , आश्िक एवं सामाजिक विकास, &. आर्थिक विकास, , , , ष्ट्रीय आय एवं आर्थिक विकास, , किसी देश की आर्थिक संवृद्धि का सबसे उपयुक्त मापदंड है, -प्रति व्यक्ति वास्तविक आय, # किसी देश में जीवन स्तर प्रतिबिबिंत होता है. --प्रति व्यक्ति आय से, ज सकल राष्ट्रीय उत्पाद (007०) है -राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य मापन, जै किसी दी गई अवधि के लिए एक देश की राष्ट्रीय आय, --किसी अर्थव्यवस्था में एक विशेष समय अवधि, में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के, मौद्रिक मूल्य के बराबर होगी, जज कथन (») : आर्थिक विकास के लिए एक बहुआयामी उपागम की, आवश्यकता होती है।, कारण (२) : वर्तमान भारत सरकार मुख्यतः सूक्ष्म आर्थिक विषयों पर, ध्यान केंद्रित कर रही है।, -(#) सही है, किंतु (२) गलत है।, जै मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ है- जहां राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में, सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र भी विद्यमान हो, जै भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रमुख लक्षण है -मिश्रित अर्थव्यवस्था, , हा, , जे, , भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था आधारित है, , -मिश्रित अर्थव्यवस्था पर, , यह सत्य होगा कि भारत को परिभाषित किया जाए, -एक श्रम-आधिक्य वाली अर्थव्यवस्था के रूप में, भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषता है. --कृषि की प्रधानता, न्यून प्रति, व्यक्ति आय तथा वृहद बेरोजगारी, देश की वृद्धि में अनार्थिक तत्व है --सामाजिक घटक, धार्मिक घटक,, राजनीतिक घटक, अंतरराष्ट्रीय घटक, तथा वैज्ञानिक घटक आदि।, 95-52 से 205-6 की अवधि में स्थिर कीमतों पर भारत की प्रति, व्यक्ति आय की वृद्धि दर सर्वाधिक रही -वर्ष 2007-08 में, , भारतीय अर्थव्यवस्था ने सर्वाधिक संवृद्धि दर प्राप्त की है, , -वर्ष 2006-07 में (9.6%), वर्ष 205-6 में प्रति व्यक्ति आय के आधार पर राज्यों का अवरोही क्रम, है “महाराष्ट्र > गुजरात > पंजाब > उत्तर प्रदेश, वर्ष 205-6 में गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्यों का, उनके प्रति व्यक्ति निवल राज्य घरेलू उत्पाद (एल (०एा4 पल 54०, 70ण7०४॥० 000०0) के संदर्भ में अवरोही क्रम (068०००ंगड, 009८) है “महाराष्ट्र > कर्नाटक > गुजरात > तमिलनाडु, , , , अतिरिक्तांक, , ]
Page 3 :
चताफा7तवब 9क 7 ###..॥९//540# 0075, , सम-सामयिक घटना चक्र, , जे, , जे, , जे, , वर्तमान में भारत के राज्यों में प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है, -बिहार की, वर्तमान में भारतीय राज्यों में औसत प्रति व्यक्ति आय सर्वाधिक है, “गोवा की, वर्तमान में कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात तथा हरियाणा में से, औसत प्रति व्यक्ति आय सर्वाधिक है -हरियाणा की, कथन (») : यद्यपि 947 के बाद की अवधि में भारत की राष्ट्रीय आय, कई गुना बढ़ गई है, परंतु प्रति व्यक्ति आय स्तर में कोई सुदृष्ट सुधार, नहीं हुआ है।, कारण (0२): भारत की जनता का काफी बड़ा भाग अब भी गरीबी की, रेखा के नीचे रह रहा है। -(#) गलत है,परंतु (२) सही है।, भारत में ग्रामीण आय प्रायः नगरीय आय से कम है। इसके लिए कारण, जिम्मेदार हैं -किसानों की निरक्षरता, वैज्ञानिक कृषि, का नगण्य ज्ञान, विनिर्मित उत्पादों की तुलना में, प्राथमिक उत्पादों का कम मूल्य तथा उद्योगों, की तुलना में कृषि में कम निवेश, भारत में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की दर धीमी है। इसका मुख्य कारण, --उच्च पूंजी-उत्पाद अनुपात,, जनसंख्या वृद्धि की ऊंची दर आदि, उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय की निम्नता के कारणों में शामिल हैं-तेजी से बढ़ती जनसंख्या, साहसीपन का अभाव, तथा अपर्याप्त अधो: संरचनात्मक सुविधाएं आदि, किसी देश में आर्थिक संवृद्धि अनिवार्य रूप से होगी, यदि उस देश में, होता है -पूंजी निर्माण, भारत में बचत और पूंजी निर्माण की ऊंची दर होते हुए भी संवृद्धि दर, कम होने का कारण है -पूंजी-उत्पाद अनुपात का अधिक होना, श्रम की न्यून कार्यक्षमता, प्रति व्यक्ति कम आय, पूंजी निर्माण की न्यून, दर और प्राकृतिक संसाधनों की कमी में से एक लक्षण भारतीय, अर्थव्यवस्था का नहीं है -प्राकृतिक संसाधनों की कमी, वित्तीय वर्ष 207-8 में भारतीय आर्थिक संवृद्धि दर है, लगभग, --6.5 प्रतिशत, अगस्त, 208 तक उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 20820]9 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर है --7.4 प्रतिशत, भारत के प्रति व्यक्ति वास्तविक आय (?८ (878 0070) में धीमी, वृद्धि के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी रहे --जनसंख्या में तेज वृद्धि,, मूल्यों में भारी वृद्धि के साथ ही कृषि, तथा औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में धीमी गति, 'एक खुली अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय (५) है, -+0+7+6+(६- ७), , जैः, जे, , <ढ. ##फए-.॥९/९40/४७७४(०पफ, , सितंबर, 208, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अगस्त, 208 की मौद्रिक नीति के अनुसार,, 208-9 में विकास दर संभावित है, एशियाई विकास रिपोर्ट-208 के अनुसार, वर्ष 207 में भारत की, संवृद्धि दर थी, यदि एक दी हुई समयावधि में कीमतें तथा मौद्रिक आय दोनों दुगुनी हो, जाएं, तो वास्तविक आय --अपरिवर्तित रहेगी, वर्तमान मूल्यों ((.प्राक्मा। श06७) पर प्रति व्यक्ति आय (एल ('४ए8, 0०॥९) की वृद्धि दर (909७0 २8९) स्थिर मूल्यों ((१णा$क्षा।, 70००७) पर प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर से अपेक्षाकृत अधिक है,, क्योंकि स्थिर मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर में ध्यान रखा, जाता है --मुद्रास्फीति की वृद्धि दर का, 867-68 ई. में भारत में प्रति व्यक्ति आय 20 रुपये थी, यह सर्वप्रथम, अभिनिश्चित किया- -दादाभाई नौरोजी ने, भारत की राष्ट्रीय आय का प्रथम मापन किया गया, , -दादाभाई नौरोजी द्वारा, वर्ष 949 में भारत सरकार द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय आय समिति के, अध्यक्ष थे -पी.सी. महालनोबिस, भारत में राष्ट्रीय आय समंकों का आकलन किया जाता है, , -केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (050) द्वारा, , भारत में पूंजी निर्माण के आंकड़े एकत्रित करने का काम करता है, --भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन, नई जी.डी.पी. आंकड़ों में आधार वर्ष 2004-05 के स्थान पर बदलकर, कर दिया गया है, , --7.4 प्रतिशत, , --6.6 प्रतिशत, , वर्ष 20-202, इस समय (205 से) भारत की राष्ट्रीय आय के अनुमान हेतु आधार, वर्ष के रूप में प्रयुक्त हो रहा है “वर्ष 20] - 2, भारत का आर्थिक सर्वेक्षण, प्रत्येक वर्ष सरकारी तौर पर प्रकाशित, किया जाता है- --भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा, सैद्धांतिक रूप से यदि आर्थिक विकास की कल्पना की जाती है, तो, ध्यान में रखा जाता है --सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि,, सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि तथा प्रति, व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए घरेलू बचत (सकल) की औसत दर, वर्तमान में आकलित की गई है -30 से 40 प्रतिशत के पास, वर्ष 205-6 में भारत की सकल घरेलू बचत दर, --32.3 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद का, भारत में बचत में सर्वाधिक योगदान करता है “घरेलू क्षेत्र, भारत में घरेलू बचतों में सर्वाधिक हिस्सा है-भौतिक परिसंपत्तियों का, , , , अतिरिक्तांक
Page 4 :
चर6/फ/044 [70क 7 ##7#./.॥९/440_/800/5, सम-सामयिक घटना चक्र, भारत में निम्नलिखित चार प्रमुख क्षेत्रों से बचत का उदय होता है, भारत में सकल घरेलू बचत में . गृहस्थ, 2. निजी निगम क्षेत्र, 3., सार्वजनिक निगम एवं अन्य लोक उपक्रम तथा 4. सरकार क्षेत्रों के, योगदान का अवरोही क्रम है “यृहस्थ क्षेत्र, निजी निगम क्षेत्र, तथा सार्वजनिक निगम/लोक उपक्रम एवं सरकारी क्षेत्र, जे भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में अमर्त्य सेन के सुझावों से संबंधित, निम्नांकित कथन है --इसे जन-उन्मुख होना चाहिए, सबसे अधिक, निर्धन व्यक्ति की आर्थिक सुरक्षा होनी चाहिए,, विश्व अर्थव्यवस्था में इनके एकीकरण के साथ, राष्ट्रीय बचाव होना चाहिए।, जै यह विचार कि “भविष्य में भारतीय नियोजन में वस्तुओं से अधिक ध्यान, व्यक्तियों पर देना चाहिए” व्यक्त किया गया था --अमर्त्य सेन द्वारा, # हिंदू वृद्धि दर संबंधित है -राष्ट्रीय आय से, ज अवस्फीति के साथ, स्फीति के साथ, स्टैगफ्लेशन के साथ तथा, अतिस्फीति के साथ में से आर्थिक विकास सामान्यतया युग्मित होता है, , -स्फीति के साथ, ज 007 (सकल राष्ट्रीय उत्पाद) में श्रम की भागीदारी कम होने का कारण, कह --कीमतों की तुलना में मजदूरी का कम होना, ज सही सुमेलित हैंआर्थिक विकास - संरचनात्मक परिवर्तन, आर्थिक वृद्धि - सकल घरेलू उत्पाद, संपोषित विकास - पर्यावरण, जीवन की गुणवत्ता - स्वास्थ्य, जु भारत की अर्थव्यवस्था है -विकासशील, ज भारतीय अर्थव्यवस्था वर्णित की जा सकती है, --एक विकासशील अर्थव्यवस्था, , जु सत्य कथन है, क्षेत्र के प्रतिशत अंश में विगत एक दशक में कमी आई है।, मे तेल क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र न्यायिक प्रणाली का तथा शासकीय एवं, सार्वजनिक संस्थाओं आदि के सुधारों में से आर्थिक सुधारों के द्वितीय, प्रजनन (जेनरेशन)' में सरकार द्वारा चिह्नित किए गए सुधारों का भाग, , नहीं है, , --सकल घरेलू उत्पाद (67) में सार्वजनिक, , --न्यायिक प्रणाली में सुधार, , मै वर्ष ।99। की नई आर्थिक नीति में अपनाई गई मुख्य रणनीति थी, --उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण, जै भारत में आर्थिक उदारीकरण (8९णा०ांट [.छशशभ्याडषांणा) शुरू, , हुआ --औद्योगिक लाइसेंस नीति में वास्तविक बदलाव के साथ, , <ढू. ##४#..क.रा९/4॥#0४७४(#ण्फ, , सितंबर, 208, , >भारत की व्यावसायिक संरचना के वर्षों बाद भी लगभग वैसा ही बने, रहने का एक कारण है --आर्थिक विकास के लिए कृषि से उद्योग की, दिशा में अंतरण के महत्व की जनता, , को अधिकतर जानकारी नहीं है।, , जे भारत में अपनाई गई नई आर्थिक नीति के दो घटकों-स्थिरीकरण और, संरचनात्मक समायोजन के विषय में सही कथन हैं, समायोजन क्रमिक, बहुपद प्रक्रम है, जबकि, , --संरचनात्मक, , स्थिरीकरण त्वरित अनुकूलन प्रक्रम है, +€ भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का अग्रदूत (पायनियर) कहा, जाता है “डॉ. मनमोहन सिंह को, , सतत आर्थिक विकास, , +€ धारणीय विकास, भावी पीढ़ियों के अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने, के सामर्थ्य से समझौता किए बगैर, वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा, करता है। इस परिप्रेक्ष्य में धारणीय विकास का सिद्धांत स्वाभाविक रूप, , से जुड़ा हुआ है --धारण क्षमता के साथ, , ज सतत विकास का आधार है -पर्यावरणीय दृष्टिकोण, सतत आर्थिक विकास का अभिप्राय है -वर्तमान पीढ़ी के विकास के, साथ-साथ भविष्य का आर्थिक विकास, , , , ज स्थायी विकास अंतर-पीढ़ीगत संवेदनशीलता की घटना है, , --प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के संदर्भ में, जे मानव पूंजी में बढ़ता हुआ विनियोग अग्रसारित करता है, , --कुशलता में विकास, जसमावेशी संवृद्धि के लिए आवश्यक हैं --अधो-संरचनात्मक सुविधाओं, का विकास, कृषि का पुनरुद्धार तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य, जैसी सामाजिक सेवाओं की अधिकाधिक उपलब्धता, + राष्ट्रीय आय की ऊंची वृद्धि दर, ग्रामीण विकास, कृषि विकास तथा, कृषकों को पर्याप्त साख में से समावेशित विकास को बढ़ाने की आशा, नहीं की जाती है “राष्ट्रीय आय की ऊंची वृद्धि दर से, आर्थिक सर्वेक्षण में पहली बार 'धारणीय विकास और जलवायु-परिवर्तन', -वर्ष 20-2 में, # मूलतः 'समावेशी शासन' के अंग कहे जा सकते हैं -सभी जिलों में, , का नवीन अध्याय जोड़ा गया था, , प्रभावी जिला योजना समितियां संगठित करना, जन-स्वास्थ्य पर, , सरकारी व्यय में बढ़ोत्तरी करना तथा 'दोपहर का भोजन” योजना का, सशक्तीकरण करना, , अं समावेशी शासन से तात्पर्य है कि --समाज के सभी वर्गों को, , समान रूप से शासन के द्वारा प्रदत्त, , सुविधाएं प्रदान की जाएं।, , , , अतिरिक्तांक 3
Page 5 :
चठतआफावब 9का : ###..॥९/4#_00/75, , सम-सामयिक घटना चक्र, , जे, , आर्थिक विकास से संबद्ध जनांकिकीय संक्रमण की विशिष्ट अवस्थाओं, का सही क्रम है --उच्च मृत्यु-दर के साथ उच्च जन्म-दर,, निम्न मृत्यु-दर के साथ उच्च जन्म-दर, , तथा निम्न मृत्यु-दर के साथ निम्न जन्म-दर, , जे, , जे, , भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि एवं उससे संबंधित प्रक्षेत्र का, अंश है --7.4 प्रतिशत (206-7 में), राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय के 204 के अनुमानानुसार, ग्रामीण, , परिवारों में कृषि में विनियोजित ग्रामीण परिवारों का प्रतिशत है, 57.8%, भारत में कृषि क्षेत्र श्रम शक्ति को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है, , --लगभग 60 प्रतिशत, , विशेष कृषि एवं ग्राम उद्योग योजना का मुख्य उद्देश्य है, --कृषि निर्यात का संवर्धन, , उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक प्रतिशत कर्मचारी नियोजित हैं, --कृषि क्षेत्र में, भारत के श्रमिक बल में प्रायः अपने जीवनयापन के लिए वर्तमान में कृषि, , पर निर्भर हैं, , विकास का भारतीय मॉडल सुरक्षा करता है, “व्यक्ति और राज्य दोनों के हितों का, आर्थिक नियोजन के युग के आरंभ से भारत की सकल राष्ट्रीय आय में, , -लगभग 60 प्रतिशत, , कृषि का हिस्सा --निरंतर कम होता रहा है, जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, चरण सिंह तथा अबुल, कलाम आजाद में से भारत में सहकारी कृषि के विचार का समर्थक, नहीं था -चरण सिंह, जमींदारी प्रथा का उन्मूलन, भूमि जोतों की अधिकतम सीमा का, निर्धारण, काश्तकारी सुधार तथा बहुफसलीय योजना में से भारत में, भूमि सुधार का हिस्सा नहीं है, , “सोयाबीन ' खेती के अंतर्गत क्षेत्र सर्वाधिक है, तंबाकू, कपास, सोयाबीन तथा रबर में से एक नकदी फसल नहीं है, , --सोयाबीन, कपास का प्रति हेक्टेयर उत्पादन (207) विश्व में सर्वाधिक है, --ऑस्ट्रेलिया में, , --बहुफसलीय योजना, , -भध्य प्रदेश में, , गेहूं की सिंचाई हेतु अति क्रांतिक अवस्था है, , --ताज निकलने की अवस्था, , जे मे, , <ढू. ##४#..क.रा९/4॥#0४७४(#ण्फ, , सितंबर, 208, देश में गेहूं उत्पादन की दृष्टि से राज्यों का अवरोही क्रम है, --उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा पंजाब, भारत में फसल बीमा योजना का शुभारंभ हुआ --985 में, व्यापक फसल बीमा योजना के स्थान पर राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना, लागू की गई- --वर्ष 999 में, राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को खरीफ फसल पर भी लागू किया गया, -बजट 2004-05 में, उत्तर प्रदेश में किसान बही योजना लागू की गई थी -वर्ष 992 में, कमांड क्षेत्र विकास कार्यक्रम 974-75 में शुरू किया गया था, -जल उपयोग दक्षता विकास के लिए, हैंड बुक ऑफ एग्रीकल्चर प्रकाशित होती है, --भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से, उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद स्थित है, आठवीं योजना के अंतर्गत योजना आयोग ने भारत को कृषि जलवायु, प्रदेशों में विभक्त किया था, वह संख्या है न5, राष्ट्रीय हॉर्टीकल्चर मिशन आरंभ किया गया था, --5 मई, 2005 से (दसवीं पंचवर्षीय योजना में), राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एन.एच.एम.) से आच्छादित है, -:ूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों (हिमाचल प्रदेश,, जम्मू-कश्मीर तथा उत्तराखंड) सहित देशभर के, 8 राज्य और 4 केंद्रशासित प्रदेश (अंडमान और निकोबार, द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, पुडुचेरी तथा दादरा और नगर हवेली), *राष्ट्रीय बागवानी मिशन' का उद्देश्य है. -बागवानी क्षेत्र में ऊंची, संवृद्धि प्राप्त करना, शस्योत्तर व्यवस्था करना, तथा मानव संसाधन विकास करना, ] जुलाई, 200 से प्रारंभ कृषि श्रमिक सामाजिक सुरक्षा योजना, उपलब्ध कराती है >पेंशन तथा बीमा लाभ, “लघु कृषक-विकास योजना” आरंभ की गई >-वर्ष 97] से, गन्ने की उचित एवं लाभप्रद कीमत (२०) को अनुमोदित करता/करती, कर --आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति, वर्ष 4997-98 के बाद से न्यूनतम समर्थन मूल्य के संदर्भ में सत्य है, --न्यूनतम समर्थन मूल्य > (02 लागतें, “कृषि लागत और कीमत आयोग' (0४८7) वर्तमान में ४57 के, अंतर्गत घोषणा करता है --कुल 23 फसलों के मूल्यों की, *राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन प्रारंभ हुआ था वर्ष 2007-08, अक्टूबर, 2007 में प्रारंभ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एन.एफ.एस.एम.), का उद्देश्य है -धान, गेहूं और दलहन के उत्पादन में, बढ़ोत्तरी, मृदा उत्पादकता और उर्वरता का संरक्षण, , लखनऊ में, , तथा खेत के स्तर पर आर्थिक लाभ को बढ़ाना,, ताकि किसानों में आत्मविश्वास पैदा हो सके, , , , अतिरिक्तांक