Page 2 :
(क) किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों, के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए, राज्य का निर्माण कर सकेगी ;, , (ख) किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी ;, , (ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी ; (घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी ;, (ड) किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी :, , परंतु इस प्रयोजन के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना और जहां विधेयक में, अंतर्विष्ट प्रस्थापना का प्रभाव 2***राज्यों में से किसी के क्षेत्र, सीमाओं या नाम पर पड़ता है, वहां जब तक उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा उस पर अपने विचार, ऐसी अवधि के भीतर जो, निर्देश में विनिर्दिष्ट की जाए या ऐसी अतिरिक्त अवधि के भीतर जो राष्ट्रपति द्वारा अनुज्ञात की, जाए, प्रकट किए जाने के लिए वह विधेयक राष्ट्रपति द्वारा उसे निर्देशित नहीं कर दिया गया है, और इस प्रकार विनिर्दिष्ट या अनुज्ञात अवधि समाप्त नहीं हो गई है, संसद् के किसी सदन में, पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा ।], , स्पष्टीकरण 1-इस अनुच्छेद के खंड (क) से खंड (ड) में, “राज्य” के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र है,, किंतु परतुक में “राज्य” के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र नहीं है ।।, , स्पष्टीकरण 2-खंड (क) द्वारा संसद् को प्रदत्त शक्ति के अंतर्गत किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र, के किसी भाग को किसी अन्य राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के साथ मिलाकर नए राज्य या संघ, राज्यक्षेत्र का निर्माण करना है ।], , , , 4. पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुषंगिक और, पारिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन, बनाई गई विधियां (1) अनुच्छेद 2 या अनुच्छेद 3 में निर्दिष्ट किसी विधि में पहली अनुसूची, और चौथी अनुसूची के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट होंगे जो उस विधि के उपबंधों को, प्रभावी करने के लिए आवश्यक हो तथा ऐसे अनुपूरक, आनुषंगिक और पारिणामिक उपबंध, भी (जिनके अंतर्गत ऐसी विधि से प्रभावित राज्य या राज्यों के संसद् में और विधान-मंडल या, विधान-मंडलों में प्रतिनिधित्व के बारे में उपबंध हैं) अंतर्विष्ट हो सकेंगे जिन्हें संसद् आवश्यक, , समझे ।।, (2) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन, नहीं समझी जाएगी ।, भाग 2, नागरिकता, , ुछि : ४७७.वता61005.००॥ बा 0 : 772746465 क शता, न [380050॥॥8 1(. 1 (है, ३, , , , एव : 50एगांह॥60५5.००1. ७) [॥9तावु [०४5 व०ाइणता आ ९. : 1०भ्रएण (11 /11 ६1॥]|
Page 3 :
5. संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता-इस संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका, भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवास है और, , (क) जो भारत के राज्यक्षेत्र में जन््मा था, या (ख) जिसके माता या पिता में से कोई भारत के, राज्यक्षेत्र में जन्मा था, या, , (ग) जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम से कम पांच वर्ष तक भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर, से निवासी रहा है, भारत का नागरिक होगा ।, , 6. पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के, अधिकार-अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हए भी, कोई व्यक्ति जिसने ऐसे राज्यक्षेत्र से जो, इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, भारत के राज्यक्षेत्र को प्रव्रजन किया है, इस संविधान के, प्रारंभ पर भारत का नागरिक समझा जाएगा, , (क) यदि वह अथवा उसके माता या पिता में से कोई अथवा उसके पितामह या पितामही या, मातामह या मातामही में से कोई (मल रूप में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम,, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था; और, , (ख) (1) जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 से पहले इस प्रकार प्रव्रजन किया, है तब यदि वह अपने प्रव्रजन की तारीख से भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासी रहा है, ;्या, , (1) जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 को या उसके पश्चात् इस प्रकार, प्रत्रजन किया है तब यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा, विहित प्ररूप में और रीति से उसके द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले ऐसे अधिकारी को,, जिसे उस सरकार ने इस प्रयोजन के लिए नियक्त किया है, आवेदन किए जाने पर उस, अधिकारी द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है :, , परंतु यदि कोई व्यक्ति अपने आवेदन की तारीख से ठीक पहले कम से कम छह मास भारत के, राज्यक्षेत्र में निवासी नहीं रहा है तो वह इस प्रकार रजिस्ट्रीकृत नहीं किया जाएगा ।, , , , 7. पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकारअनुच्छेद 5 और अनुच्छेद 6 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जिसने 1 मार्च, 1947, के पश्चात् भारत के राज्यक्षेत्र से ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है,, प्रत्रजन किया है, भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा :, , परंतु इस अनुच्छेद की कोई बात ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होगी जो ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस, समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन करने के पश्चात् भारत के राज्यक्षेत्र को ऐसी अनुज्ञा के, अधीन लौट आया है जो पुनर्वास के लिए या स्थायी रूप से लौटने के लिए किसी विधि के, , , , ुछि : ४७७.वता61005.००॥ बा 0 : 772746465 क शता, न [380050॥॥8 1(. 1 (है, ३, , , , एव : 50एगांह॥60५5.००1. ७) [॥9तावु [०४5 व०ाइणता आ ९. : 1०भ्रएण (11 /11 ६1॥]|
Page 4 :
प्राधिकार द्वारा या उसके अधीन दी गई है और प्रत्येक ऐसे व्यक्ति के बारे में अनुच्छेद 6 के खंड, (ख) के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि उसने भारत के राज्यक्षेत्र को 19 जुलाई,, 1948 के पश्चात् प्रत्रजन किया है ।, , 8. भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्धव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के, अधिकार-अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जो या जिसके माता या पिता, में से कोई अथवा पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल रूप में यथा, अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था और जो इस, प्रकार परिभाषित भारत के बाहर किसी देश में मामूली तौर से निवास कर रहा है, भारत का, नागरिक समझा जाएगा, यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा, या भारत सरकार द्वारा विहित प्ररूप में और रीति से अपने द्वारा उस देश में, जहां वह तत्समय, निवास कर रहा है, भारत के राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि को इस संविधान के प्रारंभ से, पहले या उसके पश्चात् आवेदन किए जाने पर ऐसे राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि द्वारा, भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है ।, , 9. विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न, होना-यदि किसी व्यक्ति ने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है तो, वह अनुच्छेद 5 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा अथवा अनुच्छेद 6 या अनुच्छेद 8, के आधार पर भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा ।, , , , , , 10. नागरिकता के अधिकारों का बना रहना-प्रत्येक व्यक्ति, जो इस भाग के पूर्वगामी, उपबंधों में से किसी के अधीन भारत का नागरिक है या समझा जाता है, ऐसी विधि के उपबंधों, के अधीन रहते हुए, जो संसद् द्वारा बनाई जाए, भारत का नागरिक बना रहेगा । ।, , 11. संसद् द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना- इस, भाग के पूर्वगामी उपबंधों की कोई बात नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के तथा नागरिकता, से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में उपबंध करने की संसद् की शक्ति का अल्पीकरण, नहीं करेगी, भाग 3, मूल अधिकार, साधारण, , कक : ४४४.कता(|0७5.००॥ ४ (वाए [0७६ €) : 72746465 1, , (1 0 0], , , , एव : 80001 दादा०१७-००॥..) [॥|19 |0४४छठा5७त औ.__ 9 : 1000७
Page 5 :
12. परिभाषा-इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, “राज्य” के अंतर्गत, भारत की सरकार और संसद तथा राज्यों में से प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान मंडल, तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय, , और अन्य प्राधिकारी हैं ।, , , , 13. मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियां-(1) इस, संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले भारत के राज्यक्षेत्र में प्रवृत्त सभी विधियां उस मात्रा तक शून्य, होंगी जिस तक वे इस भाग के उपबंधों से असंगत हैं |, , (2) राज्य ऐसी कोई विधि नहीं बनाएगा जो इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को छीनती है या, न्यून करती है और इस खंड के उल्लंघन में बनाई गई प्रत्येक विधि उल्लंघन की मात्रा तक शून्य, होगी ।, , (3) इस अनुच्छेद में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो., , (क) “विधि” के अंतर्गत भारत के राज्यक्षेत्र में विधि का बल रखने वाला कोई अध्यादेश,, आदेश, उपविधि, नियम, विनियम, अधिसूचना, रूढ़ि या प्रथा है ;, , (ख) “प्रवृत्त विधि के अंतर्गत भारत के राज्यक्षेत्र में किसी विधान-मंडल या अन्य सक्षम, प्राधिकारी द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले पारित या बनाई गई विधि है जो पहले ही, निरसित नहीं कर दी गई है, चाहे ऐसी कोई विधि या उसका कोई भाग उस समय पूर्णतया या, विशिष्ट क्षेत्रों में प्रवर्तन में नहीं है ।, , (4) इस अनुच्छेद की कोई बात अनुच्छेद 368 के अधीन किए गए इस सविधान के किसी, संशोधन को लागू नहीं होगी ।], , , , , , समता का अधिकार, 14. विधि के समक्ष समता-राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष, समता से या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा ।, , 15. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध-(1), राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी, के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा ।, , (2) कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर, , (क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश, या, , ुछि : ४७७.वता61005.००॥ बा 0 : 772746465 क शता, न [380050॥॥8 1(. 1 (है, ३, , , , एव : 50एगांह॥60५5.००1. ७) [॥9तावु [०४5 व०ाइणता आ ९. : 1०भ्रएण (11 /11 ६1॥]|